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लगभग दो प्रतिशत लोगों को ही मालूम रहता है कि उन्हें किडनी की बीमारी है: डॉ. जयसिंह अरोरा
इंदौर, 09 मार्च, 2023: दुनिया भर में इस वर्ष 9 मार्च यानि की मार्च महीने के दूसरे गुरुवार को विश्व किडनी दिवस मनाया जाता है। ताकि विभिन्न किडनी रोगों के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाई जा सके और वे किसी के जीवन को कैसे प्रभावित कर सकते हैं। किडनी दिवस हमेशा मार्च के दूसरे गुरुवार में मनाया जाता है। उल्लेखनिय है कि मानव शरीर को ठीक से काम करने के लिए किडनी की आवश्यकता होती है और स्वस्थ किडनी के बिना यहां तक कि सबसे सरल काम भी एक कठिन काम बन जाता है। परिणामस्वरूप किडनी के स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए इस दिन दुनिया भर में सैकड़ों कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
इसी के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. जयसिंह अरोरा (कंसलटेंट, नेफ्रोलॉजि एंड किडनी ट्रांसप्लांट, मेदांता सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल) ने बताया की, आम तौर पर किडनी की बीमारी या ट्रीटमेंट को ले कर एक नेगेटिव एप्रोच रखा जाता है। डायलिसिस एक ट्रीटमेंट है बीमारी नहीं। अगर सही दिशा में डायलिसिस किया जाए तो ऐसे पेशेंट्स अपने नॉर्मल व फैमिली वर्क आसानी से कर सकते हैं। शरीर में अकेला किडनी ही एक ऐसा ऑर्गन है जिसमें रिप्लेसमेंट उपलब्ध है।
दूसरे ऑर्गन्स जैसे की हार्ट, लीवर, ब्रेन उनके लिए आर्टफिशियल मशीनें आसानी से उपलब्ध नहीं होती। लापरवाही के कारण पेशेंट्स उस स्टेज पर अस्पताल में आते हैं तब डायलिसिस या फिर रिवाइवल. ट्रांसप्लांट ही ऑप्शन रहता है। यह जानना जरूरी है कि किडनी ऐसा अंग है जो खुद को रीजनरेट नहीं कर सकता। एक बार उसकी कोशिकाएं या नेफ्रॉम खराब हो जाए तो रीजनरेट की गुंजाइश ही नहीं है। अगर वे 15 प्रतिशत से 30 प्रतिशत भी बचे रहें तो दवाइयों के सपोर्ट से उनका जीवन आसानी से कट सकता है। उन्हें डायलिसीस की जरूरत नहीं पड़ती।
आगे डॉ. अरोरा ने बताया की, एक स्टडी के मुताबिक कई देशों में 12 प्रतिशत से 16 प्रतिशत तक किडनी की बीमारी पाई गई है। चौंकाने वाली बात यह कि इनमें से 1 प्रतिशत से 2 प्रतिशत लोगों को ही मालूम रहता है कि उन्हें किडनी की बीमारी है। डॉक्टरों के मुताबिक किडनी के बीमारी के सिम्टम्स बहुत वेग होते हैं इसलिए इन्हें आसानी से इग्नोर किया जा सकता है। अगर सही समय पर उनका इलाज नहीं किया जाए तो यह घातक होता है। 16 प्रतिशत में से 12 प्रतिशत से 14 प्रतिशत को यही नहीं पता होता है कि उन्हें किडनी की बीमारी है जबकि 2 प्रतिशत लोगों को रुटीन टेस्ट में पता चलता है कि उन्हें किडनी की बीमारी है।
किडनी रोगों के लक्षण
• किडनी रोग होने पर शरीर में टॉक्सिंस (Toxins) बढ़ने लगते हैं. ऐसा किडनी के इन टॉक्सिंस को सही तरह से फिल्टर ना कर पाने के कारण होता है
• शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाना भी किडनी रोगों का लक्षण हो सकता है
• किडनी रोग होने पर बार-बार पेशाब करने की इच्छा होने लगती है और बाथरूम के चक्कर लगाने पड़ते हैं. इसके अलावा यूरिन में रक्त नजर आना भी किडनी रोग का लक्षण हो सकता है
• शरीर में प्यूरिन की मात्रा बढ़ जाने पर शरीर का यूरिक एसिड (Uric Acid) बढ़ जाता है और किडनी यूरिक एसिड को फिल्टर करने में असमर्थ होती है. इसका असर घुटनों में सूजन, पैरों और उंगलियों में सूजन के रूप में होता है
• आंखों के आस-पास सूजन होना भी किडनी रोगों का लक्षण हो सकता है
• इस तरह के रोग होने पर कुछ खाने की इच्छा नहीं होती हो और भूख लगभग मर जाती है
• मसल्स में दर्द होना भी किडनी रोगों का लक्षण होता है
किडनी रोगों से बचाव
• खुद को किडनी रोगों से बचाए रखने के लिए कुछ जरूरी बातों को ध्यान में रखा जा सकता है. जैसे, दिनभर में पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें. इससे किडनी को शरीर से टॉक्सिन निकालने में सहायता होती है
• प्रोटीन सप्लीमेंट्स की जरूरत से ज्यादा मात्रा लेने से परहेज करें
• हर दूसरे दिन पेनकिलर्स लेते रहना भी किडनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है
• धुम्रपान करने पर भी किडनी पर विपरीत प्रभाव पड़ता है
• अगर किडनी में दर्द महसूस हो तो तुरंत चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए