किशोर न्याय अधिनियम- 2015 का प्रभावी क्रियान्वयन जरूरी

चतुर्थ पश्चिम क्षेत्र राष्ट्रीय किशोर न्याय सम्मेलन संपन्न

इंदौर. उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय, महिला एवं बाल विकास विभाग तथा युनिसेफ के संयुक्त तत्वावधान में आज ब्रीलिंयंट कांवेंशन सेन्टर में चतुर्थ पश्चिम क्षेत्र राष्ट्रीय किशोर न्याय सम्मेलन आयोजित किया । इस अवसर पर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधिपति जस्टिस मदन बी. लोकुर विशेष रूप से उपस्थित थे.
सम्मेलन को संबोधित करते हुए उच्चतम न्यायालय के न्यायाधिपति जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा कि हम बच्चों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिये कृतसंकल्पित हैं. उन्हांने कहा कि देश में बाल श्रम समाप्त होना चाहिये. मातृ मृत्युदर एवं शिशु मृत्युदर में कमी आना चाहिये. उन्होंने कहा कि स्वस्थ माता ही स्वस्थ बच्चों को जन्म दे सकती है. शासन का उद्देश्य है कि बच्चों के लिये अनुकुल वातावरण निर्मित करें, जिससे उन्हें शिक्षा-दीक्षा ठीक से मिल सके और उनका पालन-पोषण ठीक ढंग से हो सके.
राज्य शासन बच्चों के हित में वातावरण निर्मित करें. बच्चों के लिये हेल्प डेस्क की शुरूआत देश के हर जिले में होना चाहिये. अमीर लोग गरीब बच्चों को गोद भी ले सकते हैं. जस्टिस श्री गुप्ता ने यह भी कहा कि बाल श्रमिक और गरीबी सबसे ज्यादा चिन्ता का विषय है । गरीब बच्चों की स्थिति ठीक नही है । उनकी स्थिति सुधारने के लिये समाज के सभी वर्गों का सहयोग जरूरी है।
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर के मुख्य न्यायाधिपति जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि गरीब बच्चे शिक्षा के अभाव में नशे और अपराध की ओर उन्मुख होते हैंय स्वयंसेवी और समाजसेवी संगठन इन्हें सही राह पर ला सकते हैं । हमारा उद्देश्य है कि बाल अपराधियों को सही समय पर कानूनी सहायता मिले और उन्हे समय पर न्याय भी मिले । बाल संप्रेक्षण गृह सुधारगृह के रूप में काम करें ।

राष्ट्र की मुख्य धारा से जोडऩा उद्देश्य

इस अवसर पर भारत सरकार महिला एवं बाल विकास विभाग के अतिरिक्त सचिव अजय तिर्की ने कहा कि केन्द्र सरकार बाल अपराधियों के लिये खुले संप्रेक्षण गृह के पक्ष में है. जहां पर किशोर अपराधियों को बाल संप्रेक्षणगृह में सभी मूलभूत सुविधाएं मिलना चाहिये. बाल संप्रेक्षणगृह में खान-पान और रहन-सहन का स्तर ठीक होना चाहिये. हमारा उद्देश्य आरोपी बच्चों को राष्ट्र की मुख्य धारा से जोडऩा है.
इस असर पर यूनिसेफ की प्रतिनिधि सुश्री फारूख फाजेट ने कहा कि यूनिसेफ द्वारा पूरी दुनिया में बाल संरक्षण के क्षेत्र में काम किया जा रहा है. भारत में किशोर न्याय संरक्षण अधिनियम – 2015 का प्रभावी क्रियान्वयन जरूरी है. उच्च न्यायालय की किशोर न्याय समिति बच्चों के हितों का संरक्षण करें. उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश शासन ने लाडली लक्ष्मी योजना शुरू करके सराहनीय कार्य किया है. इससे स्त्री-पुरूष लिंगानुपात में सुधार आ रहा है । महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान और गोवा में राज्य सरकारों द्वारा भी बाल संरक्षण की दिशा में अनेक कदम उठाये गये हैं ।
    इस अवसर पर जबलपुर उच्च न्यायालय के न्यायाधिपति जस्टिस जे.के.माहेश्वरी ने कहा कि बाल संरक्षण के लिये राज्य शासन ने 2015 में किशोर न्याय अधिनियम लागू किया । उच्च न्यायालय का दायित्व है कि इस अधिनियम का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करे ।
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने समय-समय पर बच्चों के हित में अनेक निर्णय दिये हैंय इस अवसर पर मध्यप्रदेश गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र एवं गोवा के न्यायाधीशगण, प्रिंसिपल रजिस्ट्रार, उच्च न्यायालय खण्डपीठ, इंदौर श्री अनिल वर्मा एवं सभी राज्यों के प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल विकास मध्यप्रदेश के सचिव स्कूल शिक्षा श्री शोभित जैन, आयुक्त, महिला एवं बाल विकास संचालनालय, डा. अशोक कुमार भार्गव, यूनिसेफ के प्रतिनिधि आदि मौजूद थे ।

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