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जानिए जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त
डॉ श्रद्धा सोनी, वैदिक ज्योतिषाचार्य, रत्न विशेषज्ञ, वास्तु एक्सपर्ट
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी तिथि 30 अगस्त 2021 दिन सोमवार
अष्टमी तिथि प्रारम्भ 29 अगस्त 2021 रात 11 बजकर 25 मिनट पर
अष्टमी तिथि समापन 31 अगस्त 2021 सुबह 01 बजकर 59 मिनट पर
रोहिणी नक्षत्र प्रारम्भ 30 अगस्त 2021 सुबह 06 बजकर 39 मिनट पर
रोहिणी नक्षत्र समापन 31 अगस्त 2021 सुबह 09 बजकर 44 मिनट पर
निशीथ काल 30 अगस्त रात 11 बजकर 59 मिनट से लेकर सुबह 12 बजकर 44 मिनट तक
अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 56 मिनट से लेकर रात 12 बजकर 47 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त शाम 06 बजकर 32 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 56 मिनट तक
जानें व्रत नियम और पूजा विधि
जन्माष्टमी के व्रत से पहले रात को हल्का भोजन करें और अगले दिन ब्रह्मचर्य का पूर्ण रूप से पालन करें
उपवास के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि कार्यों से निवृत होकर भगवान कृष्ण का ध्यान करें
भगवान के ध्यान के बाद उनके व्रत का संकल्प लें और पूजा की तैयारी करें
इसके बाद भगवान कृष्ण को माखन-मिश्री, पाग, नारियल की बनी मिठाई का भोग लगएं
फिर हाथ में जल, फूल, गंध, फल, कुश हाथ में लेकर
ममखिलपापप्रशमनपूर्वकं सर्वाभीष्ट सिद्धये, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रतमहं करिष्ये॥
रात 12 बजे भगवान का जन्म होगा, इसके बाद उनका पंचामृत से अभिषेक करें. उनको नए कपड़े पहनाएं और उनका शृंगार करें
भगवान का चंदन से तिलक करें और उनका भोग लगाएं. उनके भोग में तुलसी का पत्ता जरूर डालना चाहिए.
नन्द के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की, कहकर कृष्ण को झूला झुलाए
इसके बाद भगवान कृष्ण की घी के दीपक और धूपबत्ती से आरती उतारें.
पूजा की विधि
स्नान करने के बाद पूजा प्रारंभ करें.
इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बालस्वरूप की पूजा का विधान है.
पूजा प्रारंभ करने से पूर्व भगवान को पंचामृत और गंगाजल से स्नान करवाएं.
इसके बाद नए वस्त्र पहनाएं और शृंगार करें.
भगवान को मिष्ठान और उनकी प्रिय चीजों से भोग लगाएं.
भोग लगाने के बाद गंगाजल अर्पित करें. इसके बाद कृष्ण आरती गाएं.
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चांदी की बांसुरी अर्पित करें
कृष्ण जन्माष्टमी पर पूजा-अर्चना, भोग और कीर्तन जैसे कार्यक्रम के साथ आप कान्हा जी को चांदी की बांसुरी अर्पित करें. इससे आप पर कान्हा की विशेष कृपा हो सकती है. इसके लिए आप अपनी सामर्थ्य के अनुसार छोटी या बड़ी बांसुरी बनवाएं. इसको कान्हा के चरणों में अर्पित करने के बाद बांसुरी की पूजा भी करें. जन्माष्टमी के बाद आप इस बांसुरी को अपने पर्स या धन रखने के स्थान पर रख सकते हैं.
छप्पन भोग लगाएँ
धार्मिक मान्यता के अनुसार जन्माष्टमी के अवसर पर कान्हा की पूजा-अर्चना करने के बाद अगर उनको छप्पन भोग लगाया जाए, तो इससे भी कान्हा प्रसन्न होते हैं और उनकी विशेष कृपा होती है. साथ ही भक्तों की सारी मनोकामनाएंँ पूरी होती हैं.
पारिजात के फूल चढ़ाएं
जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण को पारिजात के फूल चढ़ाने से भी उनकी कृपा बरसती रहती है. कहा जाता है कि भगवान श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी को परिजात के पुष्प बेहद प्रिय हैं. श्रीकृष्ण भगवान विष्णुजी का अवतार हैं, इसलिए जन्माष्टमी के दिन परिजात के फूल चढ़ाने से भगवान प्रसन्न होते हैं.
शंख में दूध लेकर करें अभिषेक
मान्यता के अनुसार विष्णु जी को शंख काफी प्रिय है और वो उनके हाथों में हमेशा रहता है. इसलिए जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण के जन्म के समय, अगर उनका अभिषेक शंख में दूध डालकर किया जाए, तो इससे भगवान बहुत खुश होते हैं. ऐसा करने से भगवान की विशेष कृपा भक्तों पर होती है.
मोरपंख करें अर्पित
कान्हा की विशेष कृपा पाने के लिए आप जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण को मोरपंख अर्पित कर सकते हैं. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के मुकुट पर मोरपंख लगाने से भगवान प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं.
घर में गाय तथा बछड़े की छोटी सी प्रतिमा लाएँ
आपके घर-परिवार में पैसों से जुड़ी हुई समस्याएँ चल रहीं हैं तो आप जन्माष्टमी के दिन अपने घर में गाय तथा बछड़े की छोटी सी प्रतिमा लेकर आएंँ। इससे आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा और संतान से जुड़ी हुई परेशानियों से भी छुटकारा मिलता है।