ब्लू डार्ट ने साल 2020 में कान्हा-पेंच वाइल्डहलाइफ कॉरिडोर में 1,11,000 पेड़ लगाए

मुंबई. ब्लू डार्ट एक्‍सप्रेस लिमिटेड, भारत की अग्रणी एक्‍सप्रेस लॉजिस्टिक्स सर्विस प्रोवाइडर और ड्यूश पोस्ट डीएचएल ग्रुप (डीपीडीएचएल) का भाग, ग्रो-ट्रीज़ के सहयोग से कान्हा-पेंच वाइल्‍डलाइफ कॉरिडोर में 1,11,000 पेड़ लगाएगी। इसी साल 2020 में ब्लू डार्ट इन पेड़ों को लगाने का कार्य पूरा करेगी और परिपक्व होने पर, इन 1,11,000 पेड़ों से 22,22,000 किलोग्राम कार्बन हर साल ऑफसेट होने की संभावना है। 

जो पेड़ लगाए जाएंगे उनमें देशी नस्ल के वृक्ष शामिल हैं जैसे इमली, शीशम, सिरस, सागौन, करंज, सीताफल या शरीफा, बेर, काटेस्वरी या सेमल, काशिद, बेल, आँवला। इस अभयारण्य के आसपास पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण, वन्यजीव आवास का पुनर्निमाण और देश में आरक्षित जंगलों को बढ़ाने में मदद करने के साथ आदिवासी समुदायों की सहायता करना इत्यादि इस वृक्षारोपण अभियान के पीछे के कुछ उद्देश्य हैं।

ब्लू डार्ट ने इससे पहले कान्हा-पेंच गलियारे में 222,000 पेड़ लगाए हैं। कान्हा-पेंच गलियारे में पेड़ लगाए जाने की अनोखी परियोजना से इस क्षेत्र की जैव-विविधता को पुनर्जीवित करने, मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने में मदद मिली है और इसके साथ ही हर साल गढ्ढे खोदने और वृक्षारोपण गतिविधियों में ही 5,600 कार्यदिवस निर्माण कर 70 से ज़्यादा परिवारों को प्रत्यक्ष रोज़गार उपलब्ध कराया जाता है। यहाँ तक कि महामारी के कठिन समय के दौरान भी करवाही, दुलारा गाँव के निवासियों को सूखा अनाज वितरित कर और रोज़गार के अवसर पैदा कर पूरी सहायता उपलब्ध कराई गई।   

साल 2017 से अब तक, ब्लू डार्ट एक्‍सप्रेस लिमिटेड ने Grow-Trees.com के सहयोग से ओडिशा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, गुजरात और सिक्किम इन पाँच भारतीय राज्यों में कुल 4,52,000 पेड़ लगाए हैं जिससे करीब 90 लाख किलोग्राम के कार्बन फुटप्रिंट ऑफसेट होने की संभावना है। इतने बड़े पैमाने पर किए गए वृक्षारोपण से इको-टूरिज़म को बढ़ावा देने, हरियाली (ग्रीन कवर) में वृद्धि करने और आदिवासी-ग्रामीण समुदायों खासकर गोंड जाति की महिलाओं की मदद करना संभव हो पाया है।

इस कार्यक्रम के बारे में प्रतिक्रिया देते हुए, ब्लू डार्ट एक्सप्रेस लिमिटेड के एमडी, श्री बालफोर मैन्युअल ने कहा, “हमारी मूल कंपनी ड्यूश पोस्ट डीएचएल (डीपीडीएचएल) की रणनीति में संवहनीयता एक महत्वपूर्ण भाग रहा है जिससे ज़िम्मेदार होने और दुनियाभर के समुदायों के साथ काम करने के उसके संकल्प पर ज़ोर दिया जा सके। हमारे समूह के व्यापक पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रम गोग्रीन का मुख्य उद्देश्य ग्रीन हाउस गैसों को कम करना और /

या इनके उत्सर्जन से बचना और हमारे पर्यावरण की रक्षा और परिरक्षण करना। 111,000 पेड़ लगाना इसी दिशा में एक और कदम है और लॉजिस्टिक्स सेक्टर को हरियाली से परिपूर्ण एवं ज़्यादा संवहनीय बनाने की हमारी कोशिश है। साल 2020 में हम कचरे को दूर करने के तरीके ढूंढने और हमारे उत्पादों के महत्‍व को बनाए रखना जारी रखेंगे।”

बिक्रांत तिवारी, सीईओ, Grow-Trees.com ने कहा, ब्लू डार्ट एक्सप्रेस लिमिटेड द्वारा एक कदम आगे आना और पर्यावरण के लिए जिम्मेदारी लेते देखना बहुत सुखद है, हमारे जीवन का एक पहलू जिसका हम एक समुदाय के तौर पर सही मूल्य नहीं समझते। ग्रामीण समुदाय प्रमुखता से बताते हैं किस तरह वनों की कटाई से पेंच बाघ अभयारण्य में वन्यजीवों का गाँवों में प्रवेश करना शुरू हो गया है जिसके चलते अक्सर जानवरों और गाँववासियों दोनों में क्षति पहुँचने और घायल होने की घटनाएं बढ़ी हैं।

इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था प्रमुख रूप से खेती पर निर्भर करती है जो जानवरों द्वारा हमलों के कारण बाधित हो जाती है। इस क्षेत्र में लगाए गए पेड़ जंगलों में बाघों की संख्या को संवहनीय बनाने में आवश्यक संसाधनों को उपलब्ध कराएंगे। हम कल्पना कर सकते हैं कि यह सहयोग आसपास की जैव विविधता के संवहनीय विकास के लिए फलदायी साबित होगा।

पेंच बाघ अभयारण्य के तौर पर चिन्हित क्षेत्र भारत में बाघों की उल्लेखनीय जनसंख्या के लिए घर है और इसे दुनिया में सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण बाघ आवास के तौर पर रैंकिंग प्राप्त है। इस साल के अभियान के लिए पेंच और कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के बीच वन्यजीव गलियारे के चुनाव का उद्देश्य इस क्षेत्र में रह रहे बाघों को ज़्यादाघूमने फिरने के क्षेत्र उपलब्ध कराने में मदद करना है जो उनके बचने की संभावना और वृद्धि में सुधार लाता हे।

पेंच बाघ अभयारण्य की परिधि में करवाही गाँव के ईर्द-गिर्द लगाए गए पेड़ बाघों के आवास को सुरक्षित करेंगे और इसके साथ ही इन इलाकों में रहने वाले आदिवासी समूहों को प्रचुर मात्रा में जंगल आधारित संसाधन उपलब्ध कराएंगे, जो भोजन, ईँधन और आजीविका के लिए पेड़ों पर निर्भर रहते हैं। साल 2018 में एनएच  44 पर कान्हा और पेंच बाघ अभयारण्य मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के बीच नौ अंडरपास का निर्माण किया गया ताकि सड़क दुर्घटना में जानवरों के मारे जाने की घटना रोकी जा सके और जानवरों के लिए एक सुरक्षित मार्ग उपलब्ध हो सके।  

ब्लू डार्ट अपने आसपास के परिवेश को लेकर दृढ़ता से प्रतिबद्ध है। इसके ध्येय वाक्य “लोगों को जोड़ना, ज़िदगियों में सुधार लाना” के अंतर्गत ब्लू डार्ट का ध्यान तीन प्रमुख स्तंभों पर केंद्रित है, जैसे कि गो टीच (शिक्षा क्षेत्र से जुड़े कार्य), गो ग्रीन (पर्यावरण की सुरक्षा) और गो हेल्प (आपदा प्रबंधन प्रतिक्रिया), जो सफल रूप से समुदायों और पर्यावरण पर असर करते हैं। 

इसके साथ ही ब्लू डार्ट मिशन 2050-ज़ीरो एमिशन (शून्य उत्सर्जन) के लक्ष्य के लिए काम कर रही है, जहाँ ब्रांड का मिशन है, परिवहन क्षेत्र के भविष्य के लिए मानदंडों को तय कर बिज़नेस को ज़ीरो एमिशन लॉजिस्टिक्स की ओर लेकर जाना और इसके लिए विश्व समुदाय को ग्लोबल वॉर्मिंग 2 डिग्री सेल्सियस से कम के स्तर तक सीमित करने के उनके लक्ष्य को हासिल करने में अपने हिस्से की सहायता कर रही है। ब्लू डार्ट ने मिशन 2050 कार्यक्रमों के अंतर्गत भारत में पिछले 4 वर्षों में 4,52,000 पेड़ लगाए हैं, जो डीपीडीएचएल समूह के 10 लाख पेड़ प्रति वर्ष लगाए जाने के वैश्विक लक्ष्य के लिए 10% से ज़्यादा का योगदान है।

* कार्बन ऑफसेटिंग करने की पेड़ों की क्षमता वृक्षों की हर नस्ल में अलग-अलग होती है। एक परिपक्‍व वृक्ष द्वारा निम्नतम मूल्य 20 किग्रा प्रति वर्ष माना गया है।

* वृक्षों की परिपक्‍वता हर नस्ल के लिए अलग होती है, सामान्य तौर पर जंगलों में पाए जाने वाली नस्लों में यह 7-8 वर्ष है और विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है जैसे ज़मीन की स्थिति, वातावरण में होने वाले बदलाव इत्यादि।

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