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आराधना, जप-तप और सत्संग के लिए सावन महीना श्रेष्ठ
इंदौर. श्रावण का पवित्र माह आराधना, जप-तप और सत्संग के लिए सबसे श्रेष्ठ माना जाता हैं. भगवान भोले शंकर वैसे तो हमेशा ही करूणा और कृपा की वर्षा करते हैं लेकिन सावन में जब प्रकृति भी अपना श्रंृगार कर लेती है तो भोलेनाथ भी शीघ्र प्रसन्न हो कर अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करने में देर नहीं करते. चातुर्मास की परंपरा आदिकाल से चली आ रही है, जो समाज को संतो और विद्वानों के सानिध्य में रह कर अपने कर्मों, विचारों और चिंतन को सुधारने का अनुपम अवसर है.
ये विचार हैं शक्करगढ़, भीलवाड़ा स्थित अमरज्ञान निरंजनी आश्रम के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी जगदीशपुरी महाराज के, जो उन्होने आज सुबह मनोरमागंज स्थित गीता भवन पर चातुर्मास अनुष्ठान के शुभारंभ प्रसंग पर व्यक्त किये. गीता भवन ट्रस्ट के अध्यक्ष गोपालदास मित्तल, मंत्री राम ऐरन एवं सत्संग समिति के संयोजक रामविलास राठी, पूर्व अध्यक्ष बनवारीलाल जाजू, सुश्री प्रमिला नामजोशी, जेपी फडिय़ा आदि ने प्रारंभ में महामंडलेश्वरजी का शाल श्रीफल एवं पुष्प माला से सम्मान किया। सत्संग समिति के संयोजक राठी ने उनका परिचय देते हुए बताया कि स्वामी जगदीशपुरी महाराज 13 मई 1988 को देश के सबसे कम उम्र के महामंडलेश्वर पद पर प्रतिष्ठापित हुए हैं। तब से अब तक वे लगातार देश के सभी राज्यों में सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में समर्पित हैं। गीताभवन में चातुर्मास आज से प्रारंभ हो कर 26 अगस्त तक चलेगा। संचालन राम ऐरन ने कियाा और आभार माना अध्यक्ष गोपालदास मित्तल ने।
पहले सोमवार को हुआ रूद्राभिषेक
गीता भवन में प्रत्येक श्रावण सोमवार को शिव मंदिर में विशेष श्रृंगार-पूजन, अभिषेक आदि अनुष्ठान होंगे। आज पहले सावन सोमवार को आचार्य पं. कल्याणदत्त शास्त्री के आचार्यत्व में सुबह 11 बजे से रूद्राभिषेक का आयोजन हुआ।