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महात्मा और सरदार की भूमि गुजरात सच्चे अर्थ में तीर्थ भूमि हैः उपराष्ट्रपति
रणोत्सव-२०१९ का उपराष्ट्रपति ने किया उद्घाटन
उपराष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडू ने कहा कि गुजरात में पर्यटन के विकास के लिए राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास अभिनंदनीय हैं। रविवार को कच्छ के धोरडो में रणोत्सव-२०१९ का उद्घाटन करते हुए गुजराती भाषा में उन्होंने यह बात कही।
उन्होंने कहा कि अनूठी विविधता वाले गुजरात के इस सफेद रण में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले रण उत्सव कार्यक्रम में सिर्फ कच्छ ही नहीं बल्कि गुजरात की लोक कला के साथ राज्य की संस्कृति भी झलकती है।
श्री नायडू ने कहा कि कच्छ का रण संस्कृति, संस्कार, शिल्प, कला और प्राकृतिक सौंदर्य का अनोखा संगम है। रणोत्सव के आयोजन ने इस क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक विकास में अहम योगदान दिया है।
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी और सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे महानुभावों की जन्म और कर्मभूमि गुजरात सच्चे अर्थ में तीर्थभूमि है।
उन्होंने गुजरात की भूमि पर निर्मित साबरमती और कोचरब आश्रम जैसे स्मारकों का जिक्र करते हुए कहा कि गुजरात की धरा पर मौजूद ये ऐतिहासिक स्मारक सच्चे अर्थ में आजादी के आंदोलन में सहभागी बने नेताओं के योगदान की प्रतीति कराते हैं।
कच्छ की सफेद धरा पर आयोजित रणोत्सव में हो रहे कच्छी कला और संस्कृति के दर्शन का उल्लेख करते हुए श्री नायडू ने कहा कि इस क्षेत्र को पर्यटन नक्शे पर अंकित करने के लिए गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और मौजूदा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अथक प्रयास किए हैं, जिसका एहसास मुझे आज यहां आकर हो रहा है।
उन्होंने कहा कि सिर्फ गुजरात ही नहीं परन्तु पूरे देश के लिए गौरव समान इस सफेद रण को देखने के लिए आज देश देश और दुनिया भर से सैलानी यहां आ रहे हैं।
कच्छ के रण से जुड़ी सरहद पर तैनात सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले रणोत्सव कार्यक्रम में बीएसएफ के जवानों को भी सहभागी बनाया जाना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने इस अवसर पर रणोत्सव के माध्यम से लोकतंत्र और विकास की धारा में स्थानीय लोगों को सहभागी बनाकर इस भूमि को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री और मौजूदा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सराहना की।
मुख्यमंत्री श्री विजय रूपाणी ने कहा कि कच्छ का सफेद रण आज दुनिया के पर्यटन का अनमोल गहना बन गया है। इस रण और यहां की संस्कृति व अस्मिता को देश और दुनिया के समक्ष उजागर करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री और मौजूदा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों के परिणामस्वरूप आज कच्छ का सफेद रण दुनिया के पर्यटन स्थलों में सिरमौर बना है। रणोत्सव के चलते गुजरात में पर्यटन उद्योग को गति मिली है। इसके अलावा, इस क्षेत्र के आसपास बसे ग्रामीण कारीगरों को रोजगार भी उपलब्ध हुआ है।
श्री रूपाणी ने कहा कि पर्यटन को गति देने के राज्य सरकार के निष्ठावान प्रयासों के कारण आज गुजरात की संस्कृति से देश और दुनिया के लोग वाकिफ हुए हैं। कच्छ में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले रणोत्सव ने इस क्षेत्र के विकास के द्वार खोले हैं। २००५ में शुरू हुए रणोत्सव में अब तक कुल १५ लाख पर्यटक आ चुके हैं।
इस अवसर पर गांधीनगर के पनघट कला केंद्र द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दी गई। जिसमें कच्छी गजियो रास सहित कच्छ की संस्कृति के साथ ही गुजरात की विविधता में एकता के दर्शन कराने वाली कृतियां पेश की गईं। इसमें भावनगर, नड़ियाद, डांग, पोरबंदर और गांधीनगर के १०० से अधिक कलाकारों ने भाग लिया। गुजरात के प्रसिद्ध संगीतकार श्यामल-सौमिल और आरती मुंशी ने कच्छ की धरा, सफेद रण और गुजरात की संस्कृति को उजागर करते पर्यटन गीत को लॉन्च किया।
कार्यक्रम में पर्यटन मंत्री श्री जवाहरभाई चावड़ा, सामाजिक और शैक्षणिक रुप से पिछड़े वर्गों के कल्याण राज्य मंत्री श्री वासणभाई आहिर, पर्यटन विभाग की सचिव श्रीमती ममता वर्मा, गुजरात पर्यटन निगम लिमिटेड के प्रशासनिक संचालक जेनु देवान, सांसद श्री विनोदभाई चावड़ा, विधायक सर्वश्री नीमाबेन आचार्य, वीरेन्द्र सिंह जाडेजा, मालतीबेन महेश्वरी, प्रद्युमन सिंह जाडेजा, रेंज आईजी सुभाष त्रिवेदी, कलक्टर एम. नागराजन सहि कई महानुभाव और बड़ी संख्या में देशी और विदेशी पर्यटक मौजूद थे।