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दांतों के लिए नुकसानदायक है कैविटी
हर चेहरे पर फबती है एक सुंदर सी मुस्कान और मुस्कान को सुंदर बनाते हैं आपके स्वस्थ दांत | “स्माइल प्लीज !!” कार्यक्रम का आयोजन “ क्रिएट स्टोरीज “ द्वारा अयप्पा स्कूल में किआ गया | दीपक शर्मा ने बताया की इस निःशुल्क डेंटल अवेयरनेस एवं कैंप किआ गया जिसमे दांतों की किस प्रकार देखभाल करे एक्सपर्ट पेरियोडोंटिस्ट डॉ रश्मि राठौर सोलंकी द्वारा समझाया गया एवं दाँतों का ख्याल न रखने एवं छोटी सी लापरवाही भी कई बार जानलेवा बिमारियों को भी जन्म देती है , इन बातो को भी बताया गया |
पेरियोडोंटिस्ट डॉ रश्मि राठौर सोलंकी ने बताया की –
हाल ही में हुए एक शोध के अनुसार 85% माता-पिता इस बात से अनजान थे कि बच्चों के लिए अलग प्रकार के टूथपेस्ट उपलब्ध हैं। वे बच्चों को वही पेस्ट देते थे, जिसका इस्तेमाल वे खुद करते थे एवं 82% माता-पिता ने स्टडी के दौरान जानकारी दी कि कि वे लोग सिर्फ दिक्कत होने पर ही अपने बच्चे को डेंटिस्ट के पास लेकर जाते हैं, जबकि यह गलत परंपरा है।
दंत क्षय से 60 से 65 प्रतिशत और पेरियोडेंटल बीमारियों से 50 से 90 प्रतिशत जनसंख्या प्रभावित है। आजकल जंक फूड की खपत अधिक होने के कारण स्कूली बच्चों में दांतों से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। दांतों की रोजाना सफाई से दांतों की बीमारियों से बचा जा सकता है।
दांतों के लिए नुकसानदायक है कैविटी, सड़न बनती है बड़ी वजह, हो सकता है कैंसर –
मुंह में मौजूद एसिड के कारण दांतों के इनेमल खोखले होने लगते हैं जिसके कारण कैविटी का निर्माण होता है। कैंसर केवल उम्रदराज लोगों की बीमारी नहीं है। वर्तमान में कैंसर के मामले बच्चों में भी देखे जा रहे हैं। यानी कैंसर की चपेट में बच्चे भी आ रहे हैं। इसके लिए सबसे अधिक जिम्मेदार दांतों और मुह का ध्यान न रखना, अस्वस्थ खानपान और अनियमित दिनचर्या भी है।
कैविटी के लक्षण-
- टूथ सेंसिटिविटी या दांत दर्द होना | जब आप ठन्डे, मीठे या गर्म खाद्य पदार्थ खाते हैं तब आपको हल्के दर्द से लेकर तेज़ दर्द तक अनुभव हो सकते हैं |
- जब आप दांतों से काटते हैं तब आप दर्द अनुभव कर सकते हैं |
- आप अपने दांतों पर डार्क कलर के छेद नोटिस कर सकते हैं |
- कुछ कैविटी (विशेषरूप से, जो मुंह में पीछे की ओर या दांतों के बीच में होती हैं) आँखों से देखने पर दिखाई नहीं देंगी और हो सकता है कि उनसे दर्द भी न हो | इस तरह की कैविटी केवल एक्स-रेज़, अल्ट्रासाउंड या फ्लोरोसेंट लाइटिंग के द्वारा ही पहचानी जा सकती हैं और इसीलिए नियमित रूप से डेंटिस्ट से जांच कराना ज़रूरी है |
कैविटी के प्रकार–
- कोरोनल कैविटी: इस तरह की कैविटी दांतों के शीर्ष पर या दांतों के बीच में पाए जातें हैं। बच्चों या वयस्कों में आमतौर पर पाई जाती है।
- रूट कैवटी: ज्यों-ज्यों उम्र बढती है त्यों-त्यों दांतों के जड़ से मसूड़े हटने लगते हैं जिसके कारण दांतों की जड़ में मौजॅद बैक्टीरिया, खाद्य कणों के संपर्क में आने लगता है और चूँकि दांतों के जड़ में इनेमल नहीं होता अतः ये जल्दी सड़ने लगते हैं।
- आवर्तक क्षय : दांतों के जिन भागों में फिलिंग की जाती है या क्राउनिंग किया गया होता है उनके आस-पास प्लेक जमने लगता है जिसकी वजह से दांतों में बार-बार खराबी उत्पन्न होती रहती है।
दांतों व मसूड़ों के संक्रमण हमारे पूरे तंत्र को प्रभावित कर देते हैं जो आपका दिल, दिमाग और खून के वेसेल्स सभी को प्रभावित कर सकता है। दांतों की देखभाल के लिए बैक्टीरिया की नियमित रूप से सफाई जरूरी है। पेट से जुड़ी कई समस्याएं भी दांतों में पैदा हुई कई बीमारियों की वजह से जन्म ले सकती हैं |
कुछ सावधानियों को बरत कर आप अपने दांतों को स्वस्थ रख सकते हैं एवं दांतों की चमक हमेशा रहेगी बरकरार –
- विटामिन सी और कैल्शियम युक्त उचित स्वास्थ्यपरक आहार के साथ मौसमी खाद्य पदार्थों और सब्जियों का सेवन जरूरी है |
- दांतों की सफाई के लिए नियमित रूप से दो वक्त ब्रश करें। दांतों को इस तरह से साफ करें कि दांतों में फंसे हुए अन्न-कण निकल जाएं। जो साँस में दुर्गन्ध के लिए विशेष रूप से जिम्मेदार होते है।
- मीठे खाद्य पदार्थ जैसे चोकलेट, कोल्ड ड्रिंक्स, मैदा वाले बिस्कुट, आइस क्रीम, केक, चिप्स, स्नैक्स, जंक फ़ूड आदि का अधिक मात्रा में इस्तेमाल न करें। यह सब चीजें दांतों को हानि पहुंचाती हैं। ऐसे पदार्थों का इस्तेमाल करने के बाद पानी से कुल्ला अवश्य कर लें।
- दांतों को औजार के रूप में इस्तेमाल न करें। जैसे दांत से खींचकर कोई चीज निकालना, धागा तोड़ना, वायर छीलना आदि।
- दांतों को पिन, सुई, तीली आदि से न कुरेदें। इससे मसूढ़ों में घाव हो जाता है, साथ ही सेप्टिक होने का भय रहता है।
- कुछ लोगो को गुस्से में दांत पीसने की आदत होती है जो दन्त स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होती है।
- दूसरों के इस्तेमाल किए जाने वाले टूथब्रश का इस्तेमाल न करें। इससे दांतों में संक्रमण हो सकता है ।
- अपने टूथब्रश को अक्सर बदलते रहें और नया टूथब्रश इस्तेमाल करें क्योंकि इससे मुंह की स्वच्छता को बरकरार रखने में मदद मिलती है |
- नियमित रूप से दांतों का चेकअप सभी के लिए जरूरी है |
इन बातों का रखें ध्यान –
- बच्चों के टूथपेस्ट में फ्लोराइड होना चाहिए, क्योंकि यह दांत को कमजोर होने से बचाता है।
- बच्चों के टूथपेस्ट में लुब्रिकेंट और फ्लोराइड होता है जो मुंह की समस्याओं को रोकने में मदद करता है।
कुछ टिप्स जो बच्चों की आदत में डालनी चाहिए-
- अधिक मात्र में जूस की जगह कच्चे फलों को खाएं ताकि सीधा प्रोटीन अंदर जयेगा एवं फलों को चबाने से दांतों का व्यायाम होगा | कई बार जूस में चीनी, बर्फ , पानी आदि दाल दिया जाता है जो कई बार नुक्सान पहुचाता हैं |
- चीनी की जगह गुड का प्रयोग करे |
- कुछ भी खाने के बाद कुल्ला ज़रूर करे |
- 13 साल तक के बच्चो को रोजाना कम से कम 1.5 लिटर सामान्य पानी ज़रूर पिलाये |
“ हमारी माँ हमारे लिए क्या अच्छा है सब जानती है , उन्हें हमारे बैलेंस आहार के बारे में सबसे ज्यादा पता होता है क्यूंकि उन्होंने ही हमे बड़ा किआ है | जब एक माँ खाना बनाती है तो दिन भर का ध्यान रखती है की हम सब खाएं जो हमारे शरीर के लिए ज़रूरी है | एक माँ हमेशा ध्यान रखती है की उनका बच्चा सभी प्रोटीन युक्त आहार ( दाल , चावल , हरी सब्जी , रोटी, दलिया , दही , फ्रूट्स , सलाद आदि ) आहार ले | वो इन सब चीजों का स्वाद बनती है हमारे टेस्ट के हिसाब से कभी घर पर पिज़्ज़ा , भजिया या मीठा बनाकर जिससे हमारे दांतों को भी कम हानि पहुचती है | आप सभी जंक फ़ूड खाने से बचे एवं माँ के हाथ के खाने को अवश्य खाए जो की कई बिमारियों का इलाज़ खुद व खुद है | “