योग मानव जाति के कल्याण के लिए सर्वोत्तम उपहार

राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल 7 वें अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में

इंदौर. राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा है कि योग मानव जाति के कल्याण के लिए सर्वोत्तम उपहार हैं। योग से तन-मन, संस्कारों एवं विचारों की शुद्धता होती हैं। जीवन में इससे सकारात्मक बदलाव आता हैं। राष्ट्रीयता एवं सद्भाव का वातावरण बनाने में भी योग मददगार है। योग सबके लिए जरूरी हैं। इसे शिक्षा व्यवस्था के साथ भी जोड़ा जाना चाहिए।

   श्रीमती आनंदीबेन पटेल आज से इंदौर में शुरू हुए दो दिनी 7 वें अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के शुभारंभ समारोह को संबोधित कर रहीं थी। परमानंद योग यूनिवसिटी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. नरेन्द्र धाकड़ ने की। इस अवसर पर परमानन्द योग यूनिवर्सिटी ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. ओमनंद गुरूजी, हावर्ड यूनिर्वसिटी यूएसए से आये डॉ. सतवीर खालसा, सेंट्रल जीएसटी के अपर आयुक्त श्री दिनेश पेण्ढारकर, श्री आंद्रे विशेष रूप से मौजूद थे।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्रीमती पटेल ने कहा ‍कि योग किसी सरकार या संयुक्त राष्ट्र का अविष्कार नहीं है बल्कि यह दुनिया के अब तक के सबसे बड़े ज्ञान आधारित अभियान का प्रतिबिंब है। उन्होने कहा कि बसुधैव कुटुम्बकम यह योग की, एकता की शिक्षा है । योग द्वारा भारत की सामूहिक ऊर्जा, शांति, समृद्धि, भय मुक्त जीवन और आनंद भरी दुनिया की कल्पना की जा  सकती है।

योग हमारी भारतीय संस्कृति की प्राचीनतम पहचान है। संसार की प्रथम पुस्तक ऋग्वेद में कई स्थानों पर यौगिक क्रियाओं के विषय में उल्लेख मिलता है। श्री आदिनाथ शिव के बाद वैदिक ऋषि-मुनियों से ही योग का प्रारंभ माना जाता है। श्री कृष्ण, महावीर, बुद्ध, गोरख, महर्षि पतंजलि, आदि ने इसे सुव्यवस्थित रूप दिया। योग धर्म, आस्था और अंधविश्वास से परे एक सीधा विज्ञान है।

लोग अक्सर सोचते हैं कि योग केवल एक व्यायाम है। लेकिन योग वह है जो जीवन के हमारे कष्टों और दुखों को दूर करता है। योग जीवन के कष्टों को सफलता और आनंद में बदल देता है। योग व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण करता है और जीवन में निखार लाता है। इस बात के पर्याप्त प्रमाण हैं कि योग तनाव और अनेक आधि-व्याधि से निपटने में मदद करता है। आधुनिक जीवन शैली की समस्यायें जैसे तनाव, मानसिक दु:ख ब्लड प्रेशर, मधुमेह, भय, दर्द आदि बीमारियों से योग द्वारा मुक्ति सम्भव है।

ऐसे युवा जो खुद शांति के साथ नहीं हैं, अशांत हैं, वे ड्रग्स और शराब की शरण लेते हैं जिससे जीवन असफल हो जाता है, उनसे मेरा आव्हान है कि योग को अपनाएँ और उन्मुक्त सफल जीवन बनायें। उन्होने कहा कि योग हमारे देश की प्राचीन धरोहरों में से एक है। इसके संवर्धन और संरक्षण की जिम्मेदारी हम सब पर है।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के अथक प्रयासों से हमारे देश की प्राचीन पद्धति योग को अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में प्रतिष्ठा,सम्मान और लोकप्रियता प्राप्त हुई है। योग सबके लिए आवश्यक है। योग सरल,सुलभ और सर्वसुलभ पद्धति है। योग से कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है और साथ-साथ गुणवत्ता में भी सुधार देखने को मिलता है। मनुष्य कोई भी काम अगर प्रफुल्लित मन से करता है तो अवश्य ही उसका सकारात्मक असर उसके कार्य में देखने को मिलता है।

कार्यक्रम के प्रारंभ में परमानन्द योग ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. ओमनन्द गुरूजी ने संबोधित करते हुए आयोजन की रूपरेखा बताई। उन्होने योग की महत्ता पर प्रकाश डाला।  उन्होने कहा कि योग से जीवन का अंधकार दूर होता है, तनाव से मुक्ति मिलती है। विचारों, मन एवं तन की शुद्धता के साथ-साथ योग दु:ख भी दूर करता है। नित्य प्रतिदिन योग करना चाहिए।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलपति डॉ. नरेन्द्र धाकड़ ने कहा कि योग आज की बड़ी आवश्यकता है। योग की जीवन में अत्यंत महत्व है। विश्व को भारत नहीं योग के माध्यम से शांति एवं तनाव मुक्ति का रास्ता दिखाया है। कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों ने योग तथा उससे जुड़ी गतिविधियों का प्रदर्शन किया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने द्वारा 7 वें अंतरराष्‍ट्रीय योग महोत्सव के उपलक्ष्य में डाक विभाग द्वारा प्रकाशित विशेष आवरण तथा डॉ. ओमनन्द गुरूजी द्वारा लिखित पुस्तिका योग द अल्टिमेट सांइस तथा स्कूल ऑफ कॉमर्स की पुस्तिका दिशा का विमोचन किया।  

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