इंदौर: विभिन्न न्यायालयीन एवं कानूनी प्रक्रियाओं का व्यवहारिक ज्ञान लेने और उसे समझने के उद्देश्य से प्रेस्टीज प्रबंध संस्थान के डिपार्टमेंट ऑफ लाॅ के छात्रों का एक दल वरिष्ठ फैकल्टीज के नेतृत्व में अपने एक दिवसीय स्टडी टूर के दौरान देवास स्थित न्यायालय में उपस्थित होकर विभिन्न कानूनी एवं न्यायालयीन प्रक्रियाओं की बारीकियों को समझा। जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पालीवाल, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव शमरोज़ खान ने छात्रों को भारत के संविधान, मौलिक अधिकारों, मूल कर्तव्यों, न्यायालय के गठन, सिविल व आपराधिक कानूनों की जानकारी दी. इस अवसर पर द्वितीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश गंगाचरण दुबे ने भी विधि के छात्रों को वास्तविक न्यायालयीन प्रक्रिया,न्यायालय के प्रकार, कार्य, गठन इत्यादि की जानकारियां दी। छात्रों ने अपनी जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए जजों से अभियुक्तों को जमानत देने की प्रक्रियाओं के बारे में जाना कि अभियुक्त को ज़मानत देते समय क्या देखा जाता है? क्या जमानत देना सिर्फ जज के विवेक पर निर्भर करता है या फिर जज किसी को भी ज़मानत दे सकता है. छात्रों ने जजों से पूछा कि ऊपरी कोर्ट से ज़मानत खारिज होने की स्थिति में क्या निचली कोर्ट के जज की गलती या जिम्मेदारी तय नहीं होनी चाहिए ? इसी क्रम में एक अन्य छात्र ने पूछा कि क्या कोर्ट केवल सबूतों के आधर पर अभियुक्त को सजा/राहत देती है या इसमे मानवीय आधार भी देखा जाता है ? इस तरह के अनेकों सवाल प्रेस्टीज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च के डिपार्टमेंट ऑफ ला के छात्रों ने देवास कोर्ट मे जजों से पूछे और अपनी जिज्ञासाओं को शांत किया l जजों ने भी बच्चों से कई सवाल पूछे और सवाल जवाब के जरिए कानून की अनेक बारीकियों की जानकारी दी। इस अवसर पर सीजेएम् श्रीमती संगीता पटेल, जिला रजिस्ट्रार हेमराज सनोडिया के साथ-साथ बड़ी संख्या में प्रेस्टीज लॉ कॉलेज के शिक्षकगण एवं छात्र- छात्रा उपस्थित थे । प्रेस्टीज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च के डिपार्टमेंट ऑफ लॉ प्रभारी डॉ. निशांत जोशी ने बताया कि संस्थान के छात्र अपने स्टडी टूर के दौरान देवास स्थित प्रेस्टीज इंडस्ट्री के प्लांट का भी भ्रमण किया जहाँ प्लांट प्रभारी श्री पाठक से फैक्ट्री एक्ट, मिनिमम वेज एक्ट तथा कर्मचारी कल्याण कानूनों की विस्तृत जानकारी प्राप्त की ।
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