- उर्वशी रौतेला 12.25 करोड़ रुपये में रोल्स-रॉयस कलिनन ब्लैक बैज खरीदने वाली पहली आउटसाइडर इंडियन एक्ट्रेस बन गई हैं।
- Urvashi Rautela becomes the first-ever outsider Indian actress to buy Rolls-Royce Cullinan Black Badge worth 12.25 crores!
- 'मेरे हसबैंड की बीवी' सिनेमाघरों में आ चुकी है, लोगों को पसंद आ रहा है ये लव सर्कल
- Mere Husband Ki Biwi Opens Up To Great Word Of Mouth Upon Release, Receives Rave Reviews From Audiences and Critics
- Jannat Zubair to Kriti Sanon: Actresses who are also entrepreneurs
“अखण्ड सौभाग्य का व्रत हरतालिका तीज”
डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)

शिव-पार्वती की जोड़ी तो सृष्टि की वह जोड़ी है जो सदैव प्रेम, समर्पण एवं शक्ति को प्रदर्शित करती है। वह जोड़ी सदैव साथ में ही वंदनीय, सुशोभित एवं पूज्यनीय होती है, इसीलिए शिव स्वयं को अर्द्धनारीश्वर स्वरुप में भी प्रदर्शित करते है एवं नारीशक्ति के सम्मान का ज्ञान कराते है और शिव-शक्ति का स्वरुप पूर्णता को प्रत्यक्ष करता है। विधि का विधान देखिए सती का भस्म होना और माता पार्वती का कठिन तप के द्वारा शिव को प्राप्त करना मनुष्य जीवन को भी परीक्षाओं का ज्ञान कराता है। शिव-शक्ति के लिए तो सबकुछ सहज और सरल ही था और प्रभु तो स्वयं अन्तर्यामी है उन्हें तो सबकुछ ज्ञात था फिर भी सहज ही उन्होंने सती के हठ को स्वीकार किया और अनंत वर्षों तक पार्वती का इंतज़ार किया। ईश्वर की लीला तो हमें भी धर्म-कर्म की ओर चलने को प्रेरित करती है। मानव जीवन के लिए व्रत, तपस्या, पूजा-अर्चना इत्यादि का विधान तो शिव शम्भू व्यवहारिक रूप में बताना चाहते थे, इसीलिए माता पार्वती ने आराधना का मार्ग चुना। माता पार्वती ने शिवजी के लिए निर्जल हरतालिका तीज का व्रत रखा था। माता शिवजी को पति रूप में प्राप्त करना चाहती थी और इस तीज के व्रत द्वारा ही माता ने अखंड सौभाग्य को प्राप्त किया था। शिवजी ने माता पार्वती की कई बार परीक्षाएँ ली पर हिमालय पुत्री अपने निर्णय पर अडिग थी। वह तो महादेव के सत्यम-शिवम-सुंदरम रूप को जानती थी। महादेव तो आडम्बर से कोसों दूर है। इसका तो ऊमा को पूर्णतः ज्ञान था। वह तो प्रभु के गुणों पर मोहित थी। माता ने शिव को प्रसन्न करने के लिए उनकी प्रत्येक प्रिय द्रव्यावली शिव को अर्पित करी। साधना, उपासना और अनूठी निष्ठा के द्वारा शिव को पति रूप में प्राप्त किया। हरतालिका तीज के दिन सुहागन स्त्रियाँ एवं कन्याएँ शिव-पार्वती का विधि-विधान से पूजन करती है, मेहंदी लगाती है एवं श्रृंगार करती है। माता को भी श्रृंगार की वस्तुएँ अर्पित करती है और अपने सौभाग्य को अखण्ड करती है। इस दिन की गई पूजा-अर्चना से शिव-पार्वती प्रसन्न होते है एवं मनोवांछित फल प्रदान करते है। इस व्रत में निर्जला रहा जाता है। हरतालिका तीज की एक और मान्यता यह भी कही जाती है कि जीवन पर्यन्त इस व्रत को रखना होता है। इसकी कथा श्रवण एवं वाचन करने पर हमें इसके महात्मय और विधान का पूर्ण ज्ञान होता है। आदि अनंत अविनाशी शिव ने भी जीवन में जप, तप और साधना का ही मार्ग चुना है और माता भी प्रभु का ही अनुसरण करती है इसलिए उन्होंने भी कठोर साधना की। प्रभु ने मनुष्य को त्यौहार, व्रत और उपासना से संयुक्त कर आध्यात्म एवं धर्म से जोड़ दिया है। जीवन में उत्सव का आनन्द कभी भी कम नहीं होना चाहिए। शिव तो सदैव चिदानन्द स्वरुप का गुणगान करते है। तो आइयें पूर्ण विश्वास से हरतालिका तीज का व्रत करें एवं शिव-शक्ति के प्रति अपनी श्रद्धा को और सुदृढ़ करें। जो व्यक्ति श्रद्धा एवं भक्ति के मार्ग पर अनवरत कदम बढ़ाता जाता है वह मुक्ति के प्रदाता महादेव के द्वारा भवसागर से तर जाता है। उमापति महादेव की जय।