विवाह में हो रहा है विलंब, जानिए जल्दी शादी के उपाय

डॉ श्रद्धा सोनी, वैदिक ज्योतिष आचार्य, रतन विशेषज्ञ, वास्तु एक्सपर्ट

विवाह में विलंब होने के कई कारण होते हैं। उनमें से एक कारण कुंडली के ग्रहों को भी माना जाता है। कहते हैं कि जीवन में विवाह के योग बनते हैं परंतु जब वे किसी कारणवश टल जाते हैं तो फिर दूसरी बार योग बनने में समय लगता है। आओ जानते हैं कि विवाह के योग कब कब बनते हैं।

विवाह के योग :- ज्योतिष मान्यता के अनुसार विवाह के योग उम्र के 27, 29, 31, 33, 35 व 37वें वर्ष में बनते हैं। हालांकि पुराने जमाने में 16 वर्ष की उम्र में ही विवाह कर दिया जाता था। कहते हैं कि लड़की की कुंडली में गुरु और पुरुष की कुंडली में शुक्र बनाता है विवाह के योग।

कैसे होता है विवाह में विलंब

  1. कई बार व्यक्ति विवाह करने से यूं ही इनकार कर देता है कि अभी नहीं करना विवाह। कई बार अच्छे रिश्ते के चक्कर में योग भी को टाल दिया जाता है। ऐसे भी होता है कि करियर के चक्कर में भी वह विवाह नहीं करता है।
  2. ज्योतिष मानता है कि मांगलिक होना, पितृदोष होना या काल सर्पदोष होना भी विवाह में विलंब का एक कारण है।
  3. कहते हैं कि जब सूर्य, मंगल या बुध लग्न या लग्न के स्वामी पर दृष्टि डालते हों और गुरु 12वें भाव में बैठा हो तो भी विवाह में देरी होती है।
  4. प्रथम या चतुर्थ भाव में मंगल हो और सप्तम भाव में शनि हो तो व्यक्ति की विवाह के प्रति उदासीनता के भाव रहते हैं।
  5. प्रथम भाव, सप्तम भाव में और बारहवें भाव में गुरु या शुभ ग्रह योग कारक न हो और चंद्रमा कमजोर हो तो विवाह में बाधाएं आती हैं।
  6. सप्तम भाव में शनि और गुरु की युति तो शादी देर से होती है। कई बार यह भी देखा गया है कि दोनों में से कोई एक ग्रह हो तो भी विवाह में अड़चन आती है।
  7. सप्तम भाव में बुध और शुक्र की युति हो तो भी विवाह तय होने में काफी अड़चने आती रहती है, जिसके चलते विवाह में विलंब हो जाता है।
  8. चंद्र की राशि कर्क से गुरु सप्तम हो तो विवाह में बाधाएं आती हैं।
  9. सप्तम में त्रिक भाव का स्वामी हो, कोई शुभ ग्रह योगकारक नहीं हो तो विवाह में बाधाएं आती हैं या विवाह देर से होता है।
  10. यदि गुरु कमजोर या नीच का होकर बैठा हो, शत्रु भाव में या शत्रुओं के साथ बैठा हो तब भी विवाह में अड़चने आती हैं।

जल्दी शादी करके के उपाय

  1. मंगल दोष है तो उसका उज्जैन के मंगलनाथ में उपाय करें। कुंभ विवाह करें।
  2. पितृदोष या कालसर्पदोष हैं तो उसका नासिक का त्र्यंबकेश्वर में जाकर उपाय करें।
  3. सप्तम भाव का दोष है तो उपके उपाय करना चाहिए।
  4. लड़कों को शुक्र के उपाय करना चाहिए और लड़कियों को गुरु के उपाय करना चाहिए।
  5. शनिवार को पीपल की पूजा करें।
  6. गुरुवार को केले के युगल जोड़ों की पूजा करें।
  7. ग्यारह शुक्रवार को माता पार्वती या दुर्गाजी के मंदिर में श्रीफल व चुनरी को अर्पित करें।
  8. पूर्णिमा के दिन वट वृक्ष की 108 परिक्रमा करें।
  9. गाय को घी की रोटी में गुड़ लपेटकर खिलाएं और हल्दी के पानी में आलू को उबालकर उसे ठंडा करके गाय को खिलाएं।
  10. गुरुवार और शुक्रवार को व्रत करें।
  11. अपने माथे पर केसर, हल्दी या चंदन का तिलक लगाएं।
  12. शुक्रवार के दिन दही स्नान करें, फिटकरी का कुल्ला करके सोएं।

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