इंदौर से गहरा नाता रहा है अटल जी का

इंदौर. भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गुरुवार शाम अंतिम सांस ली. वे दिल्ली के एम्स में भर्ती थे और उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था. उनकी सेहत के लिए पूरे देश में दुआओं का दौर चल रहा था. लेकिन ये दुआएं असर नहीं कर सकीं और वे अपने नश्वर शरीर को छोड़कर परायाण कर गए. अब वे भले ही हमारे बीच नहीं है लेकिन उनसे जुड़ी कई अविस्मरणीय यादें छोड़ गए है. वाजपेयी जी का इंदौर से भी नाता और कई बार इंदौर आए.
उन्होंने यहां कई यादगार लम्हें बिताए. खास बात ये थी कि यहां के कई नेताओं को वे उनके नाम से ही पहचानते थे. बताते हैं उन्हें यहां के नमकीन और पोहे-जलेबी भी काफी पसंद थे. विशेष बात यह है कि उनकी भांजी और भतीजी भी इंदौर में ही रहती है. उनके निधन पर देश के साथ शहर में भी शोक की लहर है. शोक के इस माहौल में उनसे जुड़े कई लोगों ने उनसे जुड़ी यादें साझा की.

तेजस्वी तारा अस्त हो गया: महाजन

लोक सभा अध्यक्ष, श्रीमती सुमित्रा महाजन ने अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर शोक व्यक्त किया. अपने सन्देश में श्रीमती महाजन ने कहा कि भारतीय राजनीति के आसमान का तेजस्वी तारा आज अस्त हो गया. भारत रत्न ही नहीं सचमुच भारत माता के मुकुट का एक दैदीप्यमान रत्न जिसने साहित्य हो या राजनीति, सामाजिक सौहार्द की बात हो या राजनीतिक संयम और सभी दलों के नेताओं को अपनी सुरम्य भाषा से प्रभावित कर, एकत्रित करके एक अनूठी मिसाल कायम की. ऐसा अनोखा बेमिसाल रत्न जो भारत माता के मुकुट को सुशोभित कर रहा था, आज काल के खोह में समा गया – मुकुट का वह कोंदण – वह जगह खाली हो गयी. संघ के स्वयंसेवक से लेकर प्रधानमंत्री तक का सफर, युगपुरुष अटल बिहारी वाजपेयी,  भारतीय राजनीति के क्षितिज पर उभरे सर्वाधिक चमकदार सितारे थे. भारत माता के महानतम सपूतों में से एक थे. उनके मोहक व्यक्तित्व का चुम्बकीय प्रभाव भारत के जनमानस पर था. जब वे संसद, सभा, गोष्ठियों एवं सम्मेलनों में भाषण दिया करते थे तो श्रोतागण मंत्रमुग्ध होकर बातों को सुनते थे और आनंदित होते थे। वे जितने प्रयोगधर्मी थे उतने ही व्यावहारिक भी. उनके विचार, वक्तव्य, कथन एवं कविता सीधे हृदय से उद्गारित होते थे. एक संवेदनशील कवि, एक राष्ट्रवादी पत्रकार, एक जननेता, एक राष्ट्रनायक, एक युगद्रष्टा ऐसे थे हमारे वाजपेयी जी. कार्यकर्ताओं के कार्यकर्ता एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नेताओं के भी नेता थे. न सिर्फ मेरे लिए बल्कि मेरे जैसे लाखों कार्यकर्ताओं के लिए वे एक पितृपुरुष, गुरू एवं मार्गदर्शक थे जिन्होंने अपने प्रेरणादायी व्यक्तित्व से लाखों कार्यकर्ताओं को अभूतपूर्व प्रेरणा एवं विश्वास दिया। मुझे उनका अगाध स्नेह और मार्गदर्शन प्राप्त हुआ तथा भारतीय जनता पार्टी आज जो विश्व का सबसे बड़ा राजनीतिक दल है, उसको खड़ा किया.
सच कहा जाए, तो वह अपने जीवनकाल में ही एक युग परिवर्तक नेता बन गए थे और यह उनके व्यक्तित्व और विश्वास के बल पर हुआ। दस कार्यकाल के लिए सुविख्यात सांसद, केन्द्रीय मंत्री और बाद में तीन कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री के रूप में वह महान मूल्यों और भावों का मूर्त रूप थे और उन्होंने Óसबके विकास’ पर पूरा ध्यान दिया। उनके देहावसान से हमने एक ऐसे दूरदर्शी नेता को खो दिया है जिसने भारत को हमारे सपनों की भूमि बनाने का स्वप्न देखा और जो इसे साकार करने के लिए अथक प्रयास करता रहा। उनके महाप्रयाण से राष्ट्र की अपूरणीय क्षति हुई है.

विवाह नहीं किया लेकिन बारात में तो गये है….

भारत माँ का नाम पुजाने वाले वो संस्कारी थे, भिन्न विचारों में कर्तव्य निभाते वो सुविचारी थे और विस्फोटों के बीच मुस्कराते अटल बिहारी थे. इन्हीं पंक्तियों के साथ कवि पं. सत्यनारायण सत्तन ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. वे इंदौर के साथ अटल जी का नाता बताते हुए कहते है कि अटल बिहारी इंदौर के नमकीन के बेहद शौकीन थे. जब भी इंदौर आते अपने साथ नमकीन ले जाना नहीं भूलते थे। कवि सत्तन एक वाक्या सुनाते हुए कहते है कि इंदौर में एक अधिवेशन के दौरान कवि सम्मेलन में जब एक कवयीत्रि श्रृंगार की रचना सुना रही थी, तो उन्होंने अपने साथ बैठे कवि प्यारेलाल से कहा कि श्रृंगार की कविता सुनकर आपको और अटल जी को कैसे लगता होगा? यह बात अटल बिहारी ने भी सुन ली और बड़े मलीन लहजे में कहा कि सत्तन जी श्रृंगार श्रृंगार होता है, वो सभी को रुचिकार होता है. हम लोगों ने विवाह नहीं किया लेकिन बारात में तो गये ही है ना. इसलिए हम भी श्रृंगार को अच्छी तरह जानते है.
आगे कवि सत्तन बताते है कि अटल जी छोटे-बड़े सभी का सम्मान से वार्ता स्थापित करते थे. इतने बड़े शख्सियत होने के बावजूद वह कभी इसका अहसास किसी को होने नहीं देते थे. यहाँ तक की पत्रकार भी उनके सामने हिचक जाते थे, तो अटल जी उनसे कहते कि मैं भी पत्रकार रहा हूँ, खुलकर पूछिए सवाल. अटल जी पान कभी कभार ही खाते, इंदौर के टोरी कॉर्नर की पान उन्हें काफी पसंद आयी थी.

हंसी मजाक से बनाते थे माहौल आनंदमयी: विजयवर्गीय

कैलाश विजयवर्गीय ने भी ट्वट करके अपनी अटल बिहारी वाजपेयी के साथ यादे साझा की. विजयवर्गीय लिखते है जब में पहली बार पार्षद बना था तब उनसे मिलना हुआ तो उन्होंने पूछा था कि मेरी बिरादरी के कौन-कौन है? हम समझ नहीं पाए तो उन्होंने फिर कहा कि भाई कुंवारे कौन-कौन है? तब हमे असली मतलब समझ में आया. ऐसे ही हंसी-मजाक से अटल बिहारी वाजपेयी जी माहौल को आनंदमयी बना देते थे. विजयवर्गीय ने आगे कहा कि युगपुरूष अटल बिहारी वाजपेयी एक आदर्श हैं. अजातशत्रु, सर्व सम्मानीय, अथक परिश्रमी, परम देशभक्त, प्रबुद्ध कवि, दूरदृष्टा, पथ प्रदर्शक जिनके सान्निध्य का सौभाग्य हमारी पीढ़ी को मिला और जीवन का पाठ आने वाली अनेकों पीढिय़ों को मिलेगा.

वास्तविक अर्थो में अजात शत्रु थे अटलजी: गोपीकृष्ण नेमा

भाजपा नगर अध्यक्ष गोपीकृष्ण नेमा ने कहा कि अजात शत्रु शब्द को अटलजी ने अपने कार्य व्यवहार से चरितार्थ किया. उनके व्यक्तित्व की विशालता थी वे जिनकी तीखी आलोचना करने थे वे भी उनसे आत्मसात हो जाते थे. उनका वक्तव्य कौशल और आचरण सदैव अनुकरणीय रहा, वे आदर्श सांसद और प्रतिपक्ष के नेता के रूप में पक्ष-विपक्ष में समान रूप से लोकप्रिय रहे. उस समय यह धारणा थी कि देश में कांग्रेस के अतिरिक्त कोई और विचारधारा टिक नहीं पायेगी, जनसंघ से लेकर भाजपा तक की यात्रा में अटलजी केन्द्र बिन्दु रहे. आजादी के पूर्व जन्मे वाजपेयीजी एक मात्र गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने. इतने लम्बे राजनैतिक जीवन में बेदाग रहते हुए, अटल पारी खेलना, अटलजी के ही बस की बात थी.

शहर काँग्रेस ने शोक व्यक्त किया

पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के निधन पर इंदौर शहर काँग्रेस ने गहरा शोक व्यक्त किया है. शहर काँग्रेस के का. अध्यक्ष विनय बाकलीवाल ने कहा कि अटलजी एक कुशल व्यक्तित्व के धनी थे,उनके जि़ब्हा में सरस्वती विराजमान थे। उनका निधन एक अनुपूर्णीय क्षति है. शहर काँग्रेस इंदौर उनके निधन पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि देती है,उन्हें नमन करती है.

पूरे परिवार के साथ बैठकर खाना खाते थे

गुरुवार सुबह शहर इंदौर में रहने वाली उनकी भतीजी माला तिवारी अटल जी को देखने के लिए दिल्ली रवाना हो रही थी. इस दौरान विमानतल पर उन्होंने मीडिया से विशेष बातचीत की थी. उन्होंने उनकी यादें ताजा करते हुए बताया कि राजनीति में वंशवाद को बढ़ावा नहीं देने का सबसे बड़ा उदाहरण है चाचा जी. उन्होंने कभी परिवार के लोगों को राजनीति में प्राथमिकता नहीं दी और इसका उदाहरण हमारा पूरा परिवार है. मैंने भी हमेशा संगठन के लिए ही काम किया. वे कभी भी राजनीति में परिवार को आगे लाने के लिए कार्य नहीं करते थे. उल्लेखनीय है कि माला की शादी इंदौर के तिवारी परिवार में हुई है. माला ने बताया कि चाचाजी से मेरा रिश्ता बचपन से बेहद खास रहा है. जब भी वे इंदौर आते थे पूरे परिवार के साथ बैठकर भोजन जरूर करते थे. उन्होंने बताया कि, एक बार चाचा जी 2003 में पार्टी के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए इंदौर आए थे. प्रोटोकॉल के तहत वह घर तो नहीं आ पाए लेकिन उस समय रेसीडेंसी में डिनर रखा था और चाची जी ने पूरे परिवार के साथ भोजन किया था. चाचा जी जब भी इंदौर आते थे परिवार के साथ ही डिनर करते थे. साथ ही उन्होंने बताया कि चाचाजी को फिल्म देखने का काफी शौक था, इसलिए वे समय मिलते ही परिवार के साथ फिल्म देखने अवश्य जाते थे. खासकर दीपावली के अगले दिन तो हमारा फिल्म देखने जाने का कार्यक्रम बिल्कुल तय ही होता था. उन्हें फिल्म रजीया सुल्तान काफी पसंद थी.

किताब लिखूं तो संस्मरण कम पड़ जाए

अटलजी की एक भांजी संध्या इंदौर में रहती हैं. 1977 में संध्या की शादी में अटलजी पूरे समय मौजूद रहे थे. अटलजी संध्या को जयमाला के लिए खुद लेकर आए थे. विदाई के समय संध्या जैसे ही अपने अटलजी से गले लगीं उनकी आंखों में आंसू आ गए. संध्या शुक्ला बताती हैं कि मामाजी से जुड़ी इतनी यादें हैं कि एक किताब लिखूं तो भी उनके संस्मरण कम पड़ जाएं. उनका कहना है कि अपनी शादी की बात कभी नहीं भूल सकती. मेरी शादी के एक दिन पहले उन्होंने मेरे लिए ख़ासतौर पर गुलाब जामुन मंगाकर अपने हाथों से खिलाया था. उस समय चुनाव हुए ही थे. थोड़े दिन बाद ही जनता पार्टी की सरकार बनी और मामाजी को विदेश मंत्री बनाया गया। शादी के चार-पांच महीने बाद जब उनसे मिली तो मुझसे कहने लगे कि मैंने तेरा कन्यादान करके तुझे ससुराल भेजा. तुम लोगों ने मुझे विदेश मंत्रालय में ही भिजवा दिया. यह कह वे जोरदार ठहाके लगाने लगे. संध्या बताती हैं कि अपने बेटे की शादी के बाद वे बहू को अटलजी से मिलवाने ले गई थीं. तब अटल जी ने बहू को खूब दुलार किया. अपने हाथों से नाश्ता कराया और जब हम लौट रहे थे तो मुझसे पूछा तुमको नजर उतारना आती है. जब मैंने कहा हां… आती है, तो कहने लगे घर जाकर बहू की नजर जरूर उतार देना.

भाजपा नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

पूर्व प्रधानमंत्री, काव्य के समन्दर, पत्रकार हृदय, भारत रत्न, देश के सर्वमान्य राजनेता, भारत माता के सपूत अटलबिहारीजी वाजपेयी के निधन की खबर जैसे ही प्राप्त हुई भाजपा के सभी नेता व कार्यकर्ता स्तब्ध रह गये. अटलजी का मध्यप्रदेश के साथ ही इंदौर से भी गहरा जुड़ाव रहा है. समय-समय पर इंदौर आगमन पर इंदौर के सभी राजनैतिक दलों के अलावा इंदौर की जनता ने उनका भावपूर्ण सम्मान किया. भारतीय राजनीति में अटलजी ने कई अटल व अमिट आयाम स्थापित किए जो हमेशा याद किये जायेंगे. आज उनके निधन पर  लोकसभा अध्यक्ष, सांसद श्रीमती सुमित्रा महाजन, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजवयवर्गीय, गृह निर्माण मंडल के अध्यक्ष कृष्णमुरारी मोघे, लघु उद्योग विकास निगम के अध्यक्ष बाबूसिंह रघुवंशी, संभागीय संगठन मंत्री जयपालसिंह चावड़ा, भाजपा नगर अध्यक्ष गोपीकृष्ण नेमा, महापौर श्रीमती मालिनी गौड, विधायक सुदर्शन गुप्ता, रमेश मेंदोला, सुश्री उषा ठाकुर, महेन्द्र हार्डिया, मनोज पटेल, राजेश सोनकर, जीतू जिराती, इ.वि.प्रा अध्यक्ष शंकर लालवानी, प्रदेश प्रवक्ता उमेश शर्मा, प्रदेश सह मीडिया प्रभारी सर्वेश तिवारी, जिला अध्यक्ष अशोक सोमानी, कैलाश शर्मा, सूरज कैरो, गोविन्द मालू, महामंत्री मुकेशसिंह राजावत, गणेश गोयल, घनश्याम शेर, अजयसिंह नरूका, उपाध्यक्ष कमल वाघेला, जयंत भीसे, जयदीप जैन, नानूराम कुमावत, बबलू शर्मा, आलोक दुबे, गोलू शुक्ला, डॉ. उमाशशि शर्मा, श्रीमती अंजू माखीजा, देवकीनंदन तिवारी, अखिलेश शाह, सुश्री कविता पाटीदार सहित सभी भाजपा कार्यकर्ताओं ने शोक संवेदना व्यक्त की.

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