19 अप्रैल 2022 को है संकष्टी चतुर्थी, जानिए इस बार क्यों है व्रत रखना जरूरी, पूजा के मुहूर्त

डॉ श्रद्धा सोनी, वैदिक ज्योतिषाचार्य, रत्न विशेषज्ञ, वास्तु एक्सपर्ट

चतुर्थी की तिथि भगवान गणेश को समर्पित है। कृष्ण पक्ष की तिथि को संकष्टी और शुक्ल पक्ष की तिथि को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। यानी अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायकी चतुर्थी कहते हैं और पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। कई जगहों पर इसे संकट हारा कहते हैं तो कहीं-कहीं सकट चौथ भी।*

संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व:- संकष्टी चतुर्थी का अर्थ होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी। संस्कृत अर्थ है, कठिन समय से मुक्ति पाना। इस दिन व्यक्ति अपने दुःखों से छुटकारा पाने के लिए विधि विधान से व्रत रखकर गणपति की आराधना करता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान गणेश का सच्चे मन से ध्यान करने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और जातक को विशेष लाभ की प्राप्ति होती है। दक्षिण भारत में लोग इस दिन को बहुत उत्साह और उल्लास से मनाते हैं। इस तिथि में भगवान गणेश के पूजन से सभी विघ्नों का नाश हो जाता है।

ज्योतिष में महत्व:- ज्योतिष में ज्योतिष के अनुसार यह खला तिथि हैं। तिथि •’रिक्ता संज्ञक’ कहलाती है। अतः इसमें शुभ कार्य वर्जित रहते हैं। यदि चतुर्थी गुरुवार को हो तो मृत्युदा होती है और शनिवार की चतुर्थी सिद्धिदा होती है और चतुर्थी के •’रिक्ता’ होने का दोष उस विशेष स्थिति में लगभग समाप्त हो जाता है। चतुर्थी तिथि की दिशा नैऋत्य है।

इस बार मंगवार को है यह चतुर्थी :- यदि तिथि मंगलवार के दिन आती है तो इसे अंगारकी चतुर्थी कहा जाता है। अंगारकी चतुर्थी ६ महीनों में एक बार आती है। कहते हैं कि इस दिन व्रत रखने से पूरे वर्ष की संकष्टी का लाभ मिलता है। इसीलिए इस बार की संकष्टी चतुर्थी बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसका व्रत जरूर रखें।

संकष्टी चतुर्थी पर गणेश पूजा के मुहूर्त :-

तिथि :- कृष चतुर्थी १९ अप्रैल शाम ०४ बजकर ३८ मिनट पर प्रारंभ होकर २० अप्रैल दोपहर ०१ बजकर ५२ मिनट पर समाप्त होगी।

  • चंद्रोदय :- इस बार चंद्रमा उदय रात ०९ बजकर ५० मिनट पर होगा। देश के अलग-अलग हिस्सों में चंद्रोदय के समय में थोड़ा बहुत अंतर हो सकता है।
  • अभिजीत मुहूर्त :- सुबह ११ बजकर ५५ मिनट से दोपहर १२ बजकर ४६ मिनट तक रहेगा।
  • विजय मुहूर्त :- दोपहर ०२:०६ से ०२:५७ तक।
  • अमृत काल मुहूर्त :- दोपहर ०४:०७ से शाम ०५:३५ तक।
  • गोधूलि मुहूर्त :- शाम ०६:१० से ०६:३४ तक।
  • सायाह्न संध्या मुहूर्त :- शाम ०६:२२ से ०७:२९ तक।
  • निशिता मुहूर्त :- रात्रि ११:३५ से १२:१९ तक।

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