- गाडरवाड़ा सुपर थर्मल पावर स्टेशन को किर्लोस्कर ब्रदर्स लिमिटेड (KBL) की शक्ति
- सिंगा का 'फक्कर' फिल्म के लिए नया और दमदार लुक महाकुंभ यात्रा के दौरान फैंस को दंग कर दिया
- Singga’s Bold New Avatar for ‘Fakkar’ Leaves Fans in Awe During Mahakumbh Pilgrimage
- पुष्पा के को-डायरेक्टर पवन हुए कशिका कपूर की परफॉर्मेंस से प्रभावित, कहा – "वो कैमरे के सामने कमाल करती हैं, LYF के बाद बहुत बिजी हो जाएंगी"
- Pushpa Co-Director Pavan Impressed by Kashika Kapoor’s Performance in His Next Directorial ‘LYF’, Says She is an Amazing Performer and Does Wonders in Front of the Camera and she will get very busy after LYF release
प्रेम त्याग और समर्पण की दीवारों से बनाएं घर
ओजस्वी साध्वी मयणाश्रीजी ने बताए परिवार को प्रसन्न रखने के मंत्र
इंदौर. कानून दिमाग से बनते है और रिश्ते दिल से. भारतीय संस्कृति में परिवार अनेक रिश्तों से समृद्ध होता है, लेकिन पश्चिम में माता-पिता और बच्चों तक ही सीमित रहता है. परिवार और फैमिली में यही अंतर है. बेटी और बहू के बीच का अंतर जिस दिन हमारे घरों में बंद हो जाएगा, उस दिन से सभी परिवार खुशहाल हो जाएंगे. घर केवल ईट, चूने और सीमेंट से नहीं बनता, घर बनता है प्रेम, समर्पण और त्याग के मटेरियल से. पति-पत्नी के बीच का रिश्ता विश्वास से ही टूटता या मजबूत होता है.
यह विचार है साध्वी मयणाश्रीजी के, जो उन्होंने आज श्वेतांबर जैन तपागच्छ उपाश्रय ट्रस्ट एवं श्री पाश्र्वनाथ जैन संघ रेसकोर्स रोड की मेजबानी में बॉस्केटबाल काम्पलेक्स पर ‘कैसे रहे खुशहाल परिवारÓ विषय पर आयोजित विशेष शिविर में मौजूद तीन हजार से ज्यादा श्रावकों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए.
प्रारंभ में ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. प्रकाश बांगानी, सचिव यशवंत जैन, पुखराज बंडी, भरत कोठारी, कीर्तिभाई डोसी, अशोक पुष्परत्न आदि ने लाभार्थी परिवार के श्रीमती रसकुंवर चौधरी, डॉ. राजीव-संगीता चौधरी, अचल चौधरी, गजराजसिंह झामड, नरेंद्र भंडारी, प्रकाश भटेवरा, जितेंद्र चौपडा, संजीव गंाग, हसमुख गांधी आदि सहित सभी श्रावकों की अगवानी कीे.
साध्वीश्रीजी ने कहा कि परिवार के सभी सदस्य प्रतिदिन एक साथ बैठकर भोजन करें, एक-दूसरों की भावनाओं का सम्मान करें और हर रिश्तें की अहमियत को समझे तो परिवार के बटने का खतरा नहीं आ सकता। परिवार ही वह जगह है, जहां हम सुख और दु:ख, दोनों का बंटवारा कर सकते है.
संयुक्त परिवार के बच्चों होते हैं संस्कारी
आज कल पश्चिम देशों में फादर्स डे, मदर्स डे और इसी तरह के कई डे मनाने का प्रचलन चल रहा है. वहां परिवार के नाम पर केवल 4-5 लोग होते है जो साल में एक ही बार मिल पाते हैं इसलिए उन्हें इस तरह के डे मनाना पडते हैं. हमारी संस्कृति में तो माता-पिता बारहों माह 24 घंटें हमारे साथ ही रहते हैं. हम माता-पिता को छोड़कर परिवार की कल्पना ही नहीं कर सकते. पहले संयुक्त परिवार होते थे, लेकिन अब एकल परिवारों की संख्या बढऩे लगी है. सब के साथ रहने में बहुत कुछ सीखने, बांटने और समझने के अवसर मिलते हैं. एकल परिवार में रहने वाले बच्चे और पत्नी अवसाद के शिकार बन जाते हैं. घर में समय काटना उनके लिए मुश्किल हो जाता है. संयुक्त परिवार वाले बच्चे संस्कारी और सहनशील होते हैं.
आत्महत्या न करने का संकल्प दिलाया
साध्वीश्रीजी ने उपस्थित लोगों को संकल्प दिलाया कि वे जीवन में कभी भी आत्महत्या जैसा पाप नहीं करेंगे। आत्महत्या करने वाले को नर्क में भी जगह मिलने में मुश्किल आती है. आत्महत्या किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकती, बल्कि इससे तो परिवार के अन्य सदस्य भी परेशानी में आ जाते है. पैसों के पीछे दौडना बंद करना पडेगा तभी परिवार संवरेगा. बच्चों में अच्छे संस्कार हमें देखकर ही आते है.