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श्रावणी उपाकर्म के साथ मनाया संस्कृत दिवस
वैदिक परंपरा से कराया बुटकों का उपनयन संस्कार
इंदौर. श्रावण पूर्णिमा के शुभ अवसर पर गंभीर नदी के पावन तट स्थित सिद्ध क्षेत्र धरावरा धाम पर श्रावणी उपाकर्म उत्सव विद्वान आचार्यों के सानिध्य में मनाया गया.
साकेत वासी महंत घनश्याम दास महाराज की प्रेरणा से अधिष्ठाता महंत सुखदेव दास महाराज के सानिध्य में संस्कृत विद्यापीठ के बटुकों का उपाकर्म श्रावणी उत्सव मनाया गया. रविवार सुबह से ही धरावरा धाम पर उत्सव का माहौल शुरू हो गया था.
भक्त मंडल के साथ विद्वान आचार्य के द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ श्रावणी उपाकर्म क्रियाएं प्रारंभ हुई. सुबह गंभीर नदी के पावन तट पर बटुकों को दस विधि स्नान कराया गया. सावनी उपक्रम क्रियाएं प्रारंभ हुई.
सुबह गंभीर नदी के पावन तट पर बटुक 10 विधि स्नान कराए गये. घनश्यामदास संस्कृत विद्यापीठ के सभी बटुक मुंडन और स्नान आदि के साथ प्रणाम मुद्रा में बड़े ही मनमोहक लग रहे थे.
विद्वान आचार्य पंडित गौरीशंकर शास्त्री, पंडित नितेश मिश्रा, राहुल बर्वे आदि वैदिक परंपरा के साथ बटुकों का उपनयन संस्कार करवाया. भक्त मंडल के भक्त मंडल के बालकृष्ण छाव शरिया, कमलेश्वर सिंह सिसौदिया, राधेश्याम शर्मा, घनश्याम पोरवाल, महेश मोदी, मदन प्रजापत आदि संयुक्त रुप से सुबह धाम स्थित हनुमान जी का श्रृंगार एवं मंशापूर्ण महादेव का अभिषेक आदि क्रियाओं में सहभागिता की.
बच्चों को संस्कृत भाषा का ज्ञान करवाना होगा
इस अवसर पर महंत सुखदेव दास महाराज ने बताया कि श्रावण पूर्णिमा को संस्कृत की उत्पत्ति का दिवस भी है. महंत ने बताया कि सनातन संस्कृति के साथ वैदिक परंपरा में भी देव लिपि संस्कृत का बड़ा महत्व है. संस्कृत दिवस मनाना हमारी गौरवशाली परंपरा का प्रतीक है. विज्ञान ने भी संस्कृत को मान्यता दी है. हमें अपनी भाषा पर गर्व होना चाहिए और हमारे बच्चों को संस्कृत भाषा का ज्ञान करवाना होगा जिससे कि वेद मंत्रों के उच्चारण के साथ पूजन अधिकरण को समझने आसानी हो. इससे हमारे धार्मिक ग्रंथों का महत्व भी समझना आसान हो जाएगा. रविवार को इस श्रावणी उपाकर्म कार्यक्रम में शहर के साथ ग्रामीण क्षेत्रों के भी श्रद्धालु शामिल हुए.