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परिवार मे कलह क्यों?
डॉ श्रद्धा सोनी, वैदिक ज्योतिषाचार्य, रतन विशेषज्ञ
1-किसी भी परिवार में पिता और पुत्र के मध्य मतभेदों का कारण दशम भाव के स्वामी ग्रह का लग्न के साथ मित्र भाव का न होना होता है, यदि छठे से आठवें भाव में शनि राहु हो तो पितृ दोष की स्थिति बनती है।
2–पति-पत्नी के बीच होने वाले झड़गे का कारण वह योग होता है जब सप्तम भाव में निम्न राशि का ग्रह हो और उस भाव का स्वामी भी 12वें भाव में निम्न राशि हो।
3–घर का ईशान वाला हिस्सा उत्तर-पूर्व घर के दक्षिण-पश्चिम हिस्से से नीचे होना चाहिए। यदि ऐसा नहीं है तो यह पिता-पुत्र के संबंधों के लिए खराब माना जाता हैं। ऐसे घर में रहने वाले पिता-पुत्र कभी किसी बात पर एकमत नहीं हो सकते।
4–यदि लग्नेश और सप्तमेश के स्वामियों के मध्य परस्पर पंचधा मैत्री विचार करने पर लग्नेश राहु या केतु के साथ हो तो जातक की स्त्री पति के विरुद्ध आचरण करने वाली, कलहकारी एवं कठोर वाणी का प्रयोग करने वाली होती है। नवमांश स्वामी बारहवें भाव में हो तो जातक अपनी स्त्री से संतुष्ट नहीं रहता है। यदि नवमांश स्वामी पापग्रह हो और पापग्रहों से युत या दृष्ट हो तो उसकी स्त्री कटु वचन बोलने वाली एवं कलहकारी होती है।