- उर्वशी रौतेला 12.25 करोड़ रुपये में रोल्स-रॉयस कलिनन ब्लैक बैज खरीदने वाली पहली आउटसाइडर इंडियन एक्ट्रेस बन गई हैं।
- Urvashi Rautela becomes the first-ever outsider Indian actress to buy Rolls-Royce Cullinan Black Badge worth 12.25 crores!
- 'मेरे हसबैंड की बीवी' सिनेमाघरों में आ चुकी है, लोगों को पसंद आ रहा है ये लव सर्कल
- Mere Husband Ki Biwi Opens Up To Great Word Of Mouth Upon Release, Receives Rave Reviews From Audiences and Critics
- Jannat Zubair to Kriti Sanon: Actresses who are also entrepreneurs
भटकते हुए को सही दिशा देने की कथा शिव पुराण

इंदौर. संसार का दूसरा नाम दुखालय है। हम सब जीवनभर अंतिम क्षणों तक यही प्रयास करते हैं कि जीवन में कभी दुख आए ही नहीं. चींटी से लेकर देवता तक यही कामना रखते हैं। यह जीव का स्वभाव भी है और गुण भी. शिव पुराण की कथा हम सबके कल्याण और चौराहे पर भटकते व्यक्ति को सही मार्गदर्शन देने की कथा है। शिव और शंकर कल्याण और शंाति के ही पर्याय हैं। शिव से ई निकाल देंगे तो शव ही बचेगा. शिवपुराण के लिए भक्ति की निरंतरता और अटूट श्रद्धा-आस्था होना चाहिए.
ये प्रेरक विचार हैं प्रख्यात भागवताचार्य पं. सुखेन्द्र कुमार दुबे के, जो उन्होंने आज हवा बंगला मेन रोड़ स्थित शिर्डी धाम सांई मंदिर परिसर में श्रावण मास के उपलक्ष्य में आयोजित शिवपुराण कथा महोत्सव के शुभारंभ सत्र में व्यक्त किये. कथा का शुभारंभ मंदिर परिस में शिव पुराण ग्रंथ की शोभा यात्रा के साथ हुआ. इस अवसर पर मालवांचल के अनेक संत महंत भी उपस्थित थे.
प्रारंभ में शिर्डीधाम सांई मंदिर के ओमप्रकाश अग्रवाल, हरि अग्रवाल, हेमंत मित्तल, वासुदेव चावला आदि ने पं. दुबे का स्वागत कर ग्रंथ का पूजन किया. उत्सव के दौरान शनिवार 4 अगस्त को नारद मोह एवं सती चरित्र होगा. 11 अगस्त को प्रणवाक्षर एवं पंचाक्षर सहित शिव व्रत पूजन, रूद्राभिषेक आदि के रहस्य की कथा के पश्चात पूर्णाहुति होगी।
सत्संग से होगा पाप पुण्य का बोध
पं. दुबे ने कहा कि भगवान शिव आनंदसिंधु हैं जो आनंद ही देते हैं। विडंबना यह है कि हम दुख मिटाने के साधनों में ही अपना सुख ढूंढ़तें हैं. जो आज सुख के साधन हैं, कल वही दुख के कारण बन जाते हैं. ओस के कण चाट लेने से प्यास तृप्त नहीं हो सकती. हीरा खरीदने के लिए सब्जी मंडी नहीं सराफा ही जाना पड़ेगा। सच्चा आनंद चाहिए तो भगवान शिव की शरण में ही जाना पड़ेगा. पाप-पुण्य का बोध सत्संग से ही होगा.