स्वास्थ्य सेवाओं में व्यापक सुधारों का मजबूत आधार बनेगी “एक राष्ट्र, एक चिकित्सा पद्धति” नीति

प्रयागराज में संपन्न “आयुष महाकुंभ” में इंदौर के प्रख्यात चिकित्साशास्री डॉ. अश्विनी कुमार द्विवेदी का अत्यंत प्रभावी उद्बोधन

प्रयागराज।जब 2047 में हम आजादी की सौवीं वर्षगांठ मनाएंगे। स्वतंत्र भारत के उस सर्वाधिक महत्वपूर्ण अवसर तक, देश को विकसित राष्ट्र बनाने के उद्देश्य से, सरकार हर क्षेत्र में आवश्यक सुधार कार्यों में तत्परता से जुटी है। इस उद्देश्य की प्राप्ति में चिकित्सा क्षेत्र को भी अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। इसीलिए हर भारतीय को उत्तम स्वास्थ्य सुलभ कराने हेतु सरकार निरंतर प्रयासरत है। इस दिशा में वन नेशन, वन इलेक्शन की तर्ज पर “एक राष्ट्र, एक चिकित्सा पद्धति” की नीति, देश में चिकित्सा सेवा क्षेत्र में व्यापक सुधारों का मजबूत आधार बन सकती है। इसके लिए हमें आधुनिक, प्राचीन एवं परंपरागत सभी प्रकार की चिकित्सा पद्धतियों का संतुलित समन्वय कर, एक ऐसी विशिष्ट चिकित्सा पद्धति विकसित करनी होगी, जिसे जन-जन का उत्तम स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए, सहजता से देश भर में, लागू किया जा सके।

यह बात चिकित्सा जगत में, देश-दुनिया में इंदौर का नाम रोशन करने वाले मशहूर होम्योपैथिक चिकित्साशास्त्री डॉ. अश्विनी कुमार द्विवेदी ने प्रयागराज में आगामी महाकुंभ के दृष्टिगत आयोजित आयुष महाकुंभ में कही। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के वैज्ञानिक सलाहकार मंडल के वरिष्ठ सदस्य डॉक्टर द्विवेदी ने कहा कि किसी भी चिकित्सा पद्धति को कमतर या बेहतर मानने की बहस में उलझने के बजाय, यह समय सभी प्रकार की पद्धतियों को एकीकृत कर मरीज को बेहतर से बेहतर इलाज प्रदान कर, उसे जल्द से जल्द आरोग्य प्रदान करने की कोशिशें करने का है। दवाओं, इंजेक्शनों के साथ-साथ मरीज के खान-पान, रहन-सहन आदि में भी सुधारकर उन्हें प्राकृतिक चिकित्सा और योग चिकित्सा अपनाने के लिए प्रेरित करना भी इलाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है। मेरा मानना है कि अगर कोई व्यक्ति 24 घंटे में ईमानदारी से 24 मिनट भी नियमित रूप से योग, प्राणायाम, व्यायाम तो कई बीमारियों से उसका स्वत: बचाव हो जाता है।

एनीमिया तथा कैंसर से बचाव पर खास जोर
“संजीवनी वेलफेयर सोसाइटी” द्वारा आयोजित “ग्लोबल आयुष एक्सपो 2025” में अपने व्याख्यान को विशेष रूप से कैंसर एवं एनीमिया (खून की कमी) जैसी जानलेवा बीमारियों पर केंद्रित करते हुए डॉ. द्विवेदी ने कहा कि इन बीमारियों के मरीजों को आमतौर पर भूख न लगने, खाने का स्वाद न आने, उल्टी और दस्त जैसे कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जिसके कारण उन्हें पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता है। पोषण की कमी के चलते मरीज और कमजोर हो जाते हैं। इसलिए परिजनों को ऐसे मरीजों के खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। कैंसर रोगी को प्रतिदिन अपने वजन के हिसाब से प्रति किलो 25 से 30 कैलोरी का भोजन लेना चाहिए। प्रोटीन उनके आहार का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होना चाहिए। इस तारतम्य में डॉ. द्विवेदी ने चुनिंदा मरीजों की जाँच कर उन्हें स्वास्थ्य लाभ के दृष्टिगत आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए।

“होलिस्टिक एप्रोच” अपनाएं, देश को अव्वल बनाएँ
डॉक्टर द्विवेदी ने कहा कि, आयुष मंत्रालय इंटेग्रेटिव मेडिसिन (एकीकृत चिकित्सा) को आगे बढ़ाने पर बहुत गंभीरतापूर्वक कार्य कर रहा है। नई-पुरानी सभी चिकित्सा पद्धतियों के समुचित समावेश से न केवल मरीज को बेहतर ट्रीटमेंट मिलेगा बल्कि ऐसे प्रयासों से जल्द ही देश हेल्थ सेक्टर में अग्रणी भी बनेगा। होम्योपैथी उपचार में दवाएं प्राकृतिक पदार्थों से बनाई जाती हैं, जो शरीर के प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखते हुए स्थायी रूप से स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती हैं। इसलिए आवश्यक अध्ययन और अनुसंधान दिए जाने चाहिए, ताकि समाज को इसका अधिक से अधिक लाभ मिल सके। एलोपैथी के साथ आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक, यूनानी और प्राकृतिक चिकित्सा आदि के संतुलित समन्वय से हम स्वास्थ्य सेवाओं में व्यापक सुधार कर सकते है।

मरीजों का उत्तम स्वास्थ्य सुनिश्चित करने की दिशा में होम्योपैथिक और हर्बल मेडिसिंस अहम भूमिका तभी निभा सकती हैं जब इनके इलाज से ठीक हुए मरीजों का रिकॉर्ड एकत्र कर, उसे विश्व स्तर की शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित कर एविडेंस बेस विश्वसनीय साइंटिफिक डाटा तैयार किया जाए। इस अवसर पर डॉ. गोविंद शुक्ला, निदेशक वित्त (पंचायती राज), उत्तर प्रदेश और डॉ. आनंद कुमार चतुर्वेदी सदस्य, एमएआरबी (एनसीएच, आयुष मंत्रालय) ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में संजीवनी वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार द्विवेदी, प्रसिद्ध होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. एस.के. शुक्ला, डॉ. एस.एन. मिश्रा, डॉ. मनोज श्रीवास्तव, डॉ. आर.के. मिश्रा डॉ. राहुल शुक्ला, संजीवनी के सचिव श्रवण शुक्ल, साकिब सिद्दिकी, तनुज शर्मा, सरजीत गौतम, आशीष हेमकर, आशु पांडे, रचना सोनकर, श्रेया मेहता, तान्या सिंह समेत अनेक गणमान्य जन एवं विषय विशेषज्ञ मौजूद थे।

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