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बच्चों में उच्च रक्तचाप में चिंताजनक वृद्धि: डॉ. प्रियंका जैन

बच्चों में बढ़ता मोटापा एक चिंता का विषय
इंदौर 2024 : ह्रदय और कार्डियोवैस्कुलर बीमारियाँ किसी भी उम्र के व्यक्तियों में पाई जा सकती हैं, हालांकि बच्चों में हार्ट अटैक आना असामान्य है। लेकिन फिर भी कुछ समस्याएँ जैसे हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल की असमानताएँ और जन्मजात ह्रदय रोग बच्चों में भी देखी जा रही हैं। यह जानकारी इंदौर की वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ और एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ. प्रियंका जैन, “बचपन किड्स केयर क्लिनिक” गीता भवन चौराहा, ने विश्व ह्रदय दिवस के अवसर पर दी।
उन्होंने बताया कि जैसे बच्चों में मोटापा महामारी का रूप ले रहा है, उसी प्रकार हाई ब्लड प्रेशर भी बच्चों में तेजी से बढ़ रहा है। विभिन्न शोध पत्रों के अनुसार, बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर का प्रसार 3-11% तक हो सकता है। बच्चों में मोटापे के मुख्य कारण हैं – गतिहीन जीवनशैली, लंबे समय तक टीवी और मोबाइल देखना, जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक्स, और डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों का सेवन। हाई ब्लड प्रेशर किडनी की बीमारियों से भी संबंधित हो सकता है, इसलिए समय पर इसकी स्क्रीनिंग आवश्यक है।
जन्मजात हृदय रोगों का पता प्रारंभिक अवस्था में हार्ट चेकअप और इकोकार्डियोग्राफी टेस्ट के माध्यम से लगाया जा सकता है। डॉ. प्रियंका जैन ने यह भी बताया कि संतुलित आहार, स्वस्थ जीवनशैली और नियमित शारीरिक व्यायाम अपनाकर ह्रदय संबंधी बीमारियों से काफी हद तक बचा जा सकता है।
डॉ. प्रियंका जैन, एमडी, एसोसिएट प्रोफेसर और वरिष्ठ कंसलटेंट, बाल रोग विशेषज्ञ, हाई ब्लड प्रेशर भारत में होने वाली मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण है। शुरुआती लक्षण सामने आने पर लापरवाही बरते बिना यदि इसका उपचार शुरू कर दिया जाए, तो इस पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। हमारे देश में लगभग 28.1% लोग हाई ब्लड प्रेशर से ग्रसित हैं। यदि इसे गाँवों और शहरों तथा लैंगिक रूप में विभाजित किया जाए, तो शहरों और पुरुषों में इसके मामले अधिक देखने को मिलते हैं।
मोटापा, अनहेल्दी लाइफस्टाइल, मानसिक तनाव, जंक फूड का लगातार सेवन आदि हाई ब्लड प्रेशर को प्रत्यक्ष रूप से निमंत्रण देने के कारण हैं। मोटापा बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर की सम्भावना को तीन गुना तक बढ़ा देता है। यह बीमारी मुख्य रूप से हृदय, किडनी, मस्तिष्क और आँखों को सबसे अधिक नुकसान पहुँचाती है। यह लकवा और हार्ट फैल्योर का भी मुख्य कारण है। आजकल बच्चों में भी हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण देखने को मिल रहे हैं। एक शोध के आँकड़ें स्पष्ट करते हैं कि लगभग 18.5% किशोरों को यह बीमारी अपनी चपेट में ले चुकी है, जो कि वैश्विक स्थिति (लगभग 3-5%) से कई गुना अधिक है। हालाँकि, कुछ शोध में इसका प्रतिशत 2% से 20.5% तक पाया गया है। हालाँकि, हाई ब्लड प्रेशर के कोई विशेष लक्षण नहीं होते हैं, लेकिन कुछ लोगों में साँस का फूलना, दिन भर थकान होना, सिर दर्द होना, चक्कर आना, पैरों में सूजन आना, जी मचलाना या बेवजह चिड़चिड़ापन होना आदि इसके लक्षणों के रूप में देखे जा सकते हैं।
इन लक्षणों के पाए जाने पर मरीजों को सलाह दी जाती है कि समय व्यर्थ किए बिना डॉक्टर से संपर्क करें और समय-समय पर नियमित रूप से इसकी जाँच करवाते रहें। नियमित उपचार इस बीमारी की वजह से भविष्य में होने वाले दुष्परिणामों से हमें बचा सकता है। हेल्दी लाइफस्टाइल, शारीरिक व्यायाम और नियमित रूप से योग करके हाई ब्लड प्रेशर की संभावना को कम किया जा सकता है। भोजन में नमक की मात्रा को कम यानी एक दिन में सिर्फ 25 ग्राम नमक का सेवन इसकी रोकथाम में मददगार साबित होता है। मरीजों को चाहिए कि वे अल्कोहल, धूम्रपान और जंक फूड के सेवन से बचें और जितना अधिक हो सके अपने भोजन में हरी सब्जियों और ड्राई फ्रूट्स को शामिल करें तथा पर्याप्त मात्रा में नींद लें। उपरोक्त सभी को अपनी दिनचर्या में शामिल करके ब्लड प्रेशर से काफी हद तक राहत मिल सकती है।