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केतु के कुछ तीखे तो कुछ मीठे अनुभव सिद्ध फल….

डॉ श्रद्धा सोनी
वैदिक ज्योतिष आचार्य

सभी ग्रहों में राहु-केतु मायावी ग्रह हैं इन पर सटीक फलित करना अत्यधिक जटिल है। राहु पर थोडा बहुत लिखा हुआ मिल भी जाता है, लेकिन जब केतु की बात आती हैं उस समय या तो राहु के समान उसके फल बतायें गये हैं या मंगल के गुणों की समानता दे दी जाती है। लेकिन मेरे अनुभव में केतु के बिल्कुल अलग फल है।
केतु सभी ग्रहों में सबसे तीक्ष्ण व पीडा दायक ग्रह है। मायावी होने के कारण प्राय: केतु में लगभग सभी ग्रहों की झलक देखने को मिल जाती है। सूर्य के समान जलाने वाला, चंद्र के समान चंचल, मंगल के समान पीडाकारी, बुध के समान दूसरे ग्रहों से शीघ्र प्रभावित होने वाला, गुरु के समान ज्ञानी, शुक्र के समान चमकने वाला एवं शनि के समान एकांतवासी ग्रह है।
केतु के कुछ अनुभव सिद्ध फल..
1- केतु हमेशा अपना प्रभाव दिखाता ही है। केतु का प्रभाव जिस भाव पर होगा जातक को उस भाव से सम्बंधित अंग में किसी प्रकार की चोट या निशान, तिल, वर्ण अवश्य देगा।
2- केतु पर यदि षष्ठेश का प्रभाव हो तो पीडा दायक रोग होते हैं। यदि साथ में मारकेश का भी प्रभाव होतो ऐसा केतु ऑपरेशन आदि करवाता हैं अथवा अंगहीन बनाता है।
3- केतु का प्रभाव लग्न या तृतिय स्थान पर हो तथा कुछ क्रूर या पापी ग्रह का प्रभाव भी हो तो ऐसे जातक अत्यधिक गुस्सैल व अनियंत्रित होते हैं। ऐसे जातक जल्दबाज होते हैं जिनके कारण अधिकतर गलत निर्णय लेते हैं। यदि केतु पर पाप प्रभाव अधिक हो तो ऐसे जातक हत्या तक कर बैठते है।
4- केतु का नवम, दशम व एकादश प्रभाव शुभ होता है इसके अतिरिक्त बुध व गुरु की राशि में स्थित केतु भी मारक प्रभाव न रखकर व्यक्ति को उच्च शिक्षा देने वाला या सफल बनाने वाला होता है। ऐसे जातक प्रबुध होते है, डॉक्टर, वकील या रक्षा विभाग में प्रयास करने से सफलता शीघ्र प्राप्त होती है।
5- केतु के अंदर अध्यात्मिक शक्ति होती है, शास्त्रों में वर्णित है की गुरु संग केतु की युति मोक्ष दायक होती है। अत: शुभ केतु का प्रभाव व्यक्ति को धर्म से जोडता है। लग्न या नवम भाव पर केतु का शुभ प्रभाव होतो ऐसे लोग कट्टर धर्मी होते हैं।
6- केतु का संकेत चिन्ह झंडा होता है जो की उच्चता का सूचक है। योगकारक ग्रह के संग या लग्नेश संग केतु का प्रभाव व्यक्ति को प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्रदान करता हैं।