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चातुर्मास में सद्गुरू की संगति पाकर जीवन का रूपांतरण करें: साध्वी डॉ. शिवाजी

इन्दौर. महावीर नगर में स्थित जैन साधना भवन में आचार्य सम्राट डॉ. शिवमुनि की आज्ञानुवर्ती श्रमणी गौरव डॉ. शिवाजी अपनी चार शिष्याओं सहित चातुर्मास के लिए जैन साधना भवन में विराजमान हो गई हैं. साध्वीजी ने शनिवार को जैन साधना भवन में सभी श्रावक-श्राविकाओं को जैन धर्म में चातुर्मास के महत्व विषय पर अपने प्रवचनों की अमृत वर्षा की.
उन्होंने अपने प्रवचनों में कहा कि चातुर्मास का मंगल प्रारंभ आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा के मंगलकारी दिन से होता है. चातुर्मास यानि आत्म घर में प्रवेश करने का मौका, जीवन परिवर्तन करने का मौका. चातुर्मास एक अवसर हैं जो श्रावक इस अवसर का सद्पयोग कर प्रवचनों को अपने अंदर जीवन में उतारता है. उसका जीवन सफल हो जाता है। जो इस अवसर को टाल देता है अवसर भी उनको टाल देते हैं. चातुर्मास का प्रमुख लक्ष्य है आत्म कल्याण, आत्म चिंतन और कर्मों की निर्जरा. चातुर्मास काल में सभी श्रावक-श्राविकाऐं सद्गुरू की संगति पाकर जीवन का रुपांतरण करें. ये चार माह का चातुर्मास साधु-साध्वी के लिए ही नहीं प्रत्येक मनुष्य के लिए कल्याणकारी है.
चारों मास देते हैं संदेश
इसमें पहला महिना सावन का होता है जो हमें प्रेरणा देता है कि हम श्रोता बनें। दूसरा महिना भादौ का होता है जो हमें तप करने की प्रेरणा देता है। तीसरा महिना आश्विन- संयम में रहने की प्रेरणा देता है और चौथा महिना कार्तिका है जो हमें कर्म करने की प्रेरणा देता है.
जैन साधना भवन से जुड़े विक्रम श्रीमाल, अशोक सुराणा ने जानकारी देते हुए बताया कि साध्वीजी के प्रवचन प्रतिदिन प्रात: 9 से 10 बजे तक महावीर नगर स्थित जैन साधना भवन में होंगे. वहीं रात्रि में प्रतिदिन 8 से 9 बजे तक सामूहिक जाप होंगे एवं समय-समय पर कार्यक्रम एवं अनुष्ठान भी आयोजित किए जाएंगे. साध्वी शिवाजी मसा का चातुर्मास 27 जुलाई से महावीर नगर स्थित जैन साधना भवन में शुरू हो चुका है.