- सिंगा का 'फक्कर' फिल्म के लिए नया और दमदार लुक महाकुंभ यात्रा के दौरान फैंस को दंग कर दिया
- Singga’s Bold New Avatar for ‘Fakkar’ Leaves Fans in Awe During Mahakumbh Pilgrimage
- पुष्पा के को-डायरेक्टर पवन हुए कशिका कपूर की परफॉर्मेंस से प्रभावित, कहा – "वो कैमरे के सामने कमाल करती हैं, LYF के बाद बहुत बिजी हो जाएंगी"
- Pushpa Co-Director Pavan Impressed by Kashika Kapoor’s Performance in His Next Directorial ‘LYF’, Says She is an Amazing Performer and Does Wonders in Front of the Camera and she will get very busy after LYF release
- बिग बॉस 18 के फिनाले में सलमान खान के साथ न्यर्रा एम बनर्जी का मनमोहक 'जुग घूमेया' पल वायरल हो गया,
भगवान कभी किसी का बुरा नहीं करते: रामदयाल
इंदौर. हम अपने कर्मों के लिए स्वयं जिम्मेदार हैं लेकिन हमारी प्रवृत्ति कुछ इस तरह की हो गई है कि हर बिगड़े काम के लिए भगवान को ही दोष देते रहते हैं। भगवान कभी किसी का बुरा नहीं करते. उनकी डिक्शनरी में दुख नाम का कोई शब्द है ही नहीं. जब तक हमारे कर्म श्रेष्ठ नहीं होंगे, उनके फल भी हमारी आशा के अनुरूप नहीं मिलेंगे. जीवन की धन्यता तभी संभव है जब हम सुख और आनंद के समय भी राम नाम का स्मरण करते रहें.
ये प्रेरक विचार हैं अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के आचार्य जगदगुरू स्वामी रामदयाल महाराज के, जो उन्होंने आज सुबह उषा नगर सत्संग भवन पर आयोजित धर्मसभा में रामनाम की महिमा विषय पर व्यक्त किए. आचार्यश्री गत 15 से 28 जून तक दक्षिण अफ्रीका की यात्रा से लौटकर पिछले पांच दिनों से उषा नगर सत्संग भवन पर मालवांचल के भक्तों को सान्निध्य प्रदान कर रहे थे. आज सुबह प्रवचन के पश्चात शहर के मध्यवर्ती राजवाड़ा, खजूरी बाजार, मोरसली गली, सराफा, तिलकपथ आदि क्षेत्रों में बैंड-बाजों सहित अनेक भक्तों के प्रतिष्ठानों और निवास स्थानों पर आचार्यश्री की पधरावणी की गई. तिलकपथ से जुलूस के रूप में आचार्यश्री का काफिला संतों और भक्तों सहित सबसे पहले खजूरी बाजार, उसके बाद मोरसली गली, सराफा और राजवाड़ा पहुंचा जहां पलक-पावडे बिछाकर आचार्यश्री की अगवानी की गई. इस दौरान छावनी रामद्वारा के संत रामस्वरूप रामस्नेही, देवास रामद्वारा के संत रामनारायण, उदयपुर के संत नरपतराम, चित्तौड़ के संत रमताराम तथा संत दिग्विजयराम, भक्त मंडल के राजेंद्र असावा, मथुरादास बत्रा, रामनिवास मोढ, मुकेश कचोलिया, सुश्री किरण ओझा भी उनके साथ रहे.
कर्म ऐसे हो जिनसे संतोष मिले
उषा नगर सत्संग भवन पर इसके पूर्व आयोजित धर्मसभा में आचार्यश्री ने कहा कि हमारे कर्म ऐसे होना चाहिए, जिनसे स्वयं हमें तो संतोष और आनंद मिले ही, दूसरों को भी किसी तरह का कष्ट या दुख नहीं पहुंचे. सुख और दुख जीवन के क्रम हैं। हमें अब तक जितना सुख मिल रहा है, उसके लिए हर क्षण परमात्मा के प्रति कृतज्ञता का भाव होना चाहिए. यदि हमारे अनुरूप फल नहीं मिल रहे हैं तो इसका मतलब यही है कि कहीं न कहीं हमसे त्रुटि हो रही है। परमात्मा कभी किसी का बिगाड़ नहीं करते।