केदार व बुधादित्य महायोग में मनेगी वसन्त पंचमी, सिद्ध व साध्य योग बढ़ाएंगे पर्व की शोभा

विद्या की अधिष्ठात्री देवी का प्राकट्य योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण के कंठ से हुआ इसीलिए माँ सरस्वती कहलायी. वसन्त पंचमी को श्री पंचमी व श्री राधा श्याम सुंदर पंचमी आदि नामों से जाना जाना जाता है. शनिवार को 24 घण्टे श्री पंचमी रहेगी. केदार व बुधादित्य महायोग में वसन्त पंचमी मनेगी. सिद्ध व साध्य योग पर्व की शोभा बढ़ाएंगे. अबूझ मुहूर्त में शुभ कार्य होंगे.

यह बात मध्यप्रदेश ज्योतिष एवं विद्वत परिषद के अध्यक्ष आचार्य पण्डित रामचन्द्र शर्मा वैदिक ने कही. आचार्य रामचंद्र शर्मा वैदिक ने बताया कि वसन्त पंचमी का पर्व माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. यह तिथि अबूझ संज्ञक शुभ मुहूर्त की श्रेणी में आती है. इस श्री पंचमी का पर्व कुछ खास ज्योतिषीय योग में मनाया जाएगा. पंचमी तिथि का आरंभ शुक्रवार की रात्रि 3 बजकर 46 मिनिट से होगा. शनिवार को पंचमी अपर रात्रि 3 बजकर 46 मिनिट तक अर्थात 24 घण्टे तक रहेगी.

आचार्य शर्मा वैदिक ने बताया कि 5 फरवरी शनिवार को वसन्त पंचमी पर कुछ खास योग निर्मित हो रहे है. सिद्ध व साध्य योग, सूर्य बुध का बुधादित्य योग, सभी सात ग्रह चार भावों में स्थित होकर केदार नामक राजयोग वसन्त पंचमी को श्री प्रदान कर विशेष बना रहे है. बृहस्पति प्रधान मीन राशि का चंद्रमा ,सूर्य व शनि (दोनों पिता पुत्र की उपस्थिति मकर राशि मे ).वर्षों बाद वसन्त पंचमी का पर्व इन शुभ योग में मनेगा.

मोदी, बच्चन व गेट्स की पत्रिका में योग

बुधादित्य योग विद्यार्थियों को शिक्षा में सफलता प्रदान करता है. केदार योग व्यक्ति को सुखी व समृद्धता प्रदान कर शाही सुख व आनन्द की प्राप्ति कराने में सहायक होता है. यह योग देश के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी, फ़िल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन व बिल गेट्स की पत्रिका में भी देखने को मिलता है. केदार योग व्यक्ति को महान व समृद्ध बनाता है. इन पर माँ सरस्वती की कृपा बनी रहती है.

कार्यसिद्धि में सहायक

आचार्य शर्मा वैदिक ने बताया कि सिद्ध व साध्य योग कार्यसिद्धि में सहायक होते है।आज का दिन इन महायोगों की उपस्तिथि से निश्चित ही शुभता के साथ समृद्धि प्रदान करने वाला होगा।इस योग में विद्या की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती के पूजन से माँ की कृपा के साथ शुभ योगों की उपस्तिथि जीवन में सुख,शांति व समृद्धि प्रदान कर बुद्धि को निर्मल बनाएगी.

आचार्य शर्मा ने बताया कि वसन्त पंचमी साधकों को राष्ट्रीय भावना प्रदान कर लोकहित में संघर्ष करने की प्रेरणा भी प्रदान करती है। विद्या, बुद्धि ,ज्ञान एवं वाणी की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती का प्राकट्य श्री कृष्ण के कंठ से हुआ इसीलिए ये सरस्वती के नाम से प्रसिद्ध हुई। ये ब्रह्म स्वरूपा,कामधेनु व समस्त देवों की प्रतिनिधि है। वसन्त पंचमी खास माने में वैदिकों का दिन माना जाता है।

आज के दिन वैदिक विद्वानों का सत्कार व सम्मान भी किया जाता है।विद्या आरम्भ करने का श्री पंचमी प्रमुख दिन है। आज के दिन माँ सरस्वती का पंच,दस व सोलह उपचारों से पूजन किया जाता है।माँ को सफेद व पिले वस्त्र व पुष्प भी चढ़ाए जाते है।पुस्तक व लेखनी में भी सरस्वती का निवास माना जाता है अतः इनकी पूजा भी की जाती है।।

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