ऑपरेशन के बाद 3 वर्षीय बच्चे की मौत

परिजनों ने लगाया लापरवाही का आरोप

इंदौर. तीन 3 साल के बच्चे कबीर ने खेल-खेल में खिलौने में लगने वाली चुंबक निगल ली थी. निजी अस्पताल में एंडोस्कोपी के माध्यम से चुंबक निकाल ली गई लेकिन इसके बाद बच्चे की मौत हो गई. परिजनों का आरोप है कि बालक को बेहोश करने के लिए एनेस्थीसिया का डोज ज्यादा मात्रा में देने से उसकी मौत हुई.

जानकारी के अनुसार सिलिकान सिटी में रहने वाले 3 वर्षीय कबीर पिता सुनील तिवारी ने 29 जुलाई को गलती से चुंबक निगल लिया था. बालक को 29 जुलाई को अरिहंत अस्पताल लाया गया, उस समय चिकित्सकों ने एनेस्थीसिया विशेषज्ञ न होने के कारण अगले दिन आने को कहा. पिछले 11 दिन में प्रबंधन ने स्टाफ न होने के कारण एंडोस्कोपी करने से मना किया. इसके बाद सोमवार को बच्चे की एंडोस्कोपी करने के लिए बुलाया. सोमवार सुबह 8 बजे अस्पताल भर्ती किया गया.

इसके बाद उसे डॉ. सोनल ने एनेस्थीसिया दिया और डा. मयंक जैन ने एंडोस्कोपी की. डॉक्टर ने चुंबक भी दिखाई और कहा कि 15 से 30 मिनट में बालक को होश आ जाएगा. करीब ढाई घंटे बाद चिकित्सों ने बताया कि बच्चे की मौत हो गई. इस घटना के बाद परिजनों ने पुलिस कंट्रोल रुम को इसकी सूचना दी. इसके बाद असपताल में पुलिस भी पहुंची. परिजनों की चंदन नगर थाने में अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ शिकायत की. इसके बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेजा गया. जहां से बच्चे का शव एमवाय अस्पताल भेजा गया. बच्चे के पिता सुनील तिवारी ने कहा कि डॉक्टर मौत का कारण नहीं बता सके है. मेरे बेटे की जान एनेस्थीसिया के ओवरडोज से गई है. डॉक्टर अपनी गलती नहीं मान रहे हैं. लापरवाही के वजह से बच्चे की मौत हुई है.

अरिहंत अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारी डा. संजय राठौर के मुताबिक पूरी जांच के बाद डॉ. मयंक जैन ने एंडोस्कोपी कर चुंबक को बच्चे के पेट में से निकाला. इस दौरान निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. सोनल निवसरकर ने बालक को जनरल एनीस्थीसिया दिया था. चुंबक निकालने के पश्चात बच्चा रिकवर हुआ, उसके बाद उसे पीआईसीयू में शिफ्ट किया गया. जहां पर उसके आक्सीजन सेचुरेशन कम होता चला गया जिससे उसकी मौत हो गई. मौत का कारण अभी ज्ञात नहीं है. पीएम रिपोर्ट के बाद ही तय होगा कि बच्चे की मौत किस वजह से हुई. हमने इलाज के सारे दस्तावेज पुलिस को सौंप दिए हैं.

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