जीवन में कुछ भी सीखने से पहले, इसे जीना सीखें

इंदाैर मैनेजमेंट एसाेसिएशन का कार्यक्रम ‘ आईएमए
काॅनक्लेव 2020’

5 ट्रिलियन इकाॅनाेमी: विजन टू रियलिटी’ थीम पर आयाेजित 29 वां
अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सम्मेलन

इंदाैर। शुक्रवार सुबह करीब साढ़े नाै बजे, शहर के अभय प्रशाल में वह कार्यक्रम शुरू हुआ जिसका इंतजार सिर्फ प्रबंधन ही नहीं बल्कि अलग-अलग क्षेत्राें के हजाराें लाेगाें का हाेता है। यहां न सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था और प्रबंधन पर बात हुई बल्कि भावी संभावनाओं, अवसराें, समस्याओं और उनके समाधान पर भी चर्चा चर्चा की गई।

माैका था मैजेनमेंट एसाेसिएशन द्वारा आयाेजित अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सभा (इंटरनेशनल मैजेनमेंट काॅन्क्लेव) 2020 का। इस 29वीं काॅन्क्लेव की थीम ‘5 ट्रिलियन इकाॅनाेमी: विजन टू रियलिटी रखी गई है। कार्यक्रम के पहले दिन अभय प्रशाल में अायाेजित इस काॅन्क्लेव में एक हजार से ज्यादा कंपनियाें के सीईओ और तीन हजार से ज्यादा मैनेजमेंट स्टूडेंट्स शामिल हुए।

गाैरतलब है कि आईएमए द्वारा यह मैनेजमेंट कॉन्क्लेव लीडरशिप पर हाेने वाली देश भी सबसे बड़ी काॅन्क्लेव हाेती है। कॉन्क्लेव की शुरुआत काेलकाता के “चंद्रकला” समूह की शानदार प्रस्तुति के साथ की गई। इस समूह की शुरुआत काेलकाता में 1983 में की गई थी और समूह के सदस्याें ने शास्त्रीय गणेश वंदना की बेहद सुंदर प्रस्तुति दी। दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया।

सपने तभी पूरे हाे सकते हैं जब उन्हें देखा जाए
कार्यक्रम की शुरुअात करते हुए अार्इएमए प्रेसीडेंट अखिलेश राठी ने सभी प्रतिनिधियाें, अतिथियाें का स्वागत किया अाैर कहा कि सपने तभी पूरे हाे सकते हैं जब उन्हें देखा जाए। काॅन्क्लेव चेयरमैन डॉ. हिमांशु राय को अामंत्रित करते हुए उन्हाेंने प्रतिनिधियों और प्रतिभागियों के सामने अायाेजन का उद्देश्य बताने अाैर विषय विशेष यानी थीम की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालने की बात कही। डाॅ. राय ने “5 ट्रिलियन इकाॅनाेमी: विजन टू रियलिटी’ थीम काे समझाते हुए कहा कि इस विषय काे लगातार खोज की जरुरत है। उन्होंने उन पहल अाैर उपक्रमाें के बारे में बताया जिन्हें हम अाज व्यक्तियों के रूप में जानते हैं। उन्हाेंने यह भी कहा कि सरकार को इस 5
ट्रिलियन की दृष्टि को वास्तविकता में बदलने की दिशा में काम करना हाेगा।

जीवन काे जीना सीखें….
कॉन्क्लेव के उद्घाटन सत्र के पहले वक्ता थे “लाइफटाइम आउटस्टैंडिंग अचीवमेंट अवार्ड समिति’ के अध्यक्ष डाॅ. वायके हामिद। सिप्ला के पूर्व चेयरमैन श्री हामिद ने सुश्री अनु आगा का परिचय दिया अाैर पिछले वर्ष सुश्री अागा काे दी गई उपलब्धि के के बारे में बताया अाैर उनके साथ अपने अनुभवों को साझा किया।

उन्हाेंने बताया कि सुश्री आगा पारसी परिवार से ताल्लुक रखती थीं। एक द्वि-भाषी स्कूल में पढ़ी हुई लड़की ने बहुत कम उम्र से विकल्पों पर विचार करना अाैर समस्या का सामना करना शुरू कर दिया था। उसने खुद से सवाल किया कि क्या वह केवल बच्चों की माँ बनना चाहती है या कुछ और….? वह हमेशा अपने पर विश्वास रखने के गुण का पालन करती हैं। अपने पति के बड़े दिल का दौरा पड़ने के बाद देखभाल करने वाली पत्नी बनने से लेकर, अपने बच्चों के लिए माँ से प्यार करने और फिर थर्मेक्स ग्रुप के चेयरमैन के रूप में अहम भूमिका निभाने के बाद, वह यहां तक पहुंची हैं। उनका कहना है कि “जीवन में कुछ भी सीखने से पहले, इसे जीना सीखें ”।

उनकी कंपनी का 30 प्रतिशत लाभांश दान में देने और आने वाले वर्षों में 50 प्रतिशत दान करने की योजना के साथ वे अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने 2004 में अध्यक्ष के रूप में अपनी सीट यह कहते हुए छोड़ दी कि “क्यों हमें एक सीट पर जमे रहना चाहिए जहां अाप कोई अच्छा काम नहीं कर सकते’। उन्होंने कंपनी को और अधिक कुशलता से चलाने के लिए अपने उत्तराधिकारियों के लिए अपनी सीट छोड़ दी, यह काम स्पष्ट रूप से उनके व्यापार की समझ और जीवन की समझ को दर्शाता है। उन्हाेंने कहानी सुनाते हुए कहा कि जीवन को विलासितापूर्ण तरीके से जीने के पीछे दाैड़ने की नहीं बल्कि पहले जीवन काे अच्छी तरह जीने की अाैर फिर बेहतर चीजों की ओर बढ़ने की जरूरत है।

40 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्र अाज भी दूर
पहले बिजनेस सेशन में ‘टिक टाेक फाॅर गुड’ की प्रमुख डॉ. सुबी चतुर्वेदी ने “डिजिटल इनाेवेशन एंड डूइंग गुड फाॅर 5 टिलियन इकाॅनाेमी’ विषय पर बाेलते हुए भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल सहायता की कमी पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि डेटा की खपत हमारी डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए ईंधन है और यदि डेटा नया तेल है तो बैरल में रखे तेल की तरह तरह बेकार है। विश्लेषण के माध्यम से उन्हाेंने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि भारत का 60 प्रतिशत हिस्सा ऑनलाइन है जबकि 40 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्र अाज भी इससे दूर है। दुनिया में संबंधों को बनाए रखने अाैर जीवन को संतुलित करने और सफलता के लिए काम करने की तरह ही यह भी बेहद जरूरी है। उन्हाेंने कहा कि जीडीपी 20 प्रतिशत की वृद्धि करने के लिए इंटरनेट की आवश्यकता एक बड़ी
भूमिका निभाने वाली है। उन्होंने यह भी ​​कहा कि भारत की महिलाओं से जुड़े पूर्वाग्रहों काे बदलने अाैर कल्पना या सपने काे वास्तविकता में बदलने के लिए पूरी ताकत से प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्हाेंने कहा कि “नीतियां दिल्ली में बनकर नहीं अाना चाहिए बल्कि भारतीय शहरों से दिल्ली तक जाना चाहिए। एलटीए अवार्डी मिस अनु आगा सहित विभिन्न उदाहरण देते हुए उन्हाेंने महिलाअाें में जागरूकता अाैर निर्णायक क्षमता जगाने की बातकही। उन्हाेंने कहा कि सभी एफएमसीजी प्राेडक्ट भारतीय बाजार में घूम रहे हैं और विभिन्न ब्रांडों को डिजिटल तरीके से पहचान हासिल करने की जरूरत है।

नेतृत्व शैली बदलने की जरुरत
अार्इअार्इएम इंदाैर के निदेशक डॉ हिमांशु राय “विजन टू रियलिटी : लीडरशिप फाॅर 5 टी इकाॅनाेमी’ विषय पर अपने विचार रखे। उन्हाेंने कहा कि हमारे पास एक दृष्टि क्यों होनी चाहिए… एक सवाल जो हर कोई पूछना भूल जाता है। उन्होंने कहा कि यदि हमारे पास दृष्टि की कमी है तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम किस रास्ते पर चलते हैं और अगर हम लंबे समय तक चलते हैं तो हम निश्चित रूप से कहीं न कहीं पहुंचेंगे। हम एक देश के रूप में बचत, निर्यात और निवेश के चक्र में कमी कर रहे हैं, जहां यह बार-बार होना चाहिए। यह चक्र टूट रहा है। 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था को प्राप्त करने के लिए हमें नेतृत्व शैली को बदलने की जरुरत है। 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था में नेतृत्व महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि ‘हम क्या हैं’ यह पहचानना उस दृष्टि (सपने) तक पहुंचने की कुंजी है जो हमारे पास है या हम देख रहे हैं। उन्हाेंने कहा कि जाे व्यक्ति उसके पदनाम से पहचाना जाता है उसे किसी भी दिशा में ले जाया जा सकता है, लेकिन जो अपने ज्ञान और बुद्धि के माध्यम से स्थापित हाेता है वाे कभी नहीं मुरझाता। उन्होंने 5 ट्रिलियन इकाॅनाेमी पर निष्कर्ष निकालते हुए “विघ्नहर्ता” विजन की तरह समस्याअाें का समाधान करने अाैर बाधाओं को दूर करने के बारे में बताया।

संसाधनाें की कमी काे दूर करना सबसे महत्वपूर्ण
कार्यक्रम के तीसरे बिजनेस सेशन में शुभदा राव (समूह अध्यक्ष और मुख्य अर्थशास्त्री, यस बैंक) ग्लोबल ने ‘ 2025 तक 5 ट्रिलियन इकोनॉमी की राह पर’ विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने एक ही दिशा में काम करने के लिए सभी नीतियों जैसे व्यापार नीतियां, विदेशी नीतियां आदि को देखने और एक-दूसरे को पार न करने के लिए एक सुंदर दृष्टिकोण रखा। सपने देखने
अाैर उन्हें पूरा करने की काेशिश करने की प्रेरणा देते हुए उन्हाेंने कहा कि उपभोग निवेश में अाता है और निवेश रोजगार लाता है। बिल्डिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर, प्लांट और मशीनरी केवल बड़े पैमाने पर रोजगार को जन्म दे सकते हैं, जिसकी हमें अभी बहुत आवश्यकता है। अतिरिक्त बोझ, कम संसाधनों की समस्या काे दूर करना प्रमुख समस्या है और इसे केवल निवेश के माध्यम से हल किया जा सकता है। क्षमता बढ़ाने, नौकरियों में निवेश करने अाैर स्थायी विकास करने की बाताें के साथ उन्हाेंने 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के लक्ष्य काे प्राप्त करने पर जाेर दिया। टैक्स, अार्थिक
नीति अाैर अन्य आर्थिक लाभ हमारे सपनाें से मेल खाना चाहिए तभी हमारी दृष्टि अधिक यथार्थवादी होगी।

साइबर दुनिया में हम कितने सुरक्षित?
राहुल त्यागी (सह-संस्थापक, ल्यूसिडस टेक) ने ‘क्या हम साइबर वर्ल्ड’ से सुरक्षित विषय पर अपने विचार रखे। उन्होंने साइबर सुरक्षा पर बात करते हुए साइबर अपराध की दर में लगातार वृद्धि पर अपनी गंभीर चिंताओं को साझा किया। उन्होंने कहा कि हैकर वास्तव में कैसे कार्य करता है। उन्हाेंने बताया कि किसी को हैक करना इन दिनों कितना आसान है। उन्हाेंने इस प्रक्रिया काे ट्रेस करने पर भी प्रकाश डाला। साइबर क्राइम और बिटकॉइन की सुविधा, इसे फंड करना अादि के बारे में उन्हाेंने जानकारी दी। दूसरी ओर कंपनी के रूप में काम करते हुए उन्हाेंने साइबर सिक्योरिटी बढ़ाने, फेसबुक, गूगल जैसे वैश्विक बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए सुरक्षा नीति
अादि के बारे में बताया। कुछ व्यावहारिक उदाहरणों के साथ उन्हाेंने यह बताने की काेशिश की कि हम कितने असुरक्षित हैं। अाखिरी में उन्हाेंने संदेश दिया कि यदि आप नौकरी चाहते हैं, तो विशेषताओं को प्राप्त करने के लिए काम न करें बल्कि आवश्यक विशेषताओं को प्राप्त करने के लिए काम करें ताे आप निश्चित रूप से सफल हाेंगे।

हम कैसे पेश करते हैं… यह मायने रखता है
अभिनेता, निदेशक और एक गुरु भरत दाभोलकर ने ‘मीडिया उद्योग में व्यवधान’ विषय पर संबोधित किया। सबसे ज्यादा व्यावहारिक पक्षाें काे श्राेताअाें के सामने रखते हुए उन्हाेंने अपनी योग्यता को परिभाषित किया और बताया कि यह वह रचनात्मकता नहीं है जिसके लिए मैं प्रसिद्ध हूं लेकिन मैं इसे व्यक्त करने के तरीके के लिए प्रसिद्ध हूं। उन्होंने समझाया कि यह हास्य नहीं बल्कि भावनात्मक जुड़ाव है और यह अभिव्यक्ति जनता को आकर्षित करती है। उन्होंने उदाहरण दिया कि प्रतियोगी को हराने के लिए केवल एक चीज, जो एक निशान छोड़ सकती है वह है इनोवेशन और यही हमें चाहिए।

15 प्रतिशत मेनपाॅवर कृषि पर केंद्रित, इसे पर्यटन अाैर परिवहन में स्थानांतरित करने की जरुरत
चाैथे सत्र के दूसरे वक्ता श्री अजय सहाय (महानिदेशक और सीईओ फिअाे) ने ‘पाॅलिसी बूस्टर्स फाॅर एक्सपाेर्ट’ विषय पर संबाेधित किया। उन्होंने बजट में उपयोग किए जाने वाले 3 स्तंभों के बारे में बात की और 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के विकास पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत को डेवलपिंग टेक्नाेलाॅजी, वैल्यू एडिशन अाैर अधिक निवेश में संरचनात्मक परिवर्तन की आवश्यकता है। 15 प्रतिशत मेनपाॅवर कृषि में केंद्रित है, उन्हें पर्यटन और परिवहन में स्थानांतरित करने की आवश्यकता है। उन्होंने स्वास्थ्य, पोषण, व्यावसायिक प्रशिक्षण का ध्यान रखने वाली महिलाओं के विकास पर भी ध्यान केंद्रित किया। क्योंकि 48 प्रतिशत महिलाओं का जीडीपी में केवल 17 प्रतिशत का योगदान है जिसे बढ़ाया जा सकता है। प्रौद्योगिकी विकास या
परिवर्तन के लिए कोई आयु सीमा नहीं है। 3-डी प्रिंटिंग और पर्यटन क्षेत्रों में ज्यादा रूचि ली जा सकती है क्याेंकि यह रोजगार अनुपात को बढ़ाता है। उन्हाेंने कहा कि लेखा सेवाओं, विनिर्माण विकास और ऑडियो-विजुअल उद्योग में एफडीआई शिक्षा को नए डिग्री की मान्यता प्रदान करने और नए पाठ्यक्रमों के साथ सहयोग करने की आवश्यकता है। भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनों, पेट्रोलियम और ऑटोमोबाइल में सबसे ज्यादा निर्यात होता है, जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

याेग कैसे बन सकता है उद्याेग
प्रसिद्ध लेखिका अाैर याेग गुरु इरा त्रिवेदी ने ‘समग्र जीवन और कल्याण’ विषय पर बात की। वाशिंगटन डीसी से 1998 में इंदौर अा गर्इं अाैर 4 साल इंदौर के डेली कॉलेज में पढ़ाई की। अाज भी जब उन्हें माैका मिलता हैं वाे इंदाैर अाती हैं। वे भारत के राष्ट्रपति की व्यक्तिगत प्रशिक्षक हैं। उन्हाेंने बताया कि हमें याेग क्याें करना चाहिए। याेग काे उद्याेग में कैसे बदला जा सकता है। अमेरिका में याेग की 35 बिलियन की अर्थव्यवस्था है और लगभग 300 मिलियन योग चिकित्सकों, प्रशिक्षकाें द्वारा इसे मजबूत बनाया जा रहा है। भारत को दुनिया की योग राजधानी बनना चाहिए जहां इसकी उत्पत्ति हुई है। दूसरी ओर मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के कारण दुनिया भर में लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर खर्च हाे चुुके हैं या खप चुके हैं। जिन्हें योग के उपयोग से भुनाया जा सकता है। नींद की कमी के कारण निजी क्षेत्र में काम करने वाले 42.5 प्रतिशत लोग उदास हैं। उन्होंने युवाओं को बुनियादी योग प्रथाओं का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया और ‘योग फॉर एक्सीलेंस’ का प्रसार किया।

अागे क्या करना है… यह नवाचार है
श्री प्रसाद चालसानी (निदेशक, कैटरपिलर लॉजिस्टिक्स इंडिया डिवीजन) ने ‘द मेजर ड्राइवर अाॅफ ग्राेथ फाॅर 5 ट्रिलियन इकाॅनाेमी’ विषय पर संबाेधित किया। मूल्यवान डेटा को उत्पन्न करने के बारे में बात करते हुए उन्हाेंने कहा कि हमें आगे क्या करना चाहिए…. यह जिम्मेदारी अाैर नवाचार है। पर्यटन से जुड़ी जानकारी देते हुए उन्हाेंने कहा कि स्वच्छता की दृष्टि से विकसित करने, सुविधा प्रदान करने और घरेलू पर्यटकों पर भी ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। यह न केवल अर्थव्यवस्था को पैदा करता है अाैर बेहतर बनाता है बल्कि ज्ञान प्रदान करने में भी मदद करता है। उन्होंने कहा कि हमें उत्पादों और सेवाओं को बदलने की दिशा में और काम करने की आवश्यकता है। उद्यम, नवाचार, बौद्धिक पूंजी, व्यावसायिक प्रशिक्षण के साथ-साथ भौगोलिक विविधता और इलाके पर भी काम करने की जरूरत है। नीति निर्धारण, पर्यटन से संबंधित विषयों और प्रौद्योगिकी का नवाचार भी होना चाहिए।

हैप्पी लीडर बनता है सफलता का अाधार
मोटिवेशनल स्पीकर श्री मिनोचर पटेल ने लीडरशिप में “पावर ऑफ़ ह्यूमर और वॉव एटीट्यूड” के बारे में बात की। श्री पटेल ने खुश रहने, खुश रखने के विविध पहलुअाें पर प्रकाश डाला। हैप्पी लीडरशिप के बारे में बात करते हुए उन्हाेंने कहा कि हैप्पी लीडर हमेशा अपनी टीम काे भी खुश रखता है। जिसके कर्इ सकारात्मक परिणाम हाेते हैं। पूरी टीम सारे मुश्किल काम खुशी-खुशी निपटाती है। हैप्पी लीडर सभी को प्रेरित करता है और सभी को खुश करता है। पैसे से खुशियां नहीं मिल सकतीं। आप कार्यों का आनंद उठा सकते हैं और खुशी ला सकते हैं। इससे फाेकस हाेने में भी मदद मिलेगी। उन्हाेंने बताया कि लीडर्स काे सकारात्मक और खुश रवैया अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि निर्णय लेने की क्षमता का विकास करना चाहिए। दूसराें के प्रति कृतज्ञता की भावना रखनी चाहिए और विनम्र होना चाहिए। इससे अाप अधिक विनम्र, आध्यात्मिक अाैर अधिक प्रतिभाशाली होंगे। आप “हैप्पी लाइफ” के लिए एक गुरुमंत्र है ‘जो संतुलित है, जाने दो, जैसे कि तुम कल मरने वाले हो।

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