जीवन में सदैव सरकारत्मक सोच को अपनाएं : डॉ. एके द्विवेदी

एसआरजीपी गुजराती प्रोफेसनल इंस्टिट्यूट में व्यवसायिक प्रबंधन में प्रवेशित स्नातक विद्यार्थियों के लिए हुए व्यख्यान में डॉ. द्विवेदी ने किया संबोधित

इंदौर। जीवन में सदैव सकारात्मक सोच अपनाएं। यह तभी संभव होता है जब हम शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से स्वस्थ और सुखी होते हैं। अच्छा मानसिक स्वास्थ्य हमें लोगों से बेहतर सामाजिक संपर्क, सहानुभूति और संचार कौशल को बढ़ावा देता है तथा साथियों और शिक्षकों के साथ सकारात्मक रिश्ते एवं सीखने के माहौल में योगदान करता है।

यह बात केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद आयुष मंत्रालय भारत सरकार में वैज्ञानिक सलाहाकर बोर्ड के सदस्य और वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. एके द्विवेदी ने कही। वे एसआरजीपी गुजराती प्रोफेशनल इंस्टिट्यूट में व्यवसायिक प्रबंधन में प्रवेशित स्नातक विद्यार्थियों के लिए आयोजित व्याख्यान में संबोधित कर रहे थे।

डॉ. द्विवेदी ने कहा कि हमारा शारीरिक स्वास्थ्य भी शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब छात्र शारीरिक रूप से स्वस्थ होते हैं, तो उनके कॉलेज छूटने की संभावना कम होती है, जिससे वे अपनी पढ़ाई में लगातार बने रह सकते हैं और नित नया सीखते। शारीरिक स्वास्थ्य सीधे तौर पर छात्रों की ध्यान केंद्रित करने और सीखने की प्रक्रिया में शामिल होने की क्षमता को प्रभावित करता है।

डॉ. द्विवेदी ने कहा आप लोग व्यावसायिक प्रबंधन के छात्र है आग चलकर आप सफल उद्यमी बनेंगे। और यह तभी संभव होगा जब आप तनाव या मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना सफलतापूर्वक कर सकेंगे। अच्छा मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने से उद्यामियों को ठोस निर्णय लेने में, अधिक स्पष्ट रूप से सोचने और अपने व्यवसाय के लिए राजनीतिक विकल्प बनाने में मदद मिलती है।

डॉ. द्विवेदी ने बताया कि उद्यमिता के लिए अक्सर रचनात्मक समस्या-समाधान और नवाचार की आवश्यकता होती है। अखिर में डॉ. द्विवेदी ने कहा कि जब व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ होते हैं तो वे अधिक रचनात्मक तरीके से सोच सकते हैं। नए विचारों का पता लगा सकते हैं और चुनौतियों का अद्वितीय समाधान ढूंढ सकते हैं और यही सफल जीवन का मूल मंत्र भी है। इसके पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत में अतिथि स्वागत प्रोफेसर प्रतीक शाह ने किया। अध्यक्षता कॉलेज की डायरेक्टर रवलीन कौर भसीन ने की। संचालन यशस्वी बोरासी ने किया। आभार डॉ. रूचिता ने माना। व्याख्यान में बड़ी संख्या में स्नातक विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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