ब्रिजस्टोन इंडिया ने महिला सशक्तीकरण की पहल को हाथ में लिया

महिलाओं के लिए पेशेवर कार ड्राइविंग का प्रशिक्षण

इस पहल का श्रीगणेश इंदौर में हुआ, अन्य शहरों में भी इसकी शुरुआत होगी

इंदौर. एक बड़ी महिला सशक्तीकरण पहल के तहत ब्रिजस्टोन इंडिया ने ड्रायवर और ऑटो-मैकेनिक वाला पेशा अपनाने का मौका देते हुए महिलाओं को पेशेवर ड्रायवर बनने की ट्रेनिंग देने का काम हाथ में लिया है। आज की तारीख तक खुद इंदौर शहर में ही 81 महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है। कंपनी की योजना इस पहल को दूसरे शहरों तक भी ले जाने की है।

साढ़े तीन महीने तक चले इस प्रशिक्षण में ड्राइविंग कौशल, रोकथाम वाले रखरखाव और आपातकालीन मरम्मत सिखाना शामिल था। अंग्रेजी बोलने, नक्शा पढ़ने, प्राथमिक चिकित्सा और आत्मरक्षा की सॉफ्ट स्किल्स भी उन्हें सिखाई गईं।

महिलाओं से संबंधित कानून, मोटर वाहन अधिनियम और बीमा अधिनियम के बारे में मोटा-मोटी जानकारी भी उन्हें प्रदान की गई। प्रशिक्षण के बाद अब कई महिलाएं कैब ड्राइवर, निजी ड्राइवर, ई-रिक्शा चालक और ड्राइवर ऑन कॉल के रूप में सफलतापूर्वक काम कर रही हैं।

“महिला सशक्तीकरण पर ध्यान केंद्रित करना ब्रिजस्टोन इंडिया में हमारा एक प्रमुख कार्यक्षेत्र है। महिलाओं को वित्तीय स्वतंत्रता प्रदान करने के साथ-साथ यह पहलउनके अंदर किसी गैर-पारंपरिक पेशे के साथ जुड़ने का विश्वास भी जगाती है। ब्रिजस्टोन की सुरक्षा और गतिशीलता वाले सदाचार के लिए प्रशिक्षण का कंटेंट मूल चीज है। लॉकडाउन के दौरान जब नौकरियां दुर्लभ थीं, तब भी हमने इन महिलाओं को अपना सहयोग और सहायता दी। महिलाओं ने न केवल बड़ा समर्पण दिखाया, बल्कि इन हालात में एक नया कौशल सीखने की दृढ़ता भी प्रदर्शित की”कहना है ब्रिजस्टोन इंडिया के प्रबंध निदेशक पराग सतपुते का।

लॉकडाउन की अवधि के दौरान, जब इनमें से अधिकतर महिलाओं की नौकरी चली गई थी, तब ब्रिजस्टोन इंडिया ने भोजन और बुनियादी वस्तुओं के साथ इनकी ओर मदद का हाथ बढ़ाया था। कुल 100 परिवारों को इसका लाभ मिला।

“इंदौर में आवागमन करने वाली महिलाओं की एक बहुत बड़ी आबादी निवास करती है और ये महिलाएं किसी महिला ड्रायवर की मौजूदगी में ज्यादा सुरक्षित महसूस करती हैं। इस प्रशिक्षण ने मुझमें यह आत्मविश्वास भरा है कि मैं एक पेशेवर ड्रायवर बन सकती हूं, कमा सकती हूं और अपना परिवार चला सकती हूं। ड्राइविंग के पेशे में कदम रखना मेरे लिए वाकई मददगार साबित हुआ है और कार चलाना मुझे बड़ी शक्ति देता है।”- बता रही हैं सफलतापूर्वक प्रशिक्षण लेकर वर्तमान में एक टैक्सी चलाने वाली सोनाली प्रजापति।

कहानी का सारांश:

मिस सोनाली लॉकडाउन से पहले एक गर्ल्स हॉस्टल में ड्राइवर थीं। उनकी कमाई 7,000 रुपए प्रति माह थी। वह अपने पति से अलग हो गई हैं और आजकल इंदौर में रह रही हैं। वह परिवार में कमाने वाली इकलौती सदस्य हैं और अपने माता-पिता के साथ-साथ एक भाई को भी संभाल रही हैं। लॉकडाउन के दौरान गर्ल्स हॉस्टल को बंद कर दिया गया था, जिसके परिणामस्वरूप उनकी नौकरी चली गई। इन संगीन हालात में हम एक आपातकालीन सरवाइवल किट (किराने का सामान) लेकर मदद करने के इरादे से मिस सोनाली के पास पहुंचे। इस किट ने उनके परिवार की भोजन से जुड़ी दैनिक जरूरतें पूरी कीं।

अनलॉक होने के बाद हमारी क्रियान्वयन एजेंसी ने उनके लिए नया रोजगार ढूंढ़ा और अब वह एक निजी ड्राइवर के रूप में काम कर रही हैं और 9000 रुपए प्रति माह कमाती हैं।

ब्रिजस्टोन की वैश्विक सीएसआर प्रतिबद्धता मोबिलिटी, लोग एवं पर्यावरण आदि के क्षेत्रों पर अपना रणनीतिक ध्यान केंद्रित करती है और हम ‘अवर वे टू सर्व’ के दम पर इसे साकार करते हैं। इस प्रतिबद्धता के अनुरूप ब्रिजस्टोन इंडिया महिला सशक्तीकरण, जैव विविधता संरक्षण, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता का प्रचार-प्रसार, शैक्षिक एवं क्षमता निर्माण कार्यक्रम जैसी योजनाएं लेकर विभिन्न समुदायों तक पहुंचती है।

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