मराठाओ के वंशजनो ने पानीपत के लिए आशुतोष गोवारिकर और रोहित शेलाटकर को सम्मानित किया

निर्माता निर्देशक आशुतोष गोवारिकर ऐतिहासिक ड्रामा  फिल्मो के लिए जाने जाते हैं, और व्यापक रूप से अपने काम को पूरी निष्ठा एव  तन मन धन लगाकर करते है। वे बड़े परदे से हर प्रेक्षक को एक सुनहरा मौका प्रदान करते है। 

फिल्मो पर और उनके विषयो पर उनका बेहद प्यार है , उनके इसी स्नेह के चलते फिल्म निर्माता आशुतोष गोवारीकर को पुणे में हिंदवी स्वराज्य महासंघ द्वारा सम्मानित किया गया । 6 दिसंबर, 2019 को प्रदर्शित हुई फिल्म पानीपत के निर्माता रोहित  शेलाटकर  को उच्चतम स्तर की शिल्पकारी प्रदर्शित करने के लिए सम्मानित किया गया

आशुतोष और रोहित को उपरोक्त संगठन के प्रधान मंडल ने १२ जनवरी वर्ष २०२०  आमंत्रित किया था, क्योंकि पानीपत की तीसरी लड़ाई की 260 वीं वर्षगांठ थी,आशुतोष की हालिया फिल्म पानीपत के लिए उन्हें आमंत्रित किया गया । 12 जनवरी को, पुणे में इस अवसर को चिह्नित करने फिल्म निर्देशक और उनके निर्माता साथी को उनके हाल ही के काम के लिए सम्मानित करने के लिए पुणे में एक ‘मानवंदना ’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया. फिल्म पानीपत को सभी स्तर  से अच्छे रिस्पॉन्स मिला और आलोचकों द्वारा भी फिल्म की बहुत सराहना की गयी है।

भारतीय सेना के दक्षिणी कमान के सैन्य बैंड ने उन नायकों को श्रद्धांजलि दी जिन्होंने अपनी जान की बाजी लगा दी और पानीपत की तीसरी लड़ाई में बहादुरी से लड़े थे । भोसले, पेशवा और अन्य मराठा सरदार परिवारों ने आशुतोष और रोहित को मराठा इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना को बढ़िया ढंग से रेखांकित करने के लिए और फिल्म पानीपत के साथ मराठों की वीरता, महिमा और वीरता को दिखाने के लिए उन्हें सलाम किया है ।

इस समारंभ में आशुतोष ने पारंपरिक मराठा शैली में तैयार की गई वेशभूषा की थी , उन्होंने सिर पर केसरी पीता पहना था। मंच पर उनके साथ एचएच शिवाजीराज भोसले, हिंदवी स्वराज्य महासंघ के अध्यक्ष और तंजावुर के छत्रपति भोसले परिवार के वंशज थे। इसके अलावा, सातारा और कोल्हापुर के छत्रपति वंशोंजो ने और मराठा सरदार परिवारों के सदस्यों की वर्तमान पीढ़ी इस समरोह में उपस्थिति थी। उन्होंने एक साथ गोवारीकर के काम की उत्कृष्टता की सराहना की।

सम्मान के बाद भावनात्मक रूप से आशुतोष गोवारिकर ने कहा, “मैं इस सम्मान से बहुत अभिभूत हूं कि हिंदवी स्वराज महासंघ ने मुझे शुभकामनाये दी हैं। इससे मुझे एक मान्यता मिलती है कि मैंने शायद वही किया है जो मैं करना चाहता था। मैं मराठा और भारतीय इतिहास के एक अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू पर स्पॉटलाइट ला सका । मैं मराठा सैनिकों और शाही परिवार के नेताओं द्वारा किए गए योगदान को उजागर कर सकता था यह मुझे पता था ।

मुझे इस बात के लिए कृतज्ञता से भर देता है कि पूरी टीम और मैंने दो साल की अवधि में  फिल्म का काम किया। मराठा वंश के परिवारों ने मेरी फिल्म और मेरे काम को सराहा। मेरे लिए नए दशक और नए साल की इस से बेहतर शुरुआत नहीं हो नहीं सकती । यह मेरी धारणा को मजबूत करता है कि भारतीयों के रूप में, हमारे पास गर्व महसूस करने के लिए हमारे इतिहास में बहुत कुछ है। ”

पानीपत, ऐतिहासिक ड्रामा ,तथा पानीपत की तीसरी लड़ाई की २६० वीं वर्षगांठ पर, यह एक माना चा मुजरा है । मराठा योद्धाओं की वीरता, मिट्टी के सच्चे पुत्र जिन्होंने अपनी भूमि को आक्रमणकारियों से बचाने के लिए वे अपने खून की आखिरी बूंद तक लड़े । यह उनका शौर्य और सन्मान है। 

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