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वसीयत बनाते समय थोड़ी सी सावधानी बरत ली जाए तो संपत्ति संबंधी विवाद की स्थिति को एक सीमा तक टाला जा सकता है: आहूजा
इंदौर सीए शाखा में दो दिवसीय प्रत्यक्ष कर पर नेशनल कांफ्रेंस का आयोजन किया गया जिसमे देशभर से लगभग 600 से अधिक चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ने सहभागिता दी कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आईसीएआई डायरेक्ट टैक्स कमिटी के वाईस चैयरमेन दिल्ली से पधारे सीए प्रमोद लुनावत जी कार्यक्रम की अध्यक्ष बोर्ड ऑफ़ स्टडीज़ की चैयरमेन सीए केमिशा सोनी एवं विशेष अतिथि रीजिनल चैयरमेन कानपूर से सीए मुकेश बंसल थे l
दिल्ली से पधारे सीए डाॅ. गिरीश आहूजा ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु बिना वसीयत लिखे हो जाती है तो उसके प्रथम श्रेणी के उत्तराधिकारी उसकी पत्नी, माँ एवं उसके बच्चे लड़के और लड़की का एक समान अधिकार होता है, पर समाज बेटे का पहला हक़ मानता है पर क़ानूनी रूप से बेटा एवं बेटी का समान हक़ होता है लेकिन पिता का पुत्र की सम्पति में समान हक़ नहीं होता है।
वसीयत बनाते समय गवाह के तौर पर डॉक्टर और सीए या फिर अधिवक्ता साथ होना फायदे वाला होता है। डॉक्टर के होने से वसीयत बनाने वाले के पूरे होश-हवास में रहने की पुष्टि होती है। अधिवक्ता या सीए के साथ में होने पर वसीयत में कानूनी अड़चन की संभावना नहीं रहती। वसीयत बनाते समय थोड़ी सी सावधानी बरत ली जाए तो संपत्ति संबंधी विवाद की स्थिति को एक सीमा तक टाला जा सकता है।
वसीयत बनाने वाला किसी भी सामान्य कागज में भी वसीयत लिख सकता है। यदि पुरानी वसीयत है एवं नयी वसीयत बनायी जाती है तो उसमे यह लिखना अत्यंत आवश्यक है की पुरानी सभी वसीयत शुन्य मानी जाये l सम्पत्ति, बैंक की एफडी आदि में नाॅमिनेशन कर देने से नॉमिनी को मालिकाना हक नहीं मिल जाता। नाॅमिनी तो केवल ट्रस्टी होता है। उसे संपत्ति वास्तविक मालिक को सम्पत्ति की सुपुर्दगी करनी ही होती है।
सीए गिरीश आहूजा जी ने यह भी कहा की आयकर विभाग के पास सभी तरह की जानकारी उपलब्ध है जैसे आपके सभी बैंक खाते, म्यूच्यूअल फण्ड, शेयर में निवेश, आपके विदेशी दौरे एवं यहाँ तक की आपके घरेलु हवाई यात्रा की जानकारी भी विभाग के पास है अतः भविष्य में करदाता को आय छुपाने पर भयंकर पेनल्टी देना पड़ेगी l
दिल्ली से आये एडवोकेट सीए कपिल गोयल ने कहा की धारा 148 का सही अनुपालन आयकर विभाग द्वारा नहीं किया जा रहा है एवं इसमें माननीय सुप्रीम कोर्ट के जीकेएन ड्राइवशाफ्ट्स के प्रसिद्ध मामले में दिए गए निर्णय को ध्यान में नहीं रखा जा रहा है यहाँ तक की अनेक मामलों में उचित अधिकारियों के द्वारा दी जाने वाली अनुमती भी सही नहीं होती है l
गलत आय बता कर या फिर गलत तरीके से टैक्स क्लेम करना आपकी जेब के लिए काफी घातक साबित हो सकता है l टैक्स देयता घटाने के लिए धोखाधड़ी करने पर आयकर अधिनियम के सेक्शन 270 के तहत दंड के प्रावधान है l आयकर अधिनियम के सेक्शन 270ए के संशोधन के बाद आयकर अधिकारी को अपनी आय की गलत जानकारी देने पर टैक्स देयता का 200 फीसदी तक का जुर्माना लग सकता हैl
किसी व्यक्ति का टीडीएस ठीक तरह से नहीं कटा या टैक्स जमा नहीं किया तो टीडीएस जितना होगा उतनी ही पेनाल्टी लगेगी l किसी व्यक्ति ने कैश में 20 हज़ार से ज्यादा का लोन लिया है तो जितना लोन लिया है उतनी ही पेनाल्टी आयकर विभाग लगा सकता है, इसी तरह लोन की रकम कैश में वापस की गई है जो 20 हज़ार से ज्यादा है तो पेनाल्टी लगाई जाएगी l अगर गलत पैन डिटेल्स दी हैं तो भी ये अपराध की श्रेणी में आता है ऐसे में 10 हज़ार रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है l
इंदौर सीए शाखा के चेयरमैन सीए पंकज शाह ने अपने स्वागत भाषण में कहा अक्सर लोग इस बात से कन्फ्यूज हो जाते हैं कि किसान को लॉटरी से मिली आय, मकान, जमीन या दुकान बेचने से मिली राशि आदि की जानकारी टैक्स डिपार्टमेंट को नहीं देना है, लेकिन ऐसा नहीं है l सभी की जानकारी विभाग को देना जरूरी हैं, अगर ऐसा नहीं हुआ तो नोटिस आ सकता हैl
कार्यक्रम में पत्रकार बंधुओ का सम्मान किया गया, संचालन सीए समकित भंडारी ने किया l कार्यकर्म में सीए कीर्ति जोशी, सीए अंकुश जैन, सीए गौरव माहेश्वरी, सीए चर्चिल जैन एवं सीए मनोज गुप्ता सहित अनेक गणमान्य उपस्थित थे l