- Did you know Somy Ali’s No More Tears also rescues animals?
- Bigg Boss: Vivian Dsena Irked with Karanveer Mehra’s Constant Reminders of Family Watching Him
- Portraying Diwali sequences on screen is a lot of fun: Parth Shah
- Vivian Dsena Showers Praise on Wife Nouran Aly Inside Bigg Boss 18: "She's Solid and Strong-Hearted"
- दिवाली पर मिली ग्लोबल रामचरण के फैन्स को ख़ुशख़बरी इस दिन रिलीज़ होगा टीज़र
‘सबसे अहम बात यह है कि, मैं स्क्रीन पर महिला किरदारों को लोगों के सामने किस तरह प्रस्तुत करती हूं’: भूमि पेडनेकर
भूमि पेडनेकर इस नई जनरेशन की सबसे उत्साही युवा कलाकारों में से एक हैं। बॉलीवुड में कदम रखने के कुछ सालों के भीतर ही इस यंग एक्ट्रेस ने ‘दम लगा के हईशा’, ‘टॉयलेट’, ‘शुभ मंगल सावधान’, ‘बाला’, ‘सांड की आँख’, ‘सोन चिरैया’ जैसी कई अलग-अलग फ़िल्मों के जरिए कुछ दमदार और शानदार महिला किरदारों को दर्शकों के सामने प्रस्तुत किया है।
भूमि कहती हैं, “मेरे लिए, सबसे अहम बात यह है कि मैं स्क्रीन पर महिला किरदारों को लोगोंके सामने किस तरह प्रस्तुत करती हूं। सिनेमा में लोगों की सोच को बदलने की ताकत है और मुझे लगता है कि हम महिला किरदारों के जरिए समानता और स्वतंत्रता के संदेश को सभी लोगों तक पहुंचा सकते हैं।
मैंने हमेशा ऐसे ही किरदारों की तलाश की है और इन किरदारों को पर्दे पर पूरे दिल से निभाया है। मैं ख़ुशकिस्मत हूं कि मुझे ऐसे किरदारों को निभाने का मौका मिला, जो लीक से हटकर थे और जिन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई।”
यह टैलेंटेड एक्ट्रेस जल्द ही अक्षय कुमार कीफ़िल्म ‘दुर्गावती’ के साथ-साथ पुरस्कार विजेता डायरेक्टर, अलंकृता श्रीवास्तव की ‘डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे’ में लीड रोल में नज़र आएंगी।
वह कहती हैं, “इसके लिए मैं अपने विजनरी फ़िल्म-मेकर्स को धन्यवाद देती हूं जिन्होंने इन शानदार महिलाओं की कहानियों को देश के लोगों के सामने लाने का बीड़ा उठाया है। उनकी सिनेमा का हिस्सा बनना और ऐसी दिलेर, शानदार, तथा आत्मविश्वास से भरी महिलाओं के किरदार को पर्दे पर उतारना मेरे लिए सम्मान की बात है।”
भूमि सिनेमा के जरिए लोगों को इस बात का एहसास कराना चाहती हैं कि, आज भी महिलाओं को समाज में बराबरी का दर्जा हासिल नहीं है और उन्हें यह दर्जा हासिल होना ही चाहिए। वह कहती हैं, “सिनेमा में मेरा सफ़र तो अभी शुरू हुआ है। मैं लगातार ऐसी महिलाओं की तलाश करती रहूंगी, जिनकी कहानियों को मैं पर्दे पर लोगों के सामने प्रस्तुत करना चाहती हूं।
मुझे लगता है कि जब लोग ऐसी महिलाओं और उनकी ज़िंदगी, उनके संघर्ष, उनके दर्द, उनके सपने, और उनकी जीत को देखते हैं, तो इससे लोगों के नज़रिए में भी बदलाव आ सकता है। इससे हमें यह समझने में मदद मिल सकती है कि हम समाज में महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने से अभी किस हद तक पीछे हैं, साथ ही हम यह जान सकते हैं कि हमारे देश और हमारे समाज को मजबूत बनाने में महिलाएं कितना अधिक योगदान दे सकती हैं।”