वफा का जब भी लबों पर सवाल आया है तेरा ही दोस्त हमेशा ख़्याल आया है

मित्रता दिवस पर नेहरू पार्क में अखंड संडे द्वारा आयोजित 1119 वें मुशायरे में मित्रों को समर्पित शेरों ने भरपूर दाद बटोरी ।
सज्जन जैन – जिस्म चूम रहा ढ़लान को / जज़्बात चूम रहे आसमान को शेर सुनाकर दाद बटेारी ।

अनूप सहर ने गज़ल सुनाई – तन्हा तन्हा इस शहर में तन्हाई ने आवाज़ दी / तेरा चेहरा याद आया परछाई ने आवाज़ दी ।

नेशचंद्र तिवारी ने – ख़्वाबों की बस्ती में खामोशी है विरानी है / दिल आबाद रहता है दर्द की निशानी है ।

अशोक गेहलोत ने – जीवन में साँसे हैं दोस्ती / सात सुरों के संगम से मिलती है दोस्ती / कभी आँसू तो कभी हंसी है दोस्ती / जि़ंदगी जीने की आस है दोस्ती सुनाकर दाद बटोरी । मुकेश इन्दौरी ने गज़ल – वफा का जब भी लबों पर सवाल आया है / तेरा ही दोस्त हमेंशा ख़्याल आया है सुनाई ।
अशफाक हुसैन , देवीलाल गुर्जऱ , डाँ रमेशचन्द्र , वीरजी छाबड़ा , राधेश्याम यादव , मदनलाल अग्रवाल, श्याम मिश्रा, अंकुर अग्रवाल, श्रुति अग्रवाल, अनिता सेरावत, अल्का जैन, हंसा मेहता आदि ने भी सुहानी शाम को गुलज़ार किया । संचालन मुकेश इन्दौरी ने किया । आभार हरमोहन नेमा ने माना ।

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