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कर्मकाण्ड और वेद पाठ की मिलेगी नि:शुल्क शिक्षा
हरिधाम में 6 टी से 12 वीं तक के बटुक होंगे तैयार
इंदौर. संस्कृत वैज्ञानिक भाषा के साथ ही हमारे स्वास्थ और शब्दों के उच्चारण का क्रम भी बताती है. आज के समय में इसकी लोलुप्ता हो रही है. हम चाहते है कि विद्वान आचार्यो के सान्निध्य में नई पीढ़ी तैयार हो और उन्हें कर्मकाण्ड के साथ वेद पाठ के साथ धर्मग्रंर्थो का विधिवत ज्ञान भी मिले जिससे की हम धर्म और संस्कृति के अनुरूप नई पीढी को जोड़ सकेंगे. वहीआज के समय में व्याप्त बुराईयों दुराचरण का भान करवाने के साथ इन्हें दूर करने के ऊपाय भी बताए जाएंगे.
यह जानकारी केट रोड स्थित सिद्धक्षेत्र श्री घनश्यामदास संस्कृत विद्यापीठ के बारे में वरिष्ठ समाजसेवी घनश्याम पोरवाल ने दी. सांकेतवासी महंत घनश्यामदास महाराज की प्रेरणा व अधिष्ठााता महंत शुकदेवदास महाराज के सानिध्य में से बटुकों को नि:शुल्क कर्मकाण्ड व वेदपाठ का ज्ञान प्रदान किया जाएगा. श्री पोरवाल ने बताया कि 50 बच्चों के लिए अध्ययन, भोजन और आवास की नि:शुक्ल व्यवस्था हरिधाम सेवा न्यास द्वारा कि जा रही है. इसके लिए कक्षा 6 से 12 वी तक की पढाई भी जारी रहेगी.
शिक्षाविद डॉ. कोशल किशोर पाण्डेय सहित अन्य कई विद्वान आचार्यो के मार्गदर्शन में यह कार्य संचालित किया जाएगा; जिसमें समय-समय पर उज्जैन, ओंकारेश्वर एवं संस्कृत कॉलेज के प्रोफेसर्स का मार्गदर्शन भी छात्रों को दिया जाएगा. अपने तरह का यह प्रदेश का पहला संस्कृत विद्यालय होगा जहां वैदिक कर्मकाण्ड के साथ रामायण, श्रीमद भगवत गीता जैसे कई ग्रंथों के गहन अध्ययन के साथ उन्हे व्यवहारिक शिक्षा के हिन्दी, वैदिक गणित, अंगे्रजी, सामाजिक अध्ययन सहित अन्य विषय की शिक्षा को भी प्रमुखता दी जाएगी जिससे की बालकों का सर्वागीण विकास करवाया जा सके. 30 जुलाई तक प्रेवश लिया जाना सुनिश्चित किया है योग्य छात्रों का चयन समिती द्वारा किया जाएगा.
सही उच्चारण का सीधा असर हमारे मन पर
डॉ कोशल किशोर पाण्डेय ने बताया कि ध्वनि के साथ वर्ण उच्चारण का बढ़ा महत्व होता है. कौन सा शब्द कब और कैसे बोलना है. इसका असर सीधे हमारे मन व स्वास्थ्य पर पड़ता है. संस्कृत विज्ञान सम्मत भाषा होने से इसकी हर क्रिया का अपना महत्व है और यह व्यक्ति से दैनिक चर्या को सुव्यवस्थित बनाती है. डॉ पाण्डेय ने बताया कि वैदिक गणित भी आज की पिढी को पढाया जाना आवश्यक है जिससे की हजारों की संख्या में गणना को त्वरित किया जाता है. ऐसी ही लुप्त होती विद्या को पु:न स्थापित करने में श्री धनश्यामदास संस्कृत विद्यापीठ के बालकों को तैयार किया जाएगा इसके लिए विषय विशेषज्ञों की भी समय समय पर कक्षाए लगाई जाएगी.