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जनभागीदारी का सफल मॉडल बना इंदौर

इंदौर देश का सर्वप्रथम वॉटर प्लस शहर घोषित
इंदौर. स्वच्छ भारत मिशन शहरी योजना के प्रकाशित दिशा-निर्देशो का पालन करते हुए, जीरो विजिबिलिटी ऑफ ब्लेक एंड ग्रे वॉटर को प्राप्त कर संकल्प यानि सरस्वती और कान्ह लाईफलाईन प्रोजेक्ट को जनभागीदारी के माध्यम से पूर्ण करते हुए, इंदौर ने देश के वॉटर प्लस मापदंडो पर कार्य करते हुए, देश का सर्वप्रथम वॉटर प्लस शहर होना का गौरव प्राप्त किया है. मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने भी टवीट कर इंदौरवासियो को बधाई भी दी गई। उन्होने कहा कि आपकी कार्यशैली और आपके अनुशासन पर पूरे प्रदेश को गर्व है.
नगर निगम आयुक्त प्रतिभा पाल ने बताया कि इंदौर ने वॉटर प्लस सर्वे के मापदंडो के तहत शहर के नदी-नाले में गिरने वाले ब्लेक व ग्रेट वॉटर को ट्रीटमेंट प्लांट में पहुंचाकर शहर के 10 एसटीपी प्लांट में उस पानी को ट्रीट करते हुए, 30 प्रतिशत ट्रीटेंट वॉटर को रियूज किया है और इस पानी का शहर के उद्यानो, फव्वारे, शौचालय की सफाई में उपयोग किया है. साथ ही कबीटखेडी क्षेत्र के किसानो को भी खेती के लिये रियूज पानी उपलब्ध कराया है। शहर के नदी-नालो में गिरने वाले 7 हजार से अधिक आउटफॉल को टेऊप कर उसे सीवरेज की मेन लाईन से कनेक्ट किया है. आयुक्त ने शहर के जागरूक नागरिको, जनप्रतिनिधियो के साथ ही शहर की मिडिया, विभिन्न संगठनो व निगम की टीम को इंदौर को देश का प्रथम वॉटर प्लस शहर बनने पर बधाई दी और कहा कि इनके सहयोग के लिये यह संभव नही था। उन्होने कहा कि इंदौर सफाई में अव्वल रहा है और अब वॉटर प्लस में भी इंदौर प्रथम शहर बना है, जो कि सेवन स्टार में बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसक लिये वह भी धन्यवाद के पात्र है जिन्होने व्यक्तिगत सीवरेज के कनेक्शन लगभग 7 हजार व्यक्गित खर्चे से लाईनो में जुडवाइए गए जिससे यह संभव हुआ है.
इंदौर में कुल 312 एमएलडी सीवरेज रोजाना उपचारित किया जाता है, इसके उपरांत 306 एमएलडी उपचारित साफ पानी में से 205 एमएलडी पानी को कान्ह व सरस्वती नदी में छोडा जाता है, जिससे इन मौसमी नदियों में वर्षभर स्वच्छ पानी बहता है। 101 एमएलडी उपचारित साफ पानी का पुनर उपयोग विभिन्न जैसे रोड की धुलाई, बागोा की सिंचाई, बसो की धुलाई इत्यादि कार्य के लिये किया जाता है। इंदौर शहर क आस-पास स्थित गांवो के कुल 400 किसानो के साथ एमओयु साईन कर उपचारित पानी से खेती करने को सतत रूप से प्रोत्साहित किया जा रहा है.
आयुक्त ने बताया कि पूर्व में इंदौर की प्राकृतिक धरोहर कान्ह और सरस्वती नदी और 25 नालो में कभी लगभग 205 एमएलडी जलमल सीवरेज बहा करता था, नदियो में 433, बडे नालो में 1313 और छोटे नालों में 5242 जलमल सीवरेज के आउटफॉल थे जिनमें नदी नालो के किनारे स्थित 5500 घरो का जलमल सीवरेज बिना किसी ट्रीटमेंट के छोडा जाता था. नगर निगम ने सबसे पहले सभी ऑउटफॉल को जीआईएस पर मेपड कराया और पुरा सीवरेज नेटवर्क प्लान तैयार किया. इसके अंतर्गत 7 नये डिसेन्टलाईज्ड एसटीपी और 360 किमी. की नई सीवर लाईन डालने का कार्य पिछले 2 वर्षो में पूरा किया. लगभग 7 हजार रहवासियो ने अपने घरो क पीछे छोडे जाने वाले जलमल सीवरेज क आउटफॉल को स्वंय के खर्चे पर घर के आगे जा रही सीवर लाईन से जोडा.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, गृह मंत्री एवं इंदौर जिले के प्रभारी मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्र और नगरीय विकास व आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने इस उपलब्धि के लिये इंदौर नगर निगम के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ ही नागरिकों को बधाई दी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि सबसे स्वच्छ शहर का दर्जा प्राप्त करने के बाद अब इंदौर देश का पहला वॉटर प्लस सिटी बन गया है. यह इतिहास रचने के लिए सभी इंदौरवासियों को बधाई. आप पर, आपकी कार्यशैली और आपके अनुशासन पर पूरे प्रदेश को गर्व है.