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आचार्य जिनमणिसूरीश्वर की अगवानी में उमड़ा जैन समाज
दिल में आस्था, सिर पर कलश, लगे आचार्यश्री के जयकारे
इन्दौर. गुजरात की आदिवासी मंडली… भजनों की प्रस्तुति देती महिलाऐं… बैंड-बाजों की स्वर लहरियों पर नाचते-झूमते समग्र जैन समाज के बंधु और मंगल जुलूस में जगह-जगह मार्ग में गुरूवर की अगवानी करते लोग…
यह नजारा था रविवार को राजबाड़ा क्षेत्र का. जहां 24 साल बाद इन्दौर चातुर्मास पर पधारे आचार्य भगवंत जिनकान्तिसागर सूरीश्वर के शिष्य गच्छाधिपति आचार्य जिनमणिसूरीश्वरजी के मंगल जुलूस का. जहां हजारों की संख्या में समग्र जैन समाज के बंधुओं ने गुरूवर की अगवानी की. 24 साल बाद हुए इस भव्य मंगल जुलूस प्रवेश में सभी समाज बंधुओं के साथ-साथ अन्य संगठनों के पदाधिकारी भी बड़ी संख्या में शामिल हुए. जहां सभी समाज बंधुओं ने अगवानी के पश्चात भव्य मंगल जुलूस भी निकाला.
श्री जैन शवेताम्बर खरतरगच्छ श्रीसंघ एवं चातुर्मास समिति के प्रचार सचिव संजय छाजेड़ एवं चातुर्मास समिति संयोजक छगनराज हुंडिया एवं विजय मेहता ने जानकारी देते हुए बताया कि राजबाड़ा से निकले मंगल जुलूस में गुरुदेव की जय…जयकार… हमने आपो आशीर्वाद के जयकारों के साथ समाजजन ने उनकी अगवानी की. जुलूस में इन्दौर के साथ-साथ उज्जैन, देवास, रतलाम, नागदा सहित अन्य शहरों से भी जैन धर्मावलंबियों ने भाग लिया था.
गच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्री जिनमणिप्रभ सूरीश्वरजी महाराज के मंगल प्रवेश पर रविवार को प्रात: 8 बजे राजबाड़ा से जुलूस भी निकाला गया. यात्रा में घोड़े-बग्घी, बैंड-बाजे, ढ़ोल-ताशा पार्टी के साथ-साथ गुजरात से आई आदिवासियों की मंडली भी यात्रा के मार्ग में गरबों की प्रस्तुतियां देते हुए चल रही थी.
चार्य भगवंत श्री जिनमणिप्रभ सूरीश्वरजी म.सा. का यह मंगल जुलूस राजबाड़ा से प्रारंभ होकर गोपाल मंदिर, बड़ा सराफा, सीतलामाता बाजार, खजूरी बाजार, गौराकुंड, टोरी कॉर्नर, बड़ा गणपति होते हुए महावीर बाग पहुंचाय जहां इस मंगल जुलूस का समापन हुआ।
शोभायात्रा समापन के पश्चात गच्छाधिपति सभी भक्तों को आशीर्वचन भी दिए. महावीर बाग छमा श्रमण पुस्तक का विमोचन भी आचार्यश्री के सान्निध्य में समिति के पदाधिकारियों द्वारा किया गया।
भजनों की विशेष प्रस्तुतियां
श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ श्रीसंघ एवं चातुर्मास समिति से जुड़े डुंगरचंदजी हुंडिया, हेमंत लसोड़, बंसत लुनिया ने बताया कि गच्छाधिपति के इस मंगल जुलूस में श्वेताम्बर जैन समाज की अलग-अलग संगठनों से जुड़ी 15 से अधिक महिला मंडल द्वारा जुलूस में भजनों की भी प्रस्तुतियां दी गई. मंगल जुलूस के अग्र भाग में जहां महिलाएं अपने सिर पर कलश धारण कर शामिल हुई वहीं जुलूस के मध्य भाग में महिलाएं भजनों की भी प्रस्तुतियां दे रही थी. मंगल जुलूस में महिलाएं धर्मध्वजा अपने हाथों में थामे गुरुवर की अगवानी में जयजयकार लगाते हुए मार्ग में चल रही थी।