क़ुदरत के साथ खिलवाड़ से आ रही हैं प्राकृतिक आपदाएं

उर्जावरण 2018 में ग्लोबल वार्मिंग का मुद्दा छाया
इंदौर। ज़िन्दगी में जो बनावटीपन आ रहा है और हम अपने मूल्यों को भूल रहे हैं, उसके बड़े नुकसान हो रहे हैं।हम अपनी ओरिजनल वैल्यूज़ की तरफ लौटना चाहिए।आज पर्यावरण के लिए क्या बेहतर कर सकते हैं, देश के हर नागरिक को इसका एहसास होना चाहिए।आज परिवारों से पर्यावरण की संवेदना को भुला दिया गया है।कुदरत से दूरी और कुदरत के करिश्मे से इनकार करने,कुदरत से खिलवाड़ करने  या उससे खेलने की वजह से नुकसान हो रहे हैं और प्राकृतिक आपदाएं आ रही हैं।
उक्त विचार प्रसिद्ध समीक्षक और उदघोषक संजय पटेल ने पृथ्वी के तापमान में वृद्धि और इसके कारण मौसम में होने वाले परिवर्तन यानी होटल रेडिसन में इंडियन सोसायटी ऑफ इंजीनियर्स के पर्यवरण सुधार पर आधारित उर्जावरण कांफ्रेंस 2018 में व्यक्त किये।
वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री अभय छजलानी ने उर्जावरण कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा ग्लोबल वार्मिंग पूरे विश्व में एक मुख्य वायुमण्लीय मुद्दा है। इसके लगातार बढ़ते दुष्प्रभावों से इंसानों के लिये बड़ी समस्याएं हो रही है। जिसके लिये बड़े स्तर पर सामाजिक जागरुकता की जरुरत है।ग्लोबल वार्मिंग के नुकसान से बचने को लेकर और पर्यवरण की बेहतरी के लिए टेक्नोलॉजी में सुधार की संभवनाएं तलाशने की ज़रूरत है।
होटल रेडिसन में उर्जावरण 2018 कांफ्रेंस का आयोजन इंडिया सोसायटी ऑफ हीटिंग, रेफ्रिजरेटिंग एंड एयर-कंडिशनिंग इंजीनियर्स (इसरे)इंदौर द्वारा किया गया।ऊर्जावरण कांफ्रेंस में मुख्य अतिथि पद्मश्री वरिष्ठ पत्रकार अभय छजलानी थे।
कांफ्रेंस में दिल्ली से इसरे के पूर्व अध्यक्ष विशाल कपूर,ग्रीन बिल्डिंग कॉउंसिल ऑफ इंडिया की रीजनल मैनेजर प्रियंका कोचर,सिम्बायोसिस यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस के कुलपति डॉ. कैलाश श्रीवास्तव,पदमश्री भालू मोंढे,स्वामी श्री अनन्त विस्तार,डॉ. अजय सोडानी,पर्यावरण प्रेमी और एंकर संजय पटेल,दिव्या पुनीत ने खास तौर पर शिरकत कर अपने अनुभव और विचार के साथ पर्यावरण की बेहतरी  के लेक्चर दिए।
फोटोग्राफर और पर्यावरण प्रेमी भालू मोंढे ने कहा ग्लोबल वार्मिंग से इंसान ही नहीं पूरी कुदरत प्रभावित हो रही,ग्लेशियर पिघल रहे हैं, परिंदे मारे जा रहे हैं, उनका अस्तित्व प्रकृति के लिए ज़रूरी है।एयर कंडिशनिंग के लिए वातावरण को बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है।विशेषज्ञों का मानना है कि एयर कंडीशन के लोड को कम करने के लिए दूसरे रास्ते भी अपनाए जा सकते हैं जिससे पर्यावरण पर कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा।इसरे के ऊर्जावरण का थीम इमर्जिंग सिटीज- स्टेप्स टुवर्ड राइजिंग इंडिया पर आधारित था ।
इस एक दिवसीय कांफेंस में विभिन्न विषयों स्मार्ट सिटी, भवनों में ऊर्जा की बचत, सौर ऊर्जा, ग्रीन बिल्डिंग, एयर-कंडिशनिंग पर विशेषज्ञों ने व्यख्यान दिये।इसरे के अध्यक्ष संदीप बलसारे ने बताया कि इसरे के देशभर में सेमिनार होने के साथ हाल ही में ढाका,कोलम्बो और काठमांडू में बड़े इंटरनेशनल सेमिनार आयोजित हो चुके हैं।
इसरे के 41 चेप्टर हैं, जिसमें 12000 मेम्बर और 12000 स्टूडेंट के साथ कुल 24000 सदस्य जुड़े हैं।मिलिंद इंगोले ने बताया सेमिनार में वक्ताओं ने पर्यावरण की बेहतरी के लिए नई टेक्नोलॉजी क्या हो, एनर्जी एफिशिएंसी कैसे बढा सकते हैं? पर विचार रखे।
किसी बिल्डिंग में मानों 400 एयरकंडीशनर लगे हैं तो कैसे उनका लोड कम किया जा सके ?आदि ज्वलन्त मुद्दों पर समाधान तलाशे गए।कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पर्यावरण प्रेमी,एयरकंडीशन विशेषज्ञ,तकनीशियन, स्टूडेंट और संस्था के पदाधिकारी व सदस्य उपस्थित थे।कुल मिलाकर सार्थक चर्चा के साथ कांफ्रेंस सफल रही।

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