ऊर्जा-केंद्रित थीमैटिक फंड में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ रही है, क्योंकि निवेशक लंबी अवधि के मेगाट्रेंड पर लगा रहे हैं दांव

इंदौर| मई, 2025: बाज़ार में अस्थिरता के माहौल के बीच, थीमैटिक म्यूचुअल फंड में निवेशकों की अच्छी दिलचस्पी देखी गई, जिसका श्रेय विशिष्ट वृद्धि वाले (ग्रोथ) खंडों को किये जाने वाले लक्षित निवेश को जाता है। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) के आंकड़ों के अनुसार, थीमैटिक और सेक्टोरल फंड ने इस गति को दर्शाते हुए वित्त वर्ष ‘25 में 1.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त किया, जो वित्त वर्ष 24 में प्राप्त राशि का तीन गुना है।
ऊर्जा-केंद्रित फंड ने थीमैटिक श्रेणी के भीतर निवेशकों के बीच कुछ रुचि दर्ज की है। वैल्यू रिसर्च के अनुसार, इन फंडों ने 2024 में 13% से अधिक का सालाना रिटर्न दिया, जो लगातार दूसरे साल हुई वृद्धि को दर्शाता है।
टाटा एसेट मैनेजमेंट के फंड मैनेजर, सतीश चंद्र मिश्रा कहते हैं, “भारत की ‘विकास की कहानी’ के मूल में है, ऊर्जा – परिवहन का विद्युतीकरण, डिजिटल बुनियादी ढांचे का विस्तार और स्वच्छ ऊर्जा की ओर संक्रमण बहु-वर्षीय निवेश के अवसर खोल रहे हैं। ऊर्जा-केंद्रित फंड निवेशकों को एक ही पोर्टफोलियो में चक्रीय रिकवरी (सर्कुलर रिकवरी) और हर लिहाज़ से विकास (सेक्युलर ग्रोथ) दोनों की क्षमता का लाभ उठाने में मदद करते हैं, जिससे वे मुख्य इक्विटी होल्डिंग के लिए एक शक्तिशाली पूरक बन जाते हैं।”
टाटा रिसोर्सेज एंड एनर्जी फंड की प्रबंधन के तहत परिसंपत्ति (एयूएम) 31 मार्च, 2025 तक साल-दर-साल दोगुनी होकर 1,048 करोड़ रुपये हो गई। उल्लेखनीय रूप से, इसने मजबूत खंडवार निवेश आकर्षित किया, जिसमें इंदौर से प्रवाह पिछले वित्तीय वर्ष में 2.74 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 25 में 10.97 करोड़ रुपये हो गया । फंड ने 10.2% का वार्षिक रिटर्न दिया और निफ्टी कमोडिटीज़ इंडेक्स (2.6%) तथा निफ्टी 50 (6.7%) से बेहतर प्रदर्शन किया।
टाटा रिसोर्सेज एंड एनर्जी फंड धातु और सीमेंट जैसे चक्रीय क्षेत्रों और रसायन और कृषि-इनपुट जैसे हर तरह के (सेक्युलर) विकास चालकों के बीच रणनीतिक रूप से संतुलन बनाता है जनवरी 2016 में स्थापना के बाद से फंड के डायरेक्ट प्लान में 10,000 रुपये का मासिक एसआईपी बढ़कर 25.92 लाख रुपये हो गया होगा, जो अनुशासित निवेश और दीर्घकालिक धन चक्रवृद्धि की शक्ति को रेखांकित करता है, यहां तक कि अल्पकालिक अस्थिरता के बीच भी।
भारत का विकसित ऊर्जा परिदृश्य, 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा क्षमता और 2035 तक 100% कार्बन प्रदूषण मुक्त बिजली हासिल करने के सरकार के लक्ष्य से प्रेरित है, जिससे डेटा सेंटर, ईवी, हाइड्रोजन और यहां तक कि सीमेंट जैसे क्षेत्रों में मांग बढ़ रही है, जहां उद्योग स्थिरता को बढ़ावा देने और उत्सर्जन में कटौती करने के लिए वैकल्पिक सामग्रियों को तेजी से अपना रहा है।
टाटा रिसोर्सेज एंड एनर्जी फंड जैसे ऊर्जा-केंद्रित थीमैटिक फंड, इस खंड के फंडामेंटल मज़बूत होने और अनुकूल परिस्थितियों के बीच निवेशकों के लिए अपने पोर्टफोलियो को दीर्घकालिक मेगाट्रेंड के अनुरूप बनाने का अवसर प्रस्तुत करते हैं।