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सीखने की चाह ने यहां तक पहुंचाया: विजय विक्रम सिंह
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इंदौर. अपने पेशन को पहचाने और फिर उसके पीछे जाएं. किसी को देखकर अपना लक्ष्य तय नहीं करें. इसके साथ ही धैर्य भी रखें. कुछ भी तुरंत नहीं मिलता. मेहनत करोगे तो भाग्य साथ देगा. मेरी सीखने की चाह ने मुझे यहां तक पहुंचाया है.
यह कहना है वॉइस आर्टिस्ट विजय विक्रम सिंह का. विजय बिग बॉस में अपनी रौबदार आवाज से लोगों के दिल में जगह बना चुके हैं. विजय शनिवार को शहर में थे. वे एनआईएफडी के फैशन शो को होस्ट करने आए है. विजय ने इस दौरान मीडिया से भी चर्चा की.
विजय ने चर्चा करते हुए बताया कि मैं कानपुर यूपी में पलाबढ़ा हूं. 2005 में नौकरी के सिलसिले में मेरा मुंबई आना हुआ था. मैं सरकारी नौकरी करता था. मेरे कुछ पुराने बेचमेट मुंबई में ही थे तो उन्होंने कहा तुम्हारी आवाज अच्छी है तुम कुछ कर सकते हो. उनके कहने पर मैं स्टुूडियो गया लेकिन पहला अनुभव कुछ कटु रहा. इसके बाद मैंने साढ़े तीन महीने की वाइस ट्रेनिंग ली.
इसके बाद मैेंने इंडस्ट्री में काम करने का सोच लिया. इसके लिए मैंने रेडियो में सेल्स की नौकरी अनुभव लेने और संपर्क बनाने के लिए की. 2006 तक रेडियो किया और मेरी पत्नी के कहने पर सरकारी नौकरी भी छोड़ दी. रेडियो में नौकरी के दौरान ही मुझे डांस इंडिया डांस का पहला सीजन मिल गया. यह मुझे इंदौर के ही आशीष गोलवलकर की वजह से मिला. उन दिनों वे जी टीवी में हेड हुआ करते थे. उन्होंने मुझे बहुत गाइड किया. अभी तक मैं बिग बॉस, इंडियन आइडल सहित 150 शो कर चुका हूं.
आवाज गॉड गिफ्ट
विजय ने बताया कि मेरी आवाज मुझे गाड गिफ्टेड है. बस प्रशिक्षण से उसे मैंने थोड़ा और निखारा है. सरकारी नौकरी मैंने इसलिए छोड़ी क्योंकि मुझे इसमें मजा आ रहा था. मैं तो यही मानता हूं कि आपमें पेशन है तो आप अपनी मंजिल तक अवश्य पहुंचते है. बिग बॉस भी मुझे किस्मत से ही मिला था क्योंकि शुरू के दो एपिसोड किसी और को मिले थे. मैं खुश किस्मत हूं कि आज लोग मुझे बिग बॉस के नाम से पहचानते है. वॉइस आर्टिस्ट के रूप में मैं दर्पण मेहता, निनाद कामत और बृजभूषण जी की तरह पहचान बनाना चाहता हूं.