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जेल में बंद मित्र की मदद से जन्मा एक रूपया एक ईंट का सिद्धांत
अग्रसेन महासभा की मेजबानी में पहली बार महाराजा अग्रसेन महानाटय का हुुआ मंचन
इंदौर,। महाराजा अग्रसेन ने महाभारत के युद्ध में मात्र सोलह वर्ष की उम्र में भाग लिया था। ‘ एक रूपया एक ईंट‘ का आदर्श सिद्धांत जेल में बंद एक मित्र की हालत से द्रवित हो कर लागू किया गया था।
अपने अठारह पुत्रों का उन्होने सामूहिक विवाह किया था और यज्ञ में पशु बलि का वीभत्स दृश्य देख कर वे इतने क्षुब्ध हुए कि पूरे राज्य में पशु बलि पर प्रतिबंध लगा दिया। इसी कारण से उन्हाने क्षत्रिय धर्म को छोड़ कर वैश्य धर्म अपनाया था। सूखे की स्थिति में नहरों और नदियों को जोड़ने की शुरूआत भी अग्रसेन ने ही की।
ऐसी अनेक बाते कल शाम रेसकोर्स रोड खेल प्रशाल परिसर स्थित लाभ मंडपम् सभागृह में मुंबई के प्रख्यात फिल्म एवं टीवी धारावाहिकों के 30 कलाकारों ने महाराजा अग्रसेन के जीवन चरित्र पर आधारित दो घंटे के महानाटय के रंगारंग मंचन के दौरान बताई।
नाटक के निर्माता निर्देशक प्रदीप गुप्ता, प्रोडयूसर योगेश अग्रवाल सहित कुल 30 कलाकारों ने इस मंचन के माध्यम से महाराजा अग्रसेन के जन्म से ले कर संपूर्ण जीवनकाल के अनेक अनछुए तथ्यों को प्रभावी ढंग से व्यक्त किया। इस दौरान खचाखच भरे सभागृह मंे लगातार तालियां बजती रही।
जेल में बंद अपने मित्र की दयनीय हालत देख कर अग्रसेन ने निर्णय लिया कि मित्रों और जरूरतमंदांे की सहायता भीख नहीं, उपहार के रूप में दी जाएगी और राज्य के सभी सक्षम लोगो ने एक रूपया एक ईंट दे कर उसकी मदद की। यहीं से समता और समाजवाद के सिद्धांत का भी जन्म हुआ।
नाटक के अन्य प्रसंगों में महाराजा अग्रसेन और नागवंश की राजकुमारी माधवी के विवाह का दृश्य भी प्रभावी था। पार्श्व गायक सुरेश वाडकर ने इस नाटक में पार्श्व गायन किया है। महालक्ष्मी के वरदान का प्रसंग भी भावपूर्ण रहा। नाटक में कुल नौ महिलाएं और युवतिया तथा 19 पुरूषों ने अपने जीवंत अभिनय से महाराजा अग्रसेन के जीवन चरित्र को बखूबी साकार किया।
ध्वनि एवं प्रकाश, गीत- संगीत, वेशभूषा, सवांद अदायगी आदि सभी मामलों में यह एक बेहतर महानाटय कहा जा सकता है।प्रारंभ में महासभा के अध्यक्ष राजेश बसंल पंप, महासचिव सीए एस एन गोयल, पवन सिंघल क्रेन, अरूण आष्टावाले, अजय आलूवाले एवं अन्य सदस्यों ने सभी मेहमानों एवं कलाकारों का स्वागत किया।
समाजसेवी विनोद अग्रवाल, प्रेमचंद गोयल, पी.डी. अग्रवाल कान्ट्रेक्टर, विनोद सिंघानिया, टीकमचंद गर्ग, विष्णु बिंदल के आतिथ्य मे दीप प्रज्वलन एवं अग्रसेन के चित्र पर माल्यार्पण के साथ शुभारंभ हुआ।
नाटक के निर्माता निर्देशक प्रदीप गुप्ता एवं प्रोडयूसर योगेश अग्रवाल ने अपने उदबोधन में बताया कि किस तरह उन्होने कई बरसों के प्रयासों के बाद इस स्वप्न को साकार रूप दिया है। सभागृह में दर्शकों की संख्या क्षमता से अधिक होने पर अनेक दर्शकों ने खड़े रह कर नाटक को निहारा । अंत में सभी कलाकारों के सम्मान के साथ समापन हुआ।