- मणिपाल हॉस्पिटल्स ने पूर्वी भारत का पहला एआई-संचालित इंजेक्टेबल वायरलेस पेसमेकर सफलतापूर्वक स्थापित किया
- Manipal Hospitals successfully performs Eastern India’s first AI-powered injectable wireless pacemaker insertion
- Woxsen University Becomes India’s First Institution to Achieve FIFA Quality Pro Certification for RACE Football Field
- यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने यू – जीनियस राष्ट्रीय प्रश्नोत्तरी फिनाले में प्रतिभाशाली युवाओं का किया सम्मान
- Union Bank of India Celebrates Bright Young Minds at U-Genius National Quiz Finale
मुश्किल के इस दौड़ में हर लीडर को संवेदनशील होने की जरूरत
प्रेस्टिज प्रबंध शोध संस्थान द्वारा एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय ई- कॉन्फ्रेंस का आयोजन
इंदौर : मानव स्वभाव के अनुसार अस्थिरता हमें रास नहीं आती पर ये भी सच है की बड़ी से बड़ी आपदाओं से कैसे उबरें, कैसे उनसे तालमेल बैठाएं ये भी मानव बेहतर ढंग से जानता है। मुश्किल के इस दौड़ में हर लीडर को ज़्यादा से ज़्यादा संवेदनशील और फेक्सिबल होने की जरूरत है। हम वर्क लाइफ बैलेंस के बजाए दोनों के बीच रिदम स्थापित करने की कोशिश करें। इस वक़्त को अपने साथी, दोस्तों और परिवार के लोगों को बेहतर ढंग से समझने की कोशिश करें।
यह बात रॉयल बैंक स्कॉटलैंड, इंडिया के एमडी एवं डाटा एनालिटिक्स अनीश अग्रवाल ने प्रेस्टिज इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट एंड रिसर्च द्वारा आज “कठिन दौर में सफलता और स्थायित्व के लिए जरूरी रणनीतियां” विषय पर आयोजित एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय ई कॉन्फ्रेंस में कही।
70% कॉरपोरेट लीडर हर 5 साल में कठिन दौर से गुजरते हैं: पॉल बर्नेट
स्ट्रेटजिक मैनेजमेंट फोरम, लंदन के पॉल बर्नेट ने कहा कि इस महामारी से ना केवल हमें बचना है बल्कि आगे भी बढ़ना है और उसके लिए कारगर रणनीतियों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि 70 प्रतिशत कॉरपोरेट लीडर हर पांच साल में कोई ना कोई कठिन दौर से गुजरते ही हैं, जो दूर दृष्टा होते है वो नित नए कीर्तिमान गढ़ते हैं।
जो वक्त के साथ नहीं बदलते वो पीछे छूट जाते हैं: पियूष गुप्ता
दंगल, छिछोरे, भूतनाथ रिटर्न्स जैसी फिल्मों के लेखक एवं अस्सिटेंट डायरेक्टर पीयूष गुप्ता ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि हमें छोटे छोटे गोल बनाने चाहिए और डिजिटल फ़ोरम का ज़्यादा से ज़्यादा इस्तेमाल करना चाहिए। असली ज्ञान वही है जो मौके पर काम आए। वक़्त से साथ बदलना जरूरी है जो नहीं बदलते वो पीछे छूट जाते हैं जैसे मैंने वक़्त की चाल के हिसाब से ओटीटी प्लेटफॉर्म के अनुसार फिल्में लिखना शुरू किया है क्यूंकि आने वाला दौर नेटफ्लिक्स, अमेजॉन आदि का ही है।
यू केटापुल्ट की एमडी और संस्थापक प्रेमा मिश्रा ने एक शिक्षक के तौर पर अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि कैसे वे एक प्राइमरी और मिडिल क्लास टीचर से लेकर यहां तक का सफ़र उन्होंने तय किया। उन्होंने कहा कि इस लॉकडॉउन के दौरान उन्होंने 1500 शिक्षकों को ट्रेनिंग दी है।
चुनौती को उपलब्धि के रूप में देखें: डॉ डेविश जैन
प्रेस्टिज एजुकेशन फाउंडेशन के वाईस चेयरमैन एवं सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के चेयरमैन डॉ डेविश जैन ने अपने संबोधन में कहा कि हमें इस चुनौती को उपलब्धि के रूप में देखना चाहिए जिसने डिजिटल तकनीकि के नए द्वार खोले हैं।
कभी भी हार ना मानना और बड़ी से बड़ी चुनौतियों से कुछ ना कुछ कुछ सीखना मैंने मेरे पिता पद्मश्री डॉक्टर एनएन जैन जी से सीखी है। आज के दौर में डिजिटल कौशल की जरूरत है। देश के युवाओं में अपार संभावनाएं हैं। मुश्किल की इस घड़ी में भी हिम्मत ना हारें, उम्मीद से लबरेज़ रहें ये वक़्त भी गुज़र जाएगा।
प्रेस्टिज यूनिवर्सिटी के सीईओ अनिल बाजपेई ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि इस कॉन्फ्रेंस के ज़रिए हम कॉरोना जैसी महामारी से उबरने के साथ साथ हम स्थायित्व की ओर कैसे आगे बढ़ें इस बारे में हम कुछ महत्वपूर्ण रणनीतियां बनाने में सफल हो पायेंगे।
प्रेस्टिज प्रबंधन शोध संस्थान द्वारा आयोजित इस एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में भारत सहित अमेरिका, लंदन, रशिया और सऊदी अरब सहित अन्य देशों के अनुभवी प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया और कांफ्रेंस के थीम पर अपने अनुभव एवं सुझाव साझा किए।
कॉन्फ्रेंस के आरंभिक सत्र की शुरुआत प्रेस्टिज संस्थान की डायरेक्टर डॉ. योगेश्वरी फाटक ने देशदेश दुनियां के विभिन्नविभिन्न हिस्सों से जुड़े सभी प्रतिनिधियों का अभिवादन करते हुए किया। इस कॉन्फ्रेंस में बीस राज्यों के डेढ़ सौ से भी ज़्यादा प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया और लगभग डेढ़ सौ शोध पत्र प्राप्त हुए।
कॉन्फ्रेंस का संचालन डॉ. निधि शर्मा ने किया एवम् प्रेस्टिज यूजी कैंपस के डायरेक्टर डॉक्टर आरके शर्मा ने सभी को आभार ज्ञापित किया। ई कॉन्फ्रेंस के तकनीकी सत्र का सञ्चालन डॉ. प्रयत्न जैन ने संभाली।