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भारत चाइल्ड ग्रोथ मॉनिटर ऐप पेश करने वाला पहला देश
यह ऐप 10,000 बच्चों में करेगा कुपोषण की जांच
बैंगलोर, :जर्मनी के सबसे बड़ी निजी सहायता संगठनों में से एक वेलथुंगरहिल्फे (Welthungerhilfe) ने भारतीय बच्चों में कुपोषण की समस्या को हल करने के लिए एक प्रोजेक्ट का लॉन्च किया है। माइक्रोसॉफ्ट अज़ूरे एण्ड एआई सर्विसेज़ द्वारा पावर्ड चाइल्ड ग्रोथ मॉनिटर सोल्यूषन एक क्लाउड आधारित स्मार्टफोन ऐप्लीकेशन है। वेलथुंगरहिल्फे (Welthungerhilfe) द्वारा विकसित चाइल्ड ग्रोथ मॉनिटर एक इंटेलीजेन्ट ऐप्लीकेशन है जो स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को कुपोषण की समस्या पहचानने तथा पुराने कुपोषण से जूझ रहे बच्चों को उचित देखभाल करने में सक्षम बनाता है।
भारत इस परियोजना की शुरूआत करने वाला पहला देश है। वेलथुंगरहिल्फे का भारतीय साझेदार एक्षन अगेन्स्ट हंगर (Action Against Hunger) 2019 से महाराष्ट्र, मध्यप्रदेष और राजस्थान में 5 साल से कम उम्र के 10,000 बच्चों की स्कैनिंग करेगा। 150 प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की 12 टीमों को बच्चों से जुड़े आंकड़े जुटाने के लिए ऐप-इनेबल्ड स्मार्टफोन दिए गए हैं।
दुनिया भर में बच्चों में कुपोषण से जुड़े मौजूदा आंकड़े सही नहीं हैं, क्योंकि मैनुअल तरीके से जुटाए जाने वाले आंकड़ों में मानकीकरण का अभाव होता है। इसके अलावा मनुष्य की आंखों के लिए यह पहचानना मुश्किल होता है कि बच्चा कुपोषण से ग्रस्त है या नहीं। स्मार्टफोन में उपलब्ध इन्फ्रारेड सेंसर का इस्तेमाल करते हुए चाइल्ड ग्रोथ मॉनिटर ऐप सीधे बच्चे की हाईट, बॉडी वॉल्यूम और वेट (उंचाई, वज़न और बॉडी मास) का अनुपात 3डी तरीकों से माप लेता है, और इस डेटा को अज़ूरे क्लाउड पर लोड कर देत है।
इसके बाद पोषण एवं आईटी विशेषज्ञ अज़ूरे एआई समाधानों का इस्तेमाल कर इन आंकड़ों का मूल्यांकन करते हैं और आंकड़ों की मदद से बच्चे के स्वास्थ्य का विश्लेषण करते हैं। इन आंकड़ों का इस्तेमाल क्षेत्र कर्मियों द्वारा पोषण की योजना बनाने के लिए किया जाता है। इस आधार पर बच्चे की ज़रूरत को ध्यान में रखते हुए विटामिन से युक्त पोषण की योजना तैयार की जाती है। चाइल्ड ग्रोथ मॉनिटर ऐप एक लर्निंग एल्गोरिदम है, जो हर मापन के साथ और भी स्मार्ट हो जाता है।
जोचेन मोनिन्जर, इनोवेषन डायरेक्टर, वेलथुंगरहिल्फे (ॅमसजीनदहमतीपसमिद्ध ने कहा, ‘‘आज दुनिया भर में 800 मिलियन से अधिक लोग भुखमरी से पीड़ित हैं। अगर आप यह नहीं जानेंगे, ये लोग कहां हैं तो आप इस समस्या को हल नहीं कर पाएंगे। वेलथुंगरहिल्फे (ॅमसजीनदहमतीपसमिद्ध द्वारा पेश किया गया चाइल्ड ग्रोथ मॉनिटर ऐप मानवतावादी संगठनों के लिए एक विश्वस्तरीय समाधान के रूप में उभरेगा। अकेले भारत में इस दृष्टि से बच्चों पर हज़ारों मिलियन डॉलर के निवेश की आवश्यकता है।’’
इस प्रोग्राम पर बात करते हुए सूज़ेन मेहरटेन्स, सीनियर इंडस्ट्री मार्केटिंग मैनेजर, माइक्रोसॉफ्ट जर्मनी ने कहा, ‘‘बड़ी मात्रा में मुश्किल आंकड़ों को जुटाने के लिए और इनका सही इस्तेमाल करने के लिए आधुनिक तकनीक की ज़रूरत होती है। अजू़रे की एआई सेवाएं ऐसा समाधान उपलब्ध कराती हैं जिनके द्वारा आंकड़ों का विश्लेषण कर बेहतर फैसले लिए जा सकते हैं।’’
‘‘भारत में काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मी अपने क्षेत्र में 40 से 60 बच्चों की टै्रकिंग करते हैं, लेकिन उन्हें बच्चों में पोषण के स्तर के मापन के लिए न तो प्रशिक्षण दिया जाता है और न ही संसाधन मुहैया कराए जाते हैं। इसके अलावा इन कर्मचारियों को बच्चों की उंचाई और वज़न नापने के उपकरणों के लिए भी जूझना पड़ता है। ऐसे में चाइल्ड ग्रोथ मॉनिटर इन कर्मचारियों के लिए बेहद फायदेमंद होगा, इसके माध्यम से वे कुपोषण की जल्दी पहचान कर सकेंगे, जिससे समय रहते बच्चों को इलाज दिया जा सकेगा।’’ डॉ षिवांगी कौषिक, प्रोग्राम मैनेजर, एक्षन अगेन्स्ट हंगर (भारत में काम करने वाला एक मानवतावादी संगठन) ने बताया।
माइक्रोसॉफ्ट की एआई फॉर गुड इनीशिएटिव के तहत एआई एवं डेटा साइन्स में इसका विशेषज्ञता का इस्तेमाल किया जाता है तथा इसके लिए दुनिया भर से प्रतिभाशाली विशेषज्ञ पर्यावरण विज्ञान, अपंगता एवं मानवतावाद जैसे विषयों पर काम करते हैं। माइक्रोसॉफ्ट वित्तीय अनुदान, तकनीक में निवेश एंव साझेदारियों के माध्यम से चुनिंदा एनजीओ एवं मानवतावादी संगठनों के साथ काम करता है।