- टास्कअस ने हर महीने 250 से ज़्यादा नए स्टाफ को नियुक्त करने की योजना के साथ इंदौर में तेजी से विस्तार शुरू किया
- Capture Every Live Moment: OPPO Reno13 Series Launched in India with New MediaTek Dimensity 8350 Chipset and AI-Ready Cameras
- OPPO India ने नए AI फीचर्स के साथ पेश की Reno13 सीरीज़
- इंदौर एनिमल लिबरेशन की पहल: जानवरों के अधिकारों का हो समर्थन
- सपनों को साकार करने का मंच बन रहा है ‘प्लास्ट पैक 2025’
देहदान कर इंदौर की 87 वर्षीय इंदु जोशी ने पेश की मिसाल, कई जिंदगी होगी रोशन
परिजनों ने शहर के इंडेक्स मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में इंदु जोशी का किया देहदान
इंदौर। शहर की 87 महिला इंदु जोशी ने करीब 20 वर्ष पहले देहदान का संकल्प लिया था। दिनांक 9 जुलाई 2021 को उनकी मृत्यु के बाद उनके परिवार द्वारा उनकी अंतिम इच्छा को पूरा किया गया। उन्होंने देहदान महादान के नारे को चरितार्थ कर समाज को नई दिशा दिखाई है। परिजनों के द्वारा उनके पार्थिव शरीर को ससम्मान इंडेक्स अस्पताल को सौंपा गया। इंडेक्स ग्रुप के चेयरमैन श्री सुरेश सिंह भदौरिया एवं वाइस चेयरमैन मयंक राज सिंह भदौरिया ने इस पुनीत कार्य के लिए इंदु जोशी जी के परिजनों के प्रति अपना आभार व्यक्त किया।
मरने के बाद भी शिक्षिका इंदु जोशी हो गई अमर
शिक्षिका इंदु जोशी के पुत्र सुनील जोशी ने बताया कि मेरी माँ ने सन 2000 में ही देहदान करने का निर्णय ले लिया था। हम लोग भूल न जाए इसलिए वे अक्सर पूरे परिवार को देहदान के बारे में याद दिलाती रहती थी। उनकी दिल की तमन्ना थी कि मरने के बाद भी उनका शरीर लोगों के जीवन के काम आ सके। वे शुरुआत से ही शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ी थी। रिटायरमेंट के बाद भी उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अपना कर्तव्य जारी रखा। उनका मानना रहा हैं कि मानवता के लिए शरीर दान करना इंसान के लिए सब से बड़ा पुण्य है। शिक्षिका इंदु जोशी के परिजनों ने लोगों का आह्वान किया है कि मृत्यु के बाद सभी लोगों को अंगदान के लिए आगे आना चाहिए।
इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के देहदान अधिकारी राज गोयल ने बताया कि “जब हमारे पास श्री सुनील जोशी का कॉल आया तो हमने तुरंत ही सभी नियमों का पालन करते हुए आगे की प्रक्रिया जारी रखी। उनके देहदान के निर्णय का हम सम्मान करते हैं। शहर की मुस्कान ग्रुप का भी इस पुनीत कार्य में अहम योगदान रहा है। उन्होंने आगे बताया कि कोरोना काल के दौरान पूरा देश इस मुश्किल समय से लड़ रहा था इस कारण भी कहीं पर देहदान नहीं हो पा रहा था। कोविड के आने के बाद यह प्रदेश का पहला मामला है जब किसी मेडिकल कॉलेज में देहदान किया गया है। निश्चित रूप से अब देहदान के प्रति लोगों में और भी जागरूकता आएगी।”