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नशीले पदार्थ के कारण बढ़ रही है दुष्कर्म की घटनाएं
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बच्चियों के साथ होती बदसलूकी और शर्मसार होता समाज विषय पर परिचर्चा
इंदौर. बेटियों को नहीं बेटों को समझाएं कि वे किसी के साथ कुकर्म कर अपने परिवार और समाज का नाम बदनाम नहीं करें. सभी सामाजिक और स्वैच्छिक संगठन मिलकर अभियान चलाएं, ताकि दुष्कर्म की घटनाएं किसी भी कीमत पर न हो. शहर में जहां-जहां नशीले पदार्थों की धड़ल्ले से बिक्री हो रही है, वहां पुलिस प्रशासन द्वारा छापामार कार्यवाही की जाए, ताकि इन पर लगाम लग सके.
ये निष्कर्ष विभिन्न सामाजिक एवं स्वैच्छिक संगठनों के प्रतिनिधियों और प्रबुद्धजनों के हैं, जो उन्होंने इंदौर प्रेस क्लब और सेवा सुरभि द्वारा आयोजित बच्चियों के साथ होती बदसलूकी और शर्मसार होता समाज विषय पर सोमवार को आयोजित परिचर्चा में बेबाकी के साथ व्यक्त किए। सभी ने एकमत होकर के कहा कि शहर में बिक रहे नशीले पदार्थों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए. विषय प्रवर्तन करते हुए वरिष्ठ पत्रकार अमित मंडलोई ने कहा कि हमारी संवेदनाएं पत्थर हो गई हैं. बच्चियां उत्पाद या देह की वस्तुएं हो गई हैं और बलात्कारी उपभोक्ता हो गए हैं. हमें नए सिरे से विचार करने की जरूरत है।
कुछ ही पहुंच पाते हैं फांसी के फंदे तक
सीआरपीएफ के पूर्व डीजीपी एन.के. त्रिपाठी ने कहा कि एक अध्ययन के अनुसार समाज में 30 प्रतिशत दुष्कर्म की घटनाएं परिवार के लोग या नजदीकी रिश्तेदार करते है. 10 प्रतिशत भाई-बहनों के दोस्त और इतने ही एकदम अपरिचित लोग उत्तेजना में आकर ऐसे दुष्कार्य करते हैं. दुर्भाग्य यह है कि आतंकवादी को सजा देने के लिए रात को 2 बजे भी कोर्ट बैठकी है, लेकिन दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध के लिए ऐसा नहीं होता. अदालतों द्वारा कई दुष्कर्मियों को फांसी की सजा सुना तो दी जाती है, लेकिन उनमें से कुछ ही फांसी के फंदे तक पहुंच पाते हैं. हालांकि हमारा सुप्रीम कोर्ट इस मामले में बहुत ही अधिक संवेदनशील है और सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले नजीर बनते जा रहे हैं.
बेटों को सिखाने की जरूरत
पूर्व आईजी आशा माथुर ने कहा कि दुष्कर्म की घटनाओं को रोकने के लिए हमें परिवारों को प्रशिक्षित करने की जरूरत है साथ ही कानून का ज्ञान होना भी जरूरी है. पद्मश्री जनक पलटा ने कहा कि जरूरत है कि हम बेटियों की बजाए बेटों को सिखाएं कि वह किसी बच्ची के साथ बदसलूकी कर अपना और परिवार सहित शहर का मुंह काला नहीं करे. वरिष्ठ पत्रकार राजेश चेलावत ने कहा कि एक तरफ तो हम लिव इन रिलेशनशिप को सही ठहरा रहे हैं और दूसरी तरफ ऐसी लड़कियां थाने में पहुंचकर लड़कों के खिलाफ केस दर्ज करा रही हैं. समाज में यह दोहरापन नहीं चल सकता।
आध्यात्मिक शिक्षा जगाने की जरूरत
विधायक उषा ठाकुर ने कहा कि हमें बच्चों में आध्यात्मिक शिक्षा को जगाने की जरूरत है. क्योंकि आध्यात्म से आत्मबल बढ़ता है. लड़कियों को अच्छे संस्कार देने की जरूरत है. प्यार समर्पण, तपस्या और पूजा है और जिसे हम लिव इन रिलेशनशिप के नाम पर कमजोर करते जा रहे हैं. विधायक सुदर्शन गुप्ता ने कहा कि समाज में विश्वास का संकट गहराता जा रहा है. हमेशी शिक्षण-प्रशिक्षण की जरूरत है. जो दुष्कर्मी है उसके परिजनों का समाज बहिष्कार करें.
केवल पुलिस को जिम्मेदार ठहराना ठीक नहीं
हाईकोर्ट बार अध्यक्ष अजय बागडिय़ा ने कहा कि पीडि़ता की रिपोर्ट थाने में तुरंत लिखी जाए और यह कार्य महिला पुलिसकर्मी करे। शहर काजी इशरत अली ने कहा कि जब से स्मार्ट फोन आया है और डाटा सस्ता हुआ है, तब से लोग इन स्मार्ट फोन पर पोर्न साइट देखते हैं जिससे युवा पीढ़ी के मन पर शैतान काबिज हो गया है। अत:सभी अपराधों के लिए केवल पुलिस को जिम्मेदार ठहराना ठीक नहीं होगा.
कम्यूनिटी पुलिस का वातावरण बढ़ाया जाए
एडीशनल एसपी वाहिनी सिंह ने कहा कि जरूरत इस बात की है कि कम्युनिटी पुलिस का वातावरण बढ़ाया जाए यानि समाज में जितना अधिक संवाद होगा, उतनी ही इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगेगा. कार्यक्रम में कांग्रेस की वरिष्ठ नेता अर्चना जायसवाल, श्रुति अग्रवाल, वरिष्ठ पत्रकार अंकिता जोशी, वरिष्ठ कांग्रेस नेता के.के. मिश्रा ने, छात्र नेता दक्षिता गढ़वाल, राहुल माथुर, भाजपा नेता राजेश अग्रवाल, पत्रकार सोदामिनी मजूमदार, एडवोकेट शन्नो शगुफ्ता खान ने भी संबोधित किया. स्वागत भाषण देते हुए इंदौर प्रेस क्लब अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने कहा कि इंदौर प्रेस क्लब की एक परम्परा रही है कि जब भी शहर में समाज विरोधी घटनाएं होती हैं, तो प्रेस क्लब उसे रोकने के लिए रचनात्मक पहल करता है. कार्यक्रम का संचालन संजय पटेल ने किया। आभार माना इंदौर प्रेस क्लब के महासचिव नवनीत शुक्ला ने।