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पहले 60 साल के बाद होता था मोतियाबिंद अब 40 से होने लगी शुरुआत
– खानपान और प्रदूषण के कारण दिखाई दिया आंखों पर बुरा प्रभाव
इंदौर। लाइफस्टाइल से जुड़ी अन्य समस्याओं की तरह अब प्रदूषित वातारण और खान-पान का भी बुरा प्रभाव लोगों की आंखों पर साफ दिखाई देंने लगा है। पहले 60 साल की उम्र के बाद होने वाला मोतियाबिंद अब लोगों को 40 की उम्र से ही होने लगी है। ज्यादा मोबाइल और लैपटॉप, कंप्यूटर के इस्तेमाल के कारण भी लोगों की आंखे समय से पहले ही खराब होने लगी है।
इस बात का पुष्टिकारण हुआ डॉ. पी एस हार्डिया अस्पताल में लगे नि:शुल्क नेत्ररोग निदान शिविर के दौरान। हाल ही में शहर के ख्यात और वरिष्ठ नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ पीएस हार्डिया ने पद्मश्री मिलने पर शहर को हर साल 19 मार्च को नि:शुल्क नेत्ररोग निदान शिविर लगाने की सौगात दी थी। इसकी शुरुआत इसी वर्ष से हुई।
इस बारे में डॉ हार्डिया ने बताया कि आज के दिन से शुरू हुए इस नेक काम को मेरे जाने के बाद भी अस्पताल जारी रखेगा। पहले शिविर में हमने 500 मरीज देखें, जिनमें से 160 को सर्जरी करवाने का सुझाव दिया गया है। इनकी सर्जरी रंगपंचमी के बाद से लगातार 25 दिनों तक अस्पताल में चलेगी। सभी सर्जरी भी निःशुल्क ही की जाएगी। भविष्य में यदि हमारे पास शिविर में आने वाले मारिजों की संख्या 1000 या अधिक भी हो जाती है तब भी हम उन्हें नि:शुल्क चिकित्सा उपलब्ध करवाएंगे।
सुबह 10 बजे से शुरू हुए इस शिविर में शाम 5:30 बजे तक करीब 300 पुरुषों और 200 महिलाओं व बच्चों की जांच की गई। शिविर को सम्पन्न करने के लिए 50 लोगों की टीम सुबह से देर शाम तक बिना रुके काम करती रही। स्वयं डॉ पीएस हार्डिया एवं उनके पुत्र डॉ राजीव हार्डिया भी बिना रुके लगातार सभी मरीजों को देखते रहे।
नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ राजीव हार्डिया ने बताया कि शिविर में सबसे ज्यादा मरीज मोतियाबिंद के थे। इसके बाद आंखों में तिरछेपन की शिकायत लेकर लोग आए। शिविर में इंदौर के साथ ही आसपास के गांवों से भी लोग पहुँचे। इस बार हमने शिविर में महसूस किया कि लोग अपनी आंखों को लेकर पहले से अधिक जागरूक हो गए है। अब वे मोतियाबिंद के पकने का इंतज़ार नही करते बल्कि पहले ही जांच कराने आ जाते हैं।
लोगों को मिली नई जानकारियां
शिविर में आए 25 वर्षीय राहुल द्विवेदी ने बताया कि उन्हें आंखों में से पानी निलने की शिकायत थी। जांच के बाद पता लगा कि यह ज्यादा मोबाइल और लैपटॉप जैसे गैजेट्स के इस्तेमाल के कारण है। वही 53 वर्षीय गीता चौहान को एक आंख से कम दिखाई देता था। जांच के बाद उन्हें मोतियाबिंद के बारे में पता लगा। वे कहती हैं कि अब तक मुझे लगता था कि यह बीमारी बहुत ज्यादा उम्र में होती है। मुझे यह इतनी जल्दी हो जाएगी इसकी मैंने कल्पना भी नही की थी। 16 वर्षीय मोहन कुमार को दूर की चीजें धुंधली दिखाई देती थी। जांच करने के बाद उन्हें अपने चश्मे के नम्बर का पता लगा।
आंखों को स्वास्थ रखना है तो इन बातों का रखें ध्यान-
– मोबाइल, लैपटॉप आदि का इस्तेमाल कम से कम करें।
– दिन में 6 बार आंखों को बंद कर पानी से मुंह धोए।
– आंखों में पानी के छीटें ना मारें, प्रदूषित पानी आपकी आंखों को खराब कर सकता हैं।
– हवा में मौजूद प्रदूषण से भी आंखों के लाल होने, पानी आने या सूखने की समस्या हो सकती है इसलिए प्रदूषित माहौल से दूर रहे।
– सड़क के किनारे बिकने वाले सस्ते रंग-बिरंगे चश्मों को ना लगाए।
– कॉन्टेक्ट लेंस का उपयोग ना करे।