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तलवार से कटे हाथ को जोड़कर दी नई जिंदगी
उज्जैन से देर रात को इंदौर आया था केस, अपोलो राजश्री अस्पताल में हुआ ऑपरेशन
इंदौर। किसी तरह की दुर्घटना में शरीर का कोई अंग यदि शरीर से अलग ही हो जाए तो उसी अंग के दोबारा जुड़ने और पहले की तरह काम करने की उम्मींद कम ही होती है। पर ये कमाल कर दिखाया इंदौर में अपोलो हॉस्पिटल में प्लास्टिक एंड माइक्रोवास्कुलर सर्जन डॉक्टर अश्विनी दाश ने।
एक ओर देश में मरीज के परिजनों द्वारा डॉक्टर्स के साथ बुरा व्यवहार करने की खबरें आ रही है वही दूसरी ओर डॉक्टर्स हर हाल में मरीज को बेहतर ज़िंदगी देने की कोशिश में लगे हैं। शहर में हुए इस मेडिकल मिरेकल के बारे में डॉ. दाश बताते हैं कि पिछले रविवार को उज्जैन में किसी विवाह समारोह के दौरान विवाद होने लगा। इस विवाद ने उग्र रूप ले लिया और तलवारे निकल आई। यह देखकर बीच-बचाव करने गए मरीज के दाएँ हाथ पर किसी ने जोरदार झटके के साथ तलवार चला दी, जिससे उनका हाथ शरीर से कट कर अलग ही हो गया।
मौके पर मौजूद लोगों ने उन्हें स्थानीय अस्पताल पहुंचाया पर वहां सुविधाओं का आभाव होने के कारण मेडिकल स्टाफ ने बड़े-बड़े टांके लगाकर हाथ को ऊपरी तौर से शरीर से जोड़ तो दिया, पर सभी नसें और दोनों आटरी अभी भी कटी हुई थी, जिस कारण मरीज का बहुत ज्यादा खून बह रहा था।
ऐसी ही स्थिति में घायल मरीज को इंदौर लाया गया पर तब तक काफी रात हो चुकी थी और इस तरह की जटिल सर्जरी करने वाले सर्जन्स भी कम ही है। इसलिए दो हॉस्पिटल्स से उन्हें मायूस लौटना पड़ा। आखरी में उन्होंने मुझसे बात की और अपोलो राजश्री अस्पताल पहुचें जहां उनका इलाज शुरू हुआ।
आसान नहीं था ऑपरेशन
डॉ दाश ने बताया इस ऑपरेशन में काफी जटिलताएं थी। इसमें सबसे बड़ी समस्या थी, देरी के कारण मरीज का काफी खून बहाना और कटे हुए हाथ को गलत तरीके से लाना। जब भी इस तरह की अंग भंग की स्थिति हो, तो कटे हुए अंग को प्लास्टिक की साफ़ थैली में रखकर उस थैली को बर्फ में रखकर 6 घंटे के अंदर सर्जन तक पहुंच जाना चाहिए, इससे हाथ की कोशिकाएं जीवित रहती है परन्तु इस केस में हाथ को कच्चे टांकों की मदद से जोड़कर लाया गया था, यानि हाथ शरीर से अलग भी था और तापमान भी अधिक था।
इसके साथ ही उज्जैन से इंदौर और इंदौर में भी दो अस्पतालों के चक्कर लगाने में काफी वक्त गुजर चूका था इसलिए मुश्किलें और भी बढ़ गई थी। इन सभी चुनौतियों के बावजूद हमने पूरी टीम तैयार की और तुरंत ऑपरेशन शुरू किया। इस तरह के ऑपरेशन के लिए काफी उच्च तकनीक और सुविधाओं से परिपूर्ण ऑपरेशन थिएटर चाहिए इसलिए हमने ऑपरेशन अपोलो अस्पताल में किया।
दो हिस्सों में हुआ ऑपरेशन
चुकीं खून ज्यादा बह चूका था, जिससे मरीज का बीपी स्टेबल नही था इसलिए मरीज को लम्बे समय तक बेहोश रखने में जान का खतरा भी हो सकता था इसलिए इस ऑपरेशन को दो हिस्सों में किया गया। पहले दिन सिर्फ दोनों आटरी और नसों को जोड़ा गया। इसके बाद मरीज को रिकवर होने के लिए एक हफ्ते का समय दिया गया फिर दूसरे हिस्से में हाथ को चलने के लिए जरुरी टेंडेंस को जोड़ा गया।
फ़िलहाल मरीज पूरी तरह स्वस्थ्य है और उसके हाथ को आराम देने के लिए प्लास्टर लगाया गया है। तीन हफ़्तों बाद प्लास्टर को निकाल कर फिजियोथेरेपी शुरू की जाएगी ताकि हाथ पहले की तरह काम करने लगें। ऑपरेशन में ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ आशीष गोयल और एनेस्थेसिस्ट डॉ विवेक चंद्रावत का विशेष सहयोग रहा।
अंग भंग की स्थिति में इन बातों का रखें ध्यान –
– कटे हुए अंग को जल्दी से साफ़ प्लास्टिक बैग में रखकर उस बैग को बर्फ में रख दें, सीधे बर्फ़ के सम्पर्क में ना रखे।
– बहते हुए खून को रोकने के लिए घाव या नसों को कसकर बांध दें।
– तुरंत प्राथमिक चिकित्सालय जाए।
– 6 घंटे के अंदर किसी बड़े अस्पताल में पहुंच कर रिप्लान्टेशन सर्जरी करवाए।