बाणेश्वरी कावड़ यात्रा इस बार 22 से 29 जुलाई तक

इन्दौर। बाणेश्वरी कावड़ यात्रा इस वर्ष 22 से 29 जुलाई तक महेश्वर से महांकालेश्वर तक निकाली जाएगी। इस बार कावड़ यात्रा के रात्रि विश्राम वाले गांवों-कस्बों में सुबह नौ देवियों की प्रतीक नौ कन्याओं के पूजन के बाद ही अगले गंतव्य की यात्रा शुरू होगी। पूरे यात्रा मार्ग में एक हजार से अधिक पौधे भी रोपे जाएंगे।

यात्रा के साथ 4 झांकियों के अलावा 21 फीट ऊंचे हनुमानजी की प्रतिमा भी आकर्षण का केंद्र रहेगी। यात्रा के प्रति भक्तों के बढ़ रहे उत्साह को देखते हुए इस बार 5 हजार से अधिक श्रद्धालु यात्रा में शामिल होंगे। सभी यात्री हाथों में डमरू भी लेकर भजन-कीर्तन करते हुए चलेंगे।

सांवेर रोड स्थित मौनी बाबा आश्रम पर हुई बाणेश्वरी कावड़ यात्रा आयोजन समिति की बैठक में ऐसे अनेक निर्णय लिए गए। बैठक में अकोला के प्रख्यात संत कालीचरण महाराज, महामंडलेश्वर दादू महाराज, महंत रामदास सहित अनेक संत-महंत उपस्थित थे जिन्होंने यात्रा के माध्यम से धार्मिक और सामाजिक चेतना जगाने का आव्हान करते हुए आयोजकों के संकल्प की खुले मन से प्रशंसा की। संत कालीचरण महाराज एवं अन्य अतिथियों ने यात्रा की प्रचार सामग्री का लोकार्पण भी किया।

बैठक में दिलीप मिश्रा, मोहनलाल जोशी, जगजीवन बाबा, राम पंवार, गोविंद पंवार, राजू यादव, कमल शुक्ला, गोविंद अवस्थी, नारायण चैहान, हरिहर पांडे के अलावा बड़ी संख्या में महिला कार्यकर्ता भी उपस्थित रहीं जिन्होंने यात्रा को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए अनेक सुझाव भी दिए। 

संयोजक गोलू शुक्ला ने इस अवसर पर बताया कि इस बार कावड़ यात्रा रविवार 21 जुलाई को मरीमाता चैराहे से महेश्वर के लिए वाहनों से प्रस्थित होगी। अगले दिन सोमवार 22 जुलाई को महेश्वर में सुबह 7 बजे मां नर्मदा एवं देवी अहिल्या के दुग्धाभिषेक तथा चुनरी समर्पण के साथ 185 किमी की यह यात्रा प्रारंभ होगी।

सोमवार 22 जुलाई की शाम को यात्रा गुजरी, 23 को मानपुर, 24 को महू, 25 को इंदौर, 26 को रेवतीरेंज, 27 को पंथ पिपलई-खान बड़ोदिया तथा 28 को उज्जैन पहुंचकर सोमवार 29 जुलाई को सुबह 4 बजे भगवान महांकालेश्वर का जलाभिषेक किया जाएगा। रात्रि विश्राम वाले सभी स्थानों पर नौ कन्याओं के पूजन के साथ सुबह कावड़ यात्रा का शुभारंभ होगा। मार्ग में लगभग एक हजार पौधे रोपे जाएंगे।

भजन गायक श्रीधर झरकर एवं गन्नू महाराज की टीम यात्रा के साथ भजन गाते हुए चलेगी, वहीं कावड़ यात्री हाथों में डमरू लेकर भजन-कीर्तन करेंगे। प्रदेश और देश में सुखद वर्षा, सुख-शांति और समृद्धि की प्रार्थना के साथ 29 जुलाई को इस यात्रा का समापन होगा। इंदौर में यह यात्रा शुक्रवार 26 जुलाई को सुबह 9 बजे अन्नपूर्णा मंदिर से प्रारंभ होगी। संचालन दीपेंद्र सिंह सोलंकी ने किया और आभार माना संयोजक गोलू शुक्ला ने। 

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