- अक्षय कुमार और गणेश आचार्य ने "पिंटू की पप्पी" फ़िल्म का किया ट्रेलर लॉन्च!
- Sonu Sood Graced the Second Edition of Starz of India Awards 2024 & Magzine Launch
- तृप्ति डिमरी और शाहिद कपूर पहली बार करेंगे स्क्रीन शेयर - विशाल भारद्वाज करेंगे फिल्म का निर्देशन
- बॉलीवुड की अभिनेत्रियाँ जिन्होंने सर्दियों के स्टाइल में कमाल कर दिया है
- Akshay Kumar Emerges as the 'Most Visible Celebrity' as Celebrity-Endorsed Ads Witness a 10% Rise in H1 2024
मोदी जी की हुंकार…मध्य प्रदेश में चाहिए सिर्फ ‘भाजपा सरकार’ – अतुल मलिकराम (राजनीतिक रणनीतिकार)
यह भी संभव है कि प्रदेश में कुछ अन्य केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों के साथ-साथ फिल्म जगत के सितारे भी हुंकार भरते दिखें.
मध्य प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मी अपने शीर्ष पर पहुंच गई है. प्रदेश के विधानसभा चुनाव को भाजपा उम्मीदवारों की दूसरी सूची ने और ज्वलनशील बना दिया है. केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को मैदान में उतारने के साथ, एक तरफ तो बीजेपी ने सभी को आश्चर्यचकित करने का काम किया है, तो दूसरी तरफ पीएम मोदी के आह्वान को, हर कीमत पर पूरा करने की प्रतिबद्धिता दिखाई है. पिछले 6 महीने में 7 बार प्रधानमंत्री मोदी मध्य प्रदेश का दौरा चुके हैं. इस दौरान उन्होंने 22 जिलों और 94 विधानसभाओं को कवर किया है.
जाहिर है बीजेपी के एकमात्र ब्रांड मोदी, मध्य प्रदेश को लेकर बेहद गंभीर हैं, और संभवतः यही कारण है कि एंटी-इनकम्बेंसी का शिकार होती मध्य प्रदेश बीजेपी ने, स्टार प्रचारकों को विधानसभा का टिकट सौंपा है. हालांकि सूबे में तेजी से फैलती सत्ता विरोधी लहर के बीच, बीजेपी इस प्रकार के रोमांचकारी विस्फोटों को आगे भी जारी रखना चाहेगी. इससे दो लाभ हैं, पहला चूंकि पुराने उम्मीदवारों का टिकट कटने का सिलसिला जारी है, और पार्टी के भीतर जो सीटों को लेकर अंतर्द्वंद छिड़ा हुआ है, वह संघर्ष बड़े नामों के फ्लोर पर उतरते शून्य हो जाता है.
दूसरा, 2024 की तैयारियों को ध्यान में रखते हुए सांसदों को विधायक बनाने पर जोर देना, रणनीतिक रूप से सटीक साबित हो सकता है, ताकि अगले साल तक लोकसभा चुनावों से पूर्व, जमीनी स्तर पर कमजोर पड़ी संसदीय सीटों को मजबूती प्रदान की जा सके, और प्रभावशाली नेताओं के मोर्चा सँभालने से, विधानसभा क्षेत्रों के साथ-साथ संसदीय क्षेत्रों को साधने में भी मदद मिल सके.
फ़िलहाल 230 विधानसभा सीटों में से लगभग दो तिहाई सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा होना बाकी है और विकास के तमाम दावों के बीच कटघरे में खड़ी भारतीय जनता पार्टी के लिए, कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाली सीटों पर सेंध लगाना बहुत महत्वपूर्ण है. ऐसे में यह भी संभव है कि प्रदेश में कुछ अन्य केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों के साथ-साथ फिल्म जगत के सितारे भी हुंकार भरते दिखें. हताशा की नांव पर सवार होकर, सत्ता विरोधी लहर के बीच, विधानसभा के विशाल सागर को पार करने निकली बीजेपी के लिए कद्दावर नामों और चमकदार चेहरों का सहारा लेना ही सबसे उपयोगी नुस्खा साबित हो सकता है.
इसके इतर, कैलाश विजयवर्गीय, नरेंद्र सिंह तोमर जैसे नामों को एमपी के चुनावी रण में शामिल कर के, बीजेपी ने कांग्रेस के समक्ष एक नया तिलिस्म फेंक दिया है. अंदरूनी खींच-तान से निजात पाने और दूरदृष्टिता को अमल में लाने के उद्देश्य से, इन ऊंचे रौबदार नामों को शामिल करना, बीजेपी खेमें में मची हड़बड़ाहट को भी साफ़ दर्शा रहा है, लेकिन कांग्रेस पार्टी के लिए यह पहले से अधिक गंभीर होने का विषय है, क्योंकि लगभग 2 दशक से सत्ता से बाहर कांग्रेस के पास बीजेपी जितने प्रभावशाली चेहरे नहीं हैं, और न केवल प्रदेश बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी ऐसा कोई नेता नहीं हैं जिसे, बीजेपी के धुरंधरों के समक्ष सीधे टिकट थमा दिया जाए. इसलिए कांग्रेस के लिए बीजेपी के इस कदम को हल्के में लेने की भूल न करने में ही भलाई है. मेरे अनुमान में, बीजेपी की तुलना में कमलनाथ को प्रदेश में दिल्ली की तर्ज पर नए, युवा व सामान्य चेहरों को जगह देने से अधिक लाभ मिलने की उम्मीद है और ऐसा सिर्फ आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर नहीं, बल्कि 2024 के लोकसभा चुनावों को मद्देनजर रखकर भी महत्वपूर्ण है.