- टास्कअस ने हर महीने 250 से ज़्यादा नए स्टाफ को नियुक्त करने की योजना के साथ इंदौर में तेजी से विस्तार शुरू किया
- Capture Every Live Moment: OPPO Reno13 Series Launched in India with New MediaTek Dimensity 8350 Chipset and AI-Ready Cameras
- OPPO India ने नए AI फीचर्स के साथ पेश की Reno13 सीरीज़
- इंदौर एनिमल लिबरेशन की पहल: जानवरों के अधिकारों का हो समर्थन
- सपनों को साकार करने का मंच बन रहा है ‘प्लास्ट पैक 2025’
हृदयाघात से भी घातक स्ट्रोक
इंदौर. यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि ब्रेन अटेक यानि की स्ट्रोक, हृदयाघात से भी ज्यादा घातक है. जिसकी सही समय पर पहचान एवं उपचार आवश्यक है. सही समय पर उपचार या इलाज न मिलने पर मरीज ज्यादा समय तक या आंशिक या पूर्णरुप से लकवा से पीडि़त हो सकता है.
स्ट्रोक से बचने एवं उसके दुष्प्रभावों की जानकारी आम लोगों को देने के उद्देश्य से विश्व में 29 अक्टूबर को विश्व स्ट्रोक दिवस मनाया जाता है. विश्व स्ट्रोक दिवस के उपलक्ष्य में मेदांता हॉस्पिटल में जनहित में स्ट्रोक जागरुकता सेमिनार आयोजित किया गया.
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. नरेन्द्र धाकड़ ने किया. इस अवसर पर मेदांता हॉस्पिटल के वरिष्ठ न्यूरो सर्जन डॉ. रजनीश कछारा ने स्ट्रोक के गोल्डन आवर्स बताए जो लकवे के लक्षण से 3 से 4 घंटे के बीच होते हैं.
इस अवधि में यदि मरीज को अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो वर्तमान में काफी अच्छी चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध होने से पीडि़त मरीज को लकवे के दुष्परिणामों से बचाया जा सकता है। न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. वरुण कटारिया ने स्ट्रोक के लक्षणों एवं प्रकार के बारे में बताया जिनमें मुख्य रुप से हैं- ‘आँखो के आगे अकस्मात अंधेरा छाना, डबल दिखना, बोलने की अकस्मात तकलीफ होना, मुंह का टेढ़ा होना इत्यादि.
वरिष्ठ न्यूरो फिजिशियन डॉ. वी.बी. नाडकर्णी ने स्ट्रोक के उपचार के बारे में जानकारी दी. वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञडॉ. शैलेन्द्र त्रिवेदी ने ब्रेन अटैक एवं हार्ट अटैक में समानताएं और विभिन्नताओं के बारे में बताया. कार्यक्रम में उपस्थित आम लोगों एवं मरीजों द्वारा कई प्रश्न पूछे गए जिनका सभी डॉक्टर्स ने उचित समाधान दिया