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दांतों की सुरक्षा के लिए बने है एप
– 72 वीं इंडियन डेंटल कॉन्फ्रेंस में देश-विदेश से आए विशेषज्ञों ने रखी अपनी बात
इंदौर। ‘मैं हर महीने टूर पर होता हूँ। मुझे ये देखकर खुशी होती है कि आपकी जनरेशन के लोग जगह-जगह थूकते नहीं और स्मोकिंग के लिए स्थान भी तलाशते हैं। यह जागरूकता समय के साथ कैंसर के केस कम करेगी। कई राज्यों ने ऐसे एप्प बनाये हैं। जिसमें दांतों की समस्याओं से जुड़े निदान उपलब्ध है। हम उम्मीद करते हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोग मोबाइल फ्रेंडली होकर इसका उपयोग करेंगे।’
कॉन्फ्रेंस के दौरान यह बात डेंटल कॉउंसिल ऑफ इंडिया के प्रेजिडेंट डॉ दिव्येन्दु मजूमदार ने कही। उन्होंने कहा कि, ‘आज हर अस्पताल में 40 फीसदी कैंसर के केसेस हैं जो चिंता की बात है। हमारे अंडर में 313 डेंटल कॉलेज हैं, जिसमें से 290 कॉलेज के स्टूडेंट्स को तम्बाकू छोड़ने और इसके असर को कम करने की ट्रेनिंग दे रहे हैं। ये स्टूडेंट्स सरकारी कार्यक्रमों के माध्यम से जागरूकता फैलाने का काम कर रहे हैं। हमने मेडिकल स्टूडेंट्स के लिये ग्रेजुएशन के दौरान 3 महीने गांव में काम करना अनिवार्य कर रखा है। हम चाहते हैं कि दांतों की समस्या के प्रति जो जागरूकता शहरों में है वो गाँव में भी रहे।’
इस तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस का आगाज़ शुक्रवार को ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में हुआ। आयोजन का हिस्सा बनने के लिए देर शाम तक पंजीयन जारी था। कॉन्फ्रेंस के पहले दिन ही सेंटर के 11 हॉल स्टूडेंट्स और आगंतुकों से भरे पड़े थे। ट्रेड फेयर में 160 इंट्री थी, जिसमें डेलीगेट्स को नई तकनीक के लाइव डेमो के साथ-साथ नए इंस्ट्रूमेंट्स की जानकारी भी दी गयी।
ऑर्गनाइजिंग चैयरमैन डॉ देश राज जैन ने बताया कि इस तरह के आयोजन में स्टुडेंट्स का भाग लेना अनिवार्य है। इससे न सिर्फ उनके नम्बर बढ़ते हैं बल्कि कुछ सीखने को भी मिलता है। इससे स्टूडेंट्स गाँव में सर्विस देने के लिए तैयार भी होते हैं।
शाम को कॉन्फ्रेंस का औपचारिक उद्धघाटन हुआ जिसमें डेंटल स्टूडेंट्स और डेलीगेट्स ने रंगारंग सांस्कृतिक नृतय की प्रस्तुति दी। इस मौके पर विशिष्ट अतिथि के तौर पर मंत्री नगरीय प्रशासन एवं विकास जयवर्धन सिंह दीप प्रज्वलित करते हुऐ कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
फ्लोराइड के कारण घिसते हैं दांत
यूके से आये डॉ चित्ता चौधरी ने कहा कि मैं यूके के साथ कर्नाटक के कुछ गाँव में सर्विस देता हूँ। कॉन्फ्रेंस के दौरान मैंने दांतों में होने वाले फ्लोरोसिस्ट के बारे में बताया है। उन्होंने बताया कि हमारी टीम ने अलग अलग राज्यों में शोध करके पता लगाया कि पानी में कितना फ्लोराइड होता है? इसकी मात्रा ज्यादा होने से भी दाँत का रंग बदल जाता है। दूसरी स्टेज में दांत काले पड़कर टूटने लगते हैं। ज्यादा फ्लोराइड से किडनी और हड्डी पर भी असर होता है। डॉ चौधरी ने बताया कि कर्नाटक के कुछ गाँव में आज भी ज्यादा फ्लोराइड के चलते लोगों के दाँत घिसे हुए हैं। इससे ये लोग सामाजिक स्तर पर भी दिक्कतों का सामना करने को मजबूर हैं। कई लोगों की तो शादी भी नहीं हो पाती। हमने पाया कि देश की आज़ादी के बाद से पानी में फ्लोराइड की मात्रा लगातार बढ़ी है। इसे रोकने के लिए कोई निदान भी नहीं किये गए हैं। सरकार को चाहिए कि इन गांवों में पानी साफ करने के प्लांट लगाए। कारण कि इसकी मात्रा कम होने से भी नुकसान बढ़ते हैं।
फीमेल डेंटिस्ट न छोड़े काम
कॉन्फ्रेंस में आईडीए वुमन डेंटल कॉउंसिल द्वारा आयोजित एनुअल डेंटल सिम्पोसियम में मिसेस एशिया इंटरनेशनल की विनर डॉ अनुपमा सोनी भी आई थी। जयपुर से आई श्रीमती सोनी ने कहा कि, मेरे यहाँ होने का कारण उन फीमेल डेंटिस्ट को प्रोत्साहित करना है, जो पढ़ाई पूरी करने के बाद ही प्रैक्टिस छोड़ देती है। आज कॉलेज में 80 फीसदी फीमेल स्टूडेंट्स होते हैं। जिनका प्रैक्टिस छोड़ना देश का नुकसान है। आप 5 साल भी पढ़ाई से दूर रहते हैं तो बदलते तकनीक के साथ ताल मिलाना मुश्किल होता है। मैंने डेंटल की पढ़ाई के साथ फोक डांस भी सीखा। इस मल्टी टास्किंग एबिलिटी ने ही मुझे मिसेस इंडिया से मिसेस एशिया इंटर नेशनल बनने का आत्मविश्वास दिया। मैं बाकियों को भी यही विश्वास देना चाहती हूं।
दाँत की भी होने लगी है स्टेम सेल बैंकिंग
कर्नाटक की डॉ महिमा दंड ने स्टेम सेल थैरेपी पर बात की। उन्होंने कहा कि, इसके माध्यम से हम दांतों को निकालने के बजाए हम पुराने दांतों को बचाने का काम करते हैं। अब दाँतों की स्टेम सेल बैंकिंग भी होने लगी है। ये शरीर की किसी भी कोशिका से मिलता-जुलता होता है। इसमें ये तकनीक उपयोगी है। महाराष्ट्र से आए डर साई कल्याण ने अपने लेक्चर में बताया की पहले की तरह अब हर खराब दांत के लिए रुट केनाल करना जरूरी नही होता है। अब कई एडवांस्ड मटेरियल आ गए है, जिनके उपयोग से 30 %केसेस में रुट कैनाल करने की जरूरत नही पड़ती है।
आईडीए जनरल सेक्रटरी डॉ अशोक डोबले ने कहा कि ये प्रदेश के साथ साथ ये देश के लिए भी गर्व का विषय है कि इसके बुते दुनियाभर के डेंटल स्पेशलिस्ट से मिलने, सीखने और जानने का मौका मिला। ऑर्गनाइजिंग सेक्रटरी डॉ मनीष वर्मा ने बताया कि कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन 70 से ज्यादा साइनटिफिक सेशन होंगे। साथ में एनवल अवार्ड सेरेमनी भी होगी। डॉ वर्मा ने बताया कि कॉन्फ्रेंस में आईप्रोस्टेट, ऑर्थोडेंटिक ट्रीटमेंट, मेग्ज़िलों फेशियल सर्जरी और इम्प्लांट्स सहित दांतों से जुड़े हर विषय पर बात हुई है।