मानव में माधव दर्शन कर उनकी सेवा का लक्ष्य रखें, दिव्यांगों के बीच पहुंचे स्वामी परमानंद

इंदौर। वृद्ध और दिव्यंाग भी परमात्मा की ही रचना है। इन सबमें भी हमारी तरह परमात्मा का ही अंश है। विश्व में दो तरह की सोच चल रही है। पहली यह कि जो भी अनुपयोगी और बेकार चीजें हैं उन्हें नष्ट कर दिया जाए और दूसरी यह कि सृष्टि मंे जो कुछ भी है, उसे परमात्मा ने ही बनाया है। हम सब दूसरी सोच के पक्षधर हैं और इसी कारण नर में नारायण तथा मानव में माधव के दर्शन कर ऐसे लोगों की सेवा करते हैं, जो स्वयं कुछ करने में असहाय होते हैं। दूसरों के काम आना ही मानव जीवन की धन्यता होती है।
हरिद्वार के महामंडलेश्वर, युगपुरूष स्वामी परमानंद गिरि ने आज पंचकुईया स्थित युगपुरूष धाम बौद्धिक विकास केंद्र पहुंचकर वहां के 250 बच्चों के बीच काफी समय बिताया। उन्होंने कहा कि इस संस्था में आकर मन प्रसन्न हो जाता है क्योंकि यहां दिव्यांगों को भी अपने पैरों पर खड़ा करने और समाज की मुख्य धारा में जोड़ने के सार्थक प्रयास हो रहे हैं। इस मौके पर दिव्यांग बच्चों ने उनके समक्ष शीर्षासन भी किया और योग नृत्य की प्रस्तुतियां भी दी। किसी ने उन्हें अपने द्वारा तैयार राखी बांधी तो किसी ने स्वतंत्रता दिवस के लिए स्वयं द्वारा निर्मित तिरंगी टोपी भी पहनाई।
प्रारंभ मंे संस्था की अध्यक्ष जान्हवी पवन ठाकुर, सचिव तुलसी शादीजा एवं प्राचार्य डॉ. अनिता शर्मा आदि ने उनकी अगवानी की तथा पाद पूजन कर संस्था में रहकर पढ़ रहे दिव्यांग बच्चों को एक-एक कर मिलाया। संस्था के सभी बच्चों के पिताश्री के रूप में स्वामी परमानंदजी का ही नाम दर्ज है। इस अवसर पर महामंडलेश्वर ज्योतिर्मयानंद गिरि, साध्वी चैतन्य सिंधु, साध्वी दिव्य चेतना एवं योग विज्ञानानंद भी मौजूद थे। संस्था की ओर से पवन गुलाब राय ठाकुर ने सभी संतों का शॉल-श्रीफल से सम्मान किया।
इस भावपूर्ण समारोह में दिव्यांग बच्चों ने अपने गुरूदेव की आरती उतारी और संस्था में रहकर सीखे गए कार्यों का प्रदर्शन भी किया। इनमें अमर मालाकार, कपिल परमानंद ने शीर्षासन किया, वहीं विशाल भूरिया, शिवा पटेल और राजा परमानंद ने तिरंगी टोपी बनाकर युगपुरूष सहित सभी मेहमानों को पहनाई। इसी तरह विनय और संदीप तथा अर्पित ने नृत्य किया। इन बच्चों को सामान्य बच्चों की तरह कम्प्यूटर प्रशिक्षण एवं पढ़ाई कराने वाली शिक्षिकाओं, आकांक्षा कौशल एवं पूजा तंबाडे ने भी इनके मानसिक विकास की जानकारी दी। संचालन प्राचार्य डॉ. अनिता शर्मा ने किया और आभार माना सचिव तुलसी धनराज शादीजा ने।

Leave a Comment