- Over 50gw of solar installations in india are protected by socomec pv disconnect switches, driving sustainable growth
- Draft Karnataka Space Tech policy launched at Bengaluru Tech Summit
- एसर ने अहमदाबाद में अपने पहले मेगा स्टोर एसर प्लाज़ा की शुरूआत की
- Acer Opens Its First Mega Store, Acer Plaza, in Ahmedabad
- Few blockbusters in the last four or five years have been the worst films: Filmmaker R. Balki
हृदयाघात से भी घातक स्ट्रोक
इंदौर. यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि ब्रेन अटेक यानि की स्ट्रोक, हृदयाघात से भी ज्यादा घातक है. जिसकी सही समय पर पहचान एवं उपचार आवश्यक है. सही समय पर उपचार या इलाज न मिलने पर मरीज ज्यादा समय तक या आंशिक या पूर्णरुप से लकवा से पीडि़त हो सकता है.
स्ट्रोक से बचने एवं उसके दुष्प्रभावों की जानकारी आम लोगों को देने के उद्देश्य से विश्व में 29 अक्टूबर को विश्व स्ट्रोक दिवस मनाया जाता है. विश्व स्ट्रोक दिवस के उपलक्ष्य में मेदांता हॉस्पिटल में जनहित में स्ट्रोक जागरुकता सेमिनार आयोजित किया गया.
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. नरेन्द्र धाकड़ ने किया. इस अवसर पर मेदांता हॉस्पिटल के वरिष्ठ न्यूरो सर्जन डॉ. रजनीश कछारा ने स्ट्रोक के गोल्डन आवर्स बताए जो लकवे के लक्षण से 3 से 4 घंटे के बीच होते हैं.
इस अवधि में यदि मरीज को अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो वर्तमान में काफी अच्छी चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध होने से पीडि़त मरीज को लकवे के दुष्परिणामों से बचाया जा सकता है। न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. वरुण कटारिया ने स्ट्रोक के लक्षणों एवं प्रकार के बारे में बताया जिनमें मुख्य रुप से हैं- ‘आँखो के आगे अकस्मात अंधेरा छाना, डबल दिखना, बोलने की अकस्मात तकलीफ होना, मुंह का टेढ़ा होना इत्यादि.
वरिष्ठ न्यूरो फिजिशियन डॉ. वी.बी. नाडकर्णी ने स्ट्रोक के उपचार के बारे में जानकारी दी. वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञडॉ. शैलेन्द्र त्रिवेदी ने ब्रेन अटैक एवं हार्ट अटैक में समानताएं और विभिन्नताओं के बारे में बताया. कार्यक्रम में उपस्थित आम लोगों एवं मरीजों द्वारा कई प्रश्न पूछे गए जिनका सभी डॉक्टर्स ने उचित समाधान दिया