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अपोलो हॉस्पिटल्स, इंदौर में 93 साल के व्यक्ति की बिना ऑप्रेशन के पिन होल से किया वॉल्व रिप्लेसमेंट

ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट (टीएवीआर) प्रक्रिया के जरिए उन रोगियों की सर्जरी की जा सकती है, जिनके लिए ओपन हार्ट सर्जरी अनुपयुक्त होती है या इसमें अधिक खतरा होता है।
इंदौर। टीएवीआर या ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वॉल्व रिप्लेसमेंट, एक पिन होल से की जाने वाली प्रक्रिया है, जिसे लॉकडाउन की कई चुनौतियों के बावजूद इंदौर के अपोलो हॉस्पिटल्स में 93 वर्षीय एक मरीज पर सफलतापूर्वक किया गया। इस वयोवृद्ध मरीज को एओर्टिक वाल्व की गंभीर सिकुड़न के कारण श्वास की गंभीर समस्या थी और वो लेटने में असमर्थ थे।
ऐसी स्थिति में उन्हें इंदौर एयरलिफ्ट करके लाया गया। उनकी जान बचाने का एकमात्र विकल्प वाल्व रिप्लेसमेंट था, जिसे तुरंत किए जाने की जरूर थी। बाईपास सर्जरी, एंजियोप्लास्टी, गुर्दे की शिथिलता और कार्डियक हिस्ट्री जैसी स्वास्थ्य समस्याओं के साथ अधिक उम्र होने के कारन ओपन-हार्ट वाल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी बेहतर विकल्प नहीं था।
रोगी को टीएवीआर या ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट (टीएवीआर) का उन्नत विकल्प प्रदान किया गया, जो एक न्यूनतम इनवेसिव तकनीक है। इसकी मदद से उन रोगियों की सर्जरी की जा सकती है, जिनके लिए ओपन हार्ट सर्जरी अनुपयुक्त होती है या इसमें अधिक खतरा होता है। १७ जून 2020 को इस उन्नत प्रक्रिया को सफलतापूर्वक किया गया। मरीज ठीक होकर अगले 4 घंटे में बिस्तर से उठने योग्य हो गया और अगले दिन डिस्चार्ज के लिए तैयार था।
अपोलो हॉस्पिटल्स, इंदौर के वरिष्ठ कंसल्टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, डॉ के रोशन राव ने कहा, “हृदय वाल्व (जो रक्त के प्रवाह के साथ खुलते और बंद होते हैं) के कैल्सीफिकेशन वाले रोगी अक्सर 70 से 75 वर्ष की आयु के बाद ही लक्षणों के साथ आते होते हैं। इस उम्र में, अधिकांश लोगों की ओपन-हार्ट सर्जरी नहीं की जा सकती है।
इलाज के अभाव में इनका जीवित रहना भी मुश्किल होता है। इन परिस्थितियों में टीएवीआर एक क्रांतिकारी तकनीक है और ऐसे रोगियों के लिए एक वरदान है ताकि वे जीवन को बेहतर गुणवत्ता के साथ लंबे समय तक स्वस्थ रहकर जी सकें।
पारंपरिक ओपन हार्ट सर्जरी में, सर्जन को हृदय तक पहुँच कर सर्जरी करने के लिए छाती की हड्डी को काटकर खोलने की जरुरत पड़ती है, जबकि टीएवीआर एक न्यूनतम इनवेसिव सर्जिकल तकनीक है, जिसमें रोगी के आंतरिक अंगों तक पहुंचने के लिए स्केलपेल के बजाए सिर्फ नीडल-पंक्चर (पिन होल) की जरूरत होती है।”
टीएवीआर में, एक पतली लचीली ट्यूब (कैथेटर) के माध्यम से एक मिनीएचराइज़ड वाल्व को कमर से रक्त वाहिका में डाला जाता है। यहाँ से उसे महाधमनी शुरुआत पर स्थित एओर्टिक वाल्व के स्थान पर पहुँचाया जाता है। डॉक्टर फिर एक गुब्बारा फूलता है, जो पुराने वाल्व को एक तरफ धकेलकर सिकुड़न को खोल देता है।
लोकल या मॉनीटरेड एनेस्थीसिया केयर के कारण मरीज इस पूरी प्रक्रिया के दौरान बेहद आराम से होश में रहता है। यह प्रक्रिया लगभग एक घंटे में पूरी हो जाती है जबकि ओपन हार्ट सर्जरी करने में कम से कम 5-6 घंटे लगते हैं। ओपन हार्ट सर्जरी की तरह ना तो इसमें जनरल एनेस्थेसिया की आवश्यकता है और ना ही छाती में चीरा लगाना पड़ता है, जिसके कारण मरीज को लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता था।
टीएवीआर में मरीज तीसरे ही दिन घर वापस जा सकता है। टीएवीआर के अन्य कई फायदें भी है, जैसे इसमें मरीज को खून की कमी होने या खून चढाने की जरूरत नहीं पड़ती और पारंपरिक ओपन-हार्ट सर्जरी में स्ट्रोक के 5-7% जोखिम की तुलना में टीएवीआर में मरीज को स्ट्रोक का खतरा 1% से भी कम होता है।

अपोलो हॉस्पिटल्स, इंदौर की सीनियर कंसल्टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, डॉ सरिता यादव राव ने कहा, “हमें ऐसे समय में यह उपलब्धि हासिल करने पर गर्व है जब देश में कोविड महामारी से लड़ने के लिए लॉकडाउन चल रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार 5 लाख से अधिक वैकल्पिक सर्जरी देश भर में स्थगित कर दी गई हैं।
हालाँकि, इस मामले में, हम लॉकडाउन के समाप्त होने की प्रतीक्षा नहीं कर सकते हैं, क्योंकि किसी भी देरी से रोगी की स्थिति खराब हो सकती है और यह घातक हो सकता है। डॉक्टरों की टीम में संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण में विशेषज्ञ के रूप में चिकित्सा और सर्जिकल टीमों को भी शामिल किया गया.
ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि रोगी की सुरक्षा के लिए सभी उपाय किए गए थे, और यह प्रक्रिया सावधानीपूर्वक उच्चतम मानकों के साथ हुई जिसमें इन्फेक्शन कंट्रोल प्रोटोकॉल के उत्कृष्टता के मानक और कार्यान्वयन शामिल था। यह पूरी टीम के प्रयासों का ही नतीजा था कि इस प्रक्रिया को 100% सफलता के साथ पूरा किया गया।”
इंदौर के अपोलो अस्पताल में टीम के अन्य सदस्यों में एसोसिएट कंसल्टेंट कार्डियोलॉजिस्ट डॉ शिरीष अग्रवाल, सीनियर कंसल्टेंट, एनेस्थीसिया डॉ विकास गुप्ता और सीनियर कंसल्टेंट, सीटीवीएस डॉ क्षितिज दुबे शामिल थे।
अपोलो हॉस्पिटल्स के अध्यक्ष, डॉ हरि प्रसाद ने कहा, “टीएवीआर और अन्य उन्नत प्रक्रियाएँ भारत में हृदय की देखभाल की स्थिति बदलने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। पारंपरिक ओपन-हार्ट सर्जरी की तुलना में इसके लाभ अतुलनीय हैं। ये उन्नत न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रियाएं हमें कई रोगियों को दूसरा जीवन देने में मदद करती है, जिनकी पहले अधिक जोखिम होने के कारण ओपन सर्जरी करना संभव नहीं हो पाता था।
अपोलो अस्पताल भारत में रोगियों के लिए नवीनतम उन्नत चिकित्सा लाने के लिए लगातार प्रयासरत रहा है। हृदय की देखभाल के क्षेत्र में वर्षों के अनुभव के साथ हमारे प्रशिक्षित विशेषज्ञ किसी भी तरह की चिकित्सा चुनौतियों को दूर करने के लिए वैज्ञानिक साक्ष्य आधारित दृष्टिकोण, सटीक तकनीकों, और अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरणों का उपयोग करते हैं।
नित नए प्रयोग जैसे मिट्रल क्लिप, ट्रांस-कैथेटर माइट्रल, ट्राइकसपिड और पल्मोनरी इंटरवेंशन आदि अपोलो की परम्परा रही है। ये उन रोगियों के लिए वरदान की तरह है, जिनकी सामान्य सर्जरी संभव नहीं है। ऐसे मरीज न्यूनतम इनवेसिव थेरेपी का लाभ उठाकर सर्जरी करा सकते हैं, जिससे उन्हें नई आशा मिलेगी और जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा।”
उन्होंने कहा, “यह प्रक्रिया कोविड महामारी के दौरान की गई थी, जो किसी भी तरह की चुनौतियों का सामना करते हुए विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सेवा देने के लिए हमारी टीम की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। हमें गर्व है कि कोविड महामारी और लॉकडाउन के बीच भी, हमने उचित सावधानी और प्रोटोकॉल के साथ जीवन बचाने वाली स्वास्थ्य सेवाओं को देना जारी रखा है।”
यह एक महत्वपूर्ण सर्जरी है जो इतनी कुशलतापूर्वक संपादित की गई है। इसके लिए डॉक्टर श्री रोशन राव एवं उनकी पूरी टीम बधाई की हकदार है । मैं वर्ष 2013 से आदरणीय श्री राव साहब का पेशेंट हूं ।उन्होंने ना सिर्फ मुझे पेसमेकर से बचाया है अपितु उनके मार्गदर्शन में मेरा निरंतर ट्रीटमेंट चल रहा है और मैं उनके इस अप्रतिम ट्रीटमेंट के लिए हृदय से कृतज्ञ हूं। अपोलो अस्पताल भी अपने मरीजों के साथ बहुत अच्छा व्यवहार करता है, तथा मैंने यह पाया है कि अन्य अस्पतालों की तरह यहां पर किसी प्रकार की आर्थिक लूट नहीं है। स्टाफ बहुत ही सहयोगी है। आदरणीय राव साहब को पुनः बधाई और उनकी टीम को भी।